1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
कानून और न्यायभारत

उत्तर प्रदेश: पुलिस की हिरासत में युवक की मौत

१० नवम्बर २०२१

उत्तर प्रदेश के कासगंज में एक मुस्लिम युवक के पुलिस स्टेशन में संदिग्ध हालात में मृत पाए जाने का मामला सामने आया है. पुलिस 21 साल के अल्ताफ को एक महिला से जबरन विवाह से जुड़े मामले में पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशन लाई थी.

https://p.dw.com/p/42o7A
Indien Tihar Gefängnis in New Delhi
तस्वीर: ROBERTO SCHMIDT/AFP/GettyImages

मीडिया में आई खबरों में बताया जा रहा है कि पुलिस अल्ताफ को सोमवार आठ नवंबर को पुलिस स्टेशन ले कर गई थी. अगले दिन पुलिस उसे अस्पताल लेकर गई जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया.

अल्ताफ के पिता चाहत मियां ने पत्रकारों को बताया कि जब किसी महिला को अगवा करने के आरोप में पुलिस उनके बेटे को ढूंढते हुए उनके घर पहुंची तो उन्होंने अल्ताफ को पुलिस को सौंप दिया.

नल से फांसी?

लेकिन जब वो मामले के बारे में और जानने के लिए पुलिस स्टेशन गए तो उन्हें वहां से भगा दिया गया. उसके बाद अगले दिन उन्हें उनके बेटे की मौत की खबर मिली. चाहत मियां ने पुलिस पर ही उनके बेटे की मौत की जिम्मेदारी का आरोप लगाया है. लेकिन पुलिस ने इन आरोपों से इनकार किया है. 

Indien dänische Touristin in Neu Delhi vergewaltigt
सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि देश में सभी पुलिस स्टेशनों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने चाहिएंतस्वीर: Sajjad Hussain/AFP/Getty Images

 

कासगंज जिले के पुलिस अधीक्षक बोतरे रोहन प्रमोद ने एक बयान में कहा कि पुलिस स्टेशन में पूछताछ के दौरान जब अल्ताफ ने शौचालय जाने की इच्छा जाहिर की तो उसे एक हवालात के शौचालय में जाने दिया गया.

प्रमोद ने कहा कि अल्ताफ ने शौचालय में अपनी जैकेट में लगे एक नाड़े का इस्तेमाल करते हुए शौचालय के नल से खुद को फांसी लगाने की कोशिश की. उन्होंने बताया कि पुलिस ने अल्ताफ को बेहोशी की हालत में अस्पताल में भर्ती कराया जहां 5-10 मिनट के प्राथमिक उपचार के बाद उसकी मौत हो गई.

पुलिस ने बस इतना माना है कि मामले में लापरवाही हुई है, जिसके लिए पुलिस अधीक्षक ने पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है. मांग उठ रही है कि मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.

क्या कहते हैं आंकड़े

पुलिस हिरासत में लोगों की मौत भारत में एक बड़ी समस्या है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अकेले 2020 में पूरे देश में पुलिस की हिरासत में 76 लोगों की मौत हो गई. इनमें से 31 मामले हिरासत में आत्महत्या के और 34 उपचार के दौरान अस्पताल में मौत के थे.

जानकारों का कहना है कि ये आंकड़े भी असली स्थिति नहीं बता पाते हैं क्योंकि कई अन्य मामले आधिकारिक रिकॉर्डों तक पहुंच नहीं पाते हैं. पुलिस के खिलाफ शिकायत भी बहुत ही कम मामलों में दर्ज हो पाती है.

Der Sarg von Jayaraj, der von der indischen Polizei getötet wurde
2020 में तमिलनाडु पुलिस पर दो लोगों को बुरी तरह पीट कर मार देने का आरोप लगा थातस्वीर: Getty Images/AFP

2020 में पूरे देश में हिरासत में मौत के लिए पुलिसकर्मियों के खिलाफ कुल सात मामले दर्ज किए गए, जिनमें से सिर्फ दो में जांच की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई और सिर्फ एक में पुलिसकर्मी को चार्जशीट किया गया. मामले में अदालत का फैसला अभी भी लंबित है.

इन सात मामलों में चार पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया गया और सिर्फ तीन को चार्जशीट किया गया. इस समस्या का समाधान निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में देश में सभी पुलिस स्टेशनों के अंदर नाइट विजन और ऑडियो रिकॉर्डिंग वाले सीसीटीवी कैमरा लगाने का आदेश दिया था.

लेकिन अभी तक इस आदेश का पालन नहीं हो पाया है. राज्यों के पुलिस विभाग और केंद्रीय एजेंसियां अभी इसे लागू करने की तैयारी ही कर रही हैं और उधर पुलिस हिरासत में लोगों के मरने का सिलसिला जारी है.

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें