ज्वालामुखी के गुबार में दबी जिंदगी
स्पेन के ला पाल्मा द्वीप का अच्छा-खासा इलाका 500 डिग्री गर्म लावे से खाक हो चुका है. ज्वालामुखी के शांत पड़ने के बाद लोग वापस लौट रहे हैं. लेकिन कइयों का घर कहीं नजर ही नहीं आ रहा है.
कुदरत के आगे बेबस
ला पाल्मा का कुम्ब्रे विएजा ज्वालामुखी 19 सितंबर 2021 को सक्रिय हुआ. शुरुआत में 10 दिन हालात नियंत्रण में रहे, लेकिन उसके बाद 500 डिग्री सेल्सियस गर्म लावा रिहाइशी इलाकों की तरह बहने लगा. लावे की राह में जो कुछ भी आया, भस्म हो गया.
जहां देखो, वहां राख और मलबा
ज्वालामुखी के धधकने के कारण ला पाल्मा द्वीप के हजारों निवासी करीब तीन महीने तक अपने घरों से दूर रहे. इस दौरान 1,000 से ज्यादा घर लावे ने खाक कर दिए. 13 दिसंबर को ज्वालामुखी शांत हुआ. द्वीप के करीब 7000 निवासी अब घर लौट रहे हैं और अपने घर को फिर से दुरुस्त करने की कोशिश कर रहे हैं.
कितना हुआ नुकसान
लावे के कारण कुल 1,345 इमारतें तबाह हुई हैं. इनमें स्कूल, चर्च, घर और अस्पताल शामिल हैं. जान बचाने के लिए 83,000 की आबादी वाले ला पाल्मा में 7,000 लोगों को अपना घर बार छोड़ना पड़ा.
दूसरे ग्रह जैसा नजारा
कुछ स्थानीय निवासियों का कहना है कि उनका इलाका अब धरती जैसा लग ही नहीं रहा है. 1.250 हेक्टेयर जमीन पूरी तरह लावे या ज्वालामुखीय राख से पटी पड़ी है. कुछ जगहों पर तो दूर-दूर तक हरियाली का नामोनिशान ही नहीं बचा है.
मलबे से पुनर्निमाण
ज्वालामुखी की राख और उसका लावा बारिश की वजह से कंक्रीट की तरह सख्त हो गया है. अब किसी तरह उसे साफ किया जा रहा है. पत्थर जैसे हो चुके लावे का इस्तेमाल निर्माण में किया जाएगा. वहीं राख बेचकर मिले पैसे को पुनर्निमाण में लगाया जाएगा.
उजड़ गया लास मनचास
साफ-सफाई और पुनर्निमाण का काम कब तक पूरा होगा, इसे लेकर पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा रहा है. लास मनचास जैसे कुछ मुहल्ले तो पूरी तरह उजड़ चुके हैं. अधिकारियों का कहना है कि इलाके को फिर बसाने में कम से कम 90 करोड़ यूरो का खर्च आएगा.
सफाई में भी जोखिम
ज्वालामुखी के मलबे में कुछ जगहों पर अब भी जहरीली गैसें दबी हो सकती हैं. स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक पहले खिड़की-दरवाजे खोलकर ताजा हवा को भीतर जाने दें. गैस लगने का शक होने पर तुरंत हॉस्पिटल जाने की सलाह भी दी गई है.
भूखी बिल्लियों की कराह
रिहाइशी इलाकों तक लावा पहुंचने से पहले ही 7000 लोगों को वहां से निकाल दिया गया. लेकिन बहुत सी पालतू बिल्लियां वहीं रह गईं. राख और मलबे के इस गुबार में अब कई भूखी बिल्लियों की कराह भी गूंजती है.
न जाने कब होगी फसल
केले का यह फॉर्म लावे की चपेट में आया. जहां तक लावा पहुंचा, वहां तक फसल खाक हो गई. ऐसा नजारा कई खेतों में है. वैज्ञानिकों का कहना है कि ज्वालामुखी भविष्य में फिर से थर्रा सकता है.