विवादों में वेब सीरीज "तांडव"
१८ जनवरी २०२१सैफ अली खान की विवादों में घिरी वेब सीरीज "तांडव" के खिलाफ उत्तर प्रदेश के लखनऊ में पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की है. पुलिस ने अमेजन प्राइम की कंटेंट प्रमुख अपर्णा पुरोहित, सीरीज के निर्देशक अली अब्बास जफर, निर्माता हिमांशु कृष्ण मेहरा और लेखक गौरव सोलंकी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता 153 (ए), 295, 505 (1) (बी), 505 (2) समेत सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की भी धाराएं लगाई हैं. भारतीय दंड संहिता 153 (ए) धारा समाज में नफरत पैदा करने और अलग-अलग जातियों और धर्म के बीच सौहार्द बिगाड़ने वाले भाषण के खिलाफ लगाई जाती है. इस धारा के तहत दोषी पाए जाने पर सजा हो सकती है और साथ ही साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है. धारा 505 के तहत भड़काऊ बयान जिससे सामाजिक अव्यवस्था फैल सकती है, पर तीन साल की सजा या जुर्माना या फिर दोनों ही लगाए जा सकते हैं.
अमेजन की वेब सीरीज तांडव से जुड़े चार लोगों के खिलाफ इन्हीं धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया. तांडव पर हिंदू देवी-देवताओं के अपमान और जातिगत भावनाओं को भड़काने के आरोप लगाए जा रहे हैं तो वहीं सोशल मीडिया पर इसे बैन करने की मांग की जा रही है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी ने यूपी में मामला दर्ज करने की पुष्टि की. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "वेब सीरीज की पूरी टीम के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाएगी. वेब सीरीज ने समाज में माहौल बिगाड़ने का काम किया है और हम चाहते हैं कि ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो." कई बार सवाल उठते हैं कि मामले में विशेष राज्य की पुलिस ने तत्काल कार्रवाई की और एफआईआर दर्ज कर ली, इस पर सुप्रीम कोर्ट के वकील एम आर शमशाद डीडब्ल्यू से कहते हैं कि अपराध पंजीकरण की अवधारणा सीआरपीसी से आती है और दूसरा मुद्दा होता है कार्रवाई का कारण जैसे हत्या या बलात्कार के मामले. वे आगे समझाते हैं, "इस कॉन्सेप्ट में इंटरनेट जहां-जहां पहुंच रहा है वहां-वहां कार्रवाई का कारण बन रहा है. भारतीय क्षेत्र में जहां भी कोई इंटरनेट खोल कर इसे देख सकता है वहां एफआईआर बन सकती है. भारतीय कानून के मुताबिक यह स्थापित है." शमशाद कहते हैं कि इस तरह से एफआईआर दर्ज करना सही है और बतौर सबूत वेब सीरीज इंटरनेट पर तो मौजूद ही है.
नाराज होने का डर!
वेब सीरीज के आने के बाद ही बीजेपी के कुछ नेताओं ने अपनी आपत्ति दर्ज करानी शुरू कर दी थी. महाराष्ट्र के नेताओं ने सबसे पहले इस मुद्दे को उठाया था और विशेष तौर पर सैफ अली खान का नाम लिया था और उनकी मंशा पर सवाल उठाए थे. महाराष्ट्र के बीजेपी विधायक राम कदम ने सैफ अली खान से सवाल किया था और पूछा था हर बार क्यों हिंदू देवी देवताओं को फिल्मों और वेब सीरीज में अपमानित करने का काम किया जाता है. उन्होंने कहा था, "निर्देशक अली अब्बास जफर को सीरीज से शिव का मजाक बनाने वाला हिस्सा हटाना होगा और अभिनेता जीशान अयूब को माफी मांगनी होगी. जब तक जरूरी बदलाव नहीं होते तब तक तांडव का बहिष्कार किया जाएगा." कदम ने भी मुंबई में शिकायत दर्ज कराई है. बीजेपी ही नहीं कुछ साधु संतों ने भी सीरीज को लेकर आपत्ति दर्ज कराई. मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि साधु संतों ने तांडव को बैन करने की मांग की है. वहीं इस पर शलभ कहते हैं, "देखिए पूरी सीरीज वापस ली जाए या नहीं या फिर कुछ खास दृश्य हटाए जाए यह तो निर्माताओं के ऊपर है. वेब सीरीज ने जरूर भावनाओं को आहत किया है."
लखनऊ के हजरतगंज में वरिष्ठ उपनिरीक्षक की तहरीर में तांडव के उन दृश्यों का जिक्र किया गया है जहां कथित तौर पर हिंदू देवी-देवताओं को अमर्यादित तरीके से दिखाकर धार्मिक और जातिगत भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया गया है. इसी के साथ तहरीर में कहा गया है कि देश के प्रधानमंत्री जैसे पद को ग्रहण करने वाले व्यक्ति का चित्रण भी बेहद अशोभनीय तरीके से किया गया है. इससे पहले शिकायतों का संज्ञान लेते हुए सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने अमेजन प्राइम को नोटिस देकर स्पष्टीकरण मांगा था. मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से मीडिया में आई खबरों में कहा गया कि शिकायतों पर मंत्रालय बेहद गंभीर है. रिपोर्टों के मुताबिक अमेजन से सभी शिकायतों और आरोपों पर जवाब मांगा गया है और अगर संतोषजन जवाब नहीं मिलता है तो अमेजन प्राइम और वेब सीरीज के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है.
सिनेमा में राजनीतिक दखल
दूसरी ओर बीएसपी प्रमुख मायावती ने भी तांडव से आपत्तिजनक दृश्य को हटाने की मांग की है. मायावती ने ट्वीट कर कहा, "तांडव वेब सीरीज में धार्मिक व जातीय आदि भावना को आहत करने वाले कुछ दृश्यों को लेकर विरोध दर्ज किए जा रहे हैं, जिसके संबंध में जो भी आपत्तिजनक है उन्हें हटा दिया जाना उचित होगा ताकि देश में कहीं भी शान्ति, सौहार्द और आपसी भाईचारे का वातावरण खराब न हो." तांडव से जुड़े विवाद को देखते हुए मुंबई पुलिस ने अभिनेता सैफ अली खान की सुरक्षा बढ़ा दी है. अमेजन प्राइम और वेब सीरीज के निर्माता-निर्देशक ने अभी तक आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. यह पहला मौका नहीं जब कोई वेब सीरीज या फिल्म राजनीतिक दलों या संगठनों के निशाने पर आई हो. इससे पहले बॉबी देओल की वेब सीरीज आश्रम के खिलाफ राजस्थान में एससी-एसटी कानून के तहत मामला दर्ज हो चुका है. महिला नेताओं पर बनी फिल्म क्वीन और मैडम चीफ मिनिस्टर भी विवादों में घिर चुकी है. दोनों ही फिल्म महिला के सत्ता पर काबिज होने पर आधारित है. तांडव वेब सीरीज भी राजनीतिक दांव पेच पर आधारित है और सैफ अली खान एक नेता की भूमिका में नजर आ रहे हैं.
पिछले कुछ सालों में अभिव्यक्ति की आजादी पर भी काफी विवाद हो चुका है और आरोप लगते आए हैं कि बॉलीवुड खासतौर इसका फायदा उठाता है और विशेष वर्ग की भावनाओं को ठेस पहुंचाता है. शमशाद कहते हैं, "पुलिस के लिए कभी गैर-गंभीर मामला गंभीर बन जाता है और कभी-कभी गंभीर मामला दिखाई ही नहीं पड़ता है." वे कहते हैं, "राज्य का पक्षपातपूर्ण रवैया हो जाए तो इंसाफ का नुकसान होता है और वही हुआ है बहुत सारे मामलों में." शमशाद कहते हैं कि कलाकारों को कुछ छूट है लेकिन एक दायरे के अंदर उन्हें भी रहना पड़ता है और उस दायरे के बाहर अगर कोई जाता है तो तथ्यों के आधार पर यह देखा जाएगा कि यह अपराध की श्रेणी में आता है या नहीं आता है.
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