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विवादयूरोप

नाटो की बैठक: यूक्रेन को नो फ्लाई जोन ना बनाने की मांग

४ मार्च २०२२

लक्जमबर्ग के विदेश मंत्री ने यूक्रेन को नो फ्लाई जोन न बनाने की चेतावनी दी है. नाटो देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में उन्होंने कहा कि ऐसा किया तो गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.

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अमेरिकी वायु सेना का एफ-16
अमेरिकी वायु सेना का एफ-16तस्वीर: Ssgt. Trevor T. Mcbride/U.S. Air/ZUMA Wire/imago images

यूक्रेन के कई अहम शहरों में जारी रूसी हमले के बीच यूरोपीय देशों और नाटो के अधिकारियों की लगातार बैठकें हो रही हैं. शुक्रवार को नाटो देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान यूक्रेन को नो फ्लाई जोन घोषित करने का मुद्दा भी उठा. इस मांग का विरोध करते हुए लक्जमबर्ग के विदेश मंत्री ज्यां असेलबॉर्न ने कहा इससे विवाद और ज्यादा भड़केगा.

असेलबॉर्न ने कहा, नो फ्लाई जोन "कौन लागू करवाएगा?" उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर नाटो ने यूक्रेन युद्ध में दखल दिया तो इसके नतीजे भयावह हो सकते हैं. साथी विदेश मंत्रियों से बातचीत के दौरान असेलबॉर्न ने कहा, "मुझे लगता है कि हमारे पैर जमीन पर ही रहने चाहिए." 

असेलबॉर्न के इन बयानों से पहले स्पेन के विदेश मंत्री खोसे मानुएल अल्बारेस ने कहा था कि नो फ्लाई जोन के मुद्दे पर बातचीत नाटो के विदेश मंत्री की बैठक के दौरान होगी. यूक्रेनी राष्ट्रपति और कई नेता भी रूसी हमले को कमजोर करने के लिए यूक्रेन को नो फ्लाई जोन घोषित करने की मांग करते आ रहे हैं.

रूस के फाइटर जेट सुखोई-35
रूस के फाइटर जेट सुखोई-35तस्वीर: Russian Defense Ministry Press Service/ AP/picture alliance

क्या होता है नो फ्लाई जोन

नो फ्लाई जोन (एनएफजेड) उस इलाके को कहा जाता है, जिसके ऊपर विमानों के उड़ान भरने पर प्रतिबंध हो. आम तौर पर ऐसा सुरक्षा कारणों से किया जाता है. शांतिपूर्ण माहौल में, अहम आयोजनों के दौरान कई देश किसी खास इलाके या शहर को एनएफजेड घोषित करते हैं.

दूसरी तरफ सैन्य संघर्ष में नो फ्लाई जोन बहुत संवेदनशील मुद्दा बन जाता है. नो फ्लाई जोन घोषित करने वाले देश या संगठन के लड़ाकू विमान, एनएफजेड इलाके की निगरानी करते हैं. अगर कोई दूसरा विमान नो फ्लाई जोन में घुसता है तो उसे जबरदस्ती नीचे उतारा या फिर गिराया जा सकता है. 1990 के दशक में इराक और बोस्निया में संघर्ष के दौरान इन देशों को नो फ्लाई जोन घोषित किया गया था. हाल के बरसों में कुछ समय तक पूर्वी यूक्रेन, सीरिया और लीबिया को नो फ्लाई जोन घोषित किया जा चुका है.

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लेकिन पूरे यूक्रेन को नो फ्लाई जोन घोषित करने का सीधा मतलब है, रूस से सीधा टकराव. अगर नाटो यूक्रेन को नो फ्लाई जोन घोषित करता है तो उसे निगरानी के लिए अपने फाइटर जेट यूक्रेन के ऊपर उड़ाने होंगे. और इस दौरान नाटो का सीधा सामना रूसी विमानों और हेलिकॉप्टरों से होगा. यही वजह है कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन समेत नाटो के तमाम नेता यूक्रेन को नो फ्लाई जोन घोषित करने से साफ इनकार कर रहे हैं.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पहले ही चेतावनी दे चुके है कि अगर कोई तीसरा देश इस संघर्ष में कूदा तो वह अपने इतिहास का सबसे बुरा दौर देखेगा.

यूक्रेन में रूसी फौज की मौजूदगी
यूक्रेन में रूसी फौज की मौजूदगी

"यूक्रेन विवाद में बेलारूस की भूमिका नहीं"

इस बीच रूस का साथ देने के कारण दबाव झेल रहे बेलारूस के राष्ट्रपति आलेक्जांडर लुकाशेंको ने शुक्रवार को सरकारी मीडिया के जरिए देश को संबोधित करते हुए कहा, "बेलारूस की सेना ने स्पेशल ऑपरेशंस में हिस्सा नहीं लिया है और आगे भी इसमें हिस्सा लेने का कोई इरादा नहीं है." यूक्रेन की उत्तरी सीमा बेलारूस से लगती है. दोनों देशों के बीच 1,084 किलोमीटर लंबा बॉर्डर है.

यूक्रेन में रूसी सेना के दाखिल होने से ठीक पहले लुकाशेंको ने मॉस्को जाकर रूसी राष्ट्रपति से मुलाकात की थी. फरवरी में बेलारूस में रूसी सेना का बड़ा जमावड़ा लगा, जिसे उस वक्त सामान्य सैन्याभ्यास बताया गया. बाद में बेलारूस की तरफ से भी रूसी सेना यूक्रेन में दाखिल हुई.

बेलारूस के राष्ट्रपति आलेक्जांडर लुकाशेंको
बेलारूस के राष्ट्रपति आलेक्जांडर लुकाशेंकोतस्वीर: BelTA/AP/dpa/picture alliance

पड़ोस में छिड़े तीखे सैन्य संघर्ष के बीच लुकाशेंको ने बेलारूसी जनता से कहा, "आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है." 67 साल के लुकाशेंको को पश्चिमी मिलिट्री एक्सपर्ट पुतिन की कठपुतली कहते हैं. बेलारूसी राष्ट्रपति पर आरोप हैं कि उन्होंने यूक्रेन युद्ध में रूसी सेना की भरपूर मदद की. जनता को संबोधित करते हुए लुकाशेंको ने यह भी कहा कि बेलारूस को यूक्रेन के संघर्ष में घसीटने की भरसक कोशिशें की जा रही हैं.

20 जुलाई 1994 से राष्ट्रपति पद पर बैठे लुकाशेंको को यूरोप का आखिरी तानाशाह भी कहा जाता है. यह बात किसी से नहीं छुपी है कि यूक्रेन में घुसने वाले रूसी विमानों, हेलिकॉप्टरों और मिसाइलों को लुकाशेंको ने बेलारूस में सुरक्षित ठिकाना मुहैया कराया. इसके साथ ही बेलारूस ने खुद को बार बार रूस और यूक्रेनी अधिकारियों की बातचीत के लिए मेजबान के तौर पर भी पेश किया.

यूक्रेन सरकार का दावा है कि एक समय उनके देश में बेलारूस की फौज भी या तो लड़ रही थी या लड़ने की तैयारी कर रही थी.

ओएसजे/एके (डीपीए, एएफपी)