रेल और समंदर के जरिए यूरोप से ऐसे जुड़ेगा भारत
१० सितम्बर २०२३भारत ने जी20 शिखर सम्मेलन के इतर अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, यूरोपीय संघ, जर्मनी, फ्रांस और इटली के साथ मिलकर रेल-समुद्र आर्थिक गलियारे के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है. यह एक महत्वाकांक्षी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है जिसको चीन की बेल्ट एंड रोड इनेशिएटिव (बीआरआई) के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे की तारीफ की है. मोदी ने कहा कि यह साझा सहयोग आकांक्षाओं और सपनों की यात्रा को विस्तार प्रदान करते हुए सहयोग, इनोवेशन व साझा प्रगति का प्रतीक बनने का भरोसा देता है.
मोदी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा है, "जैसे-जैसे इतिहास सामने आ रहा है, यह गलियारा मानवीय प्रयास और महाद्वीपों में एकता का प्रमाण बन सकता है."
ऐसे करेंगे चीन का मुकाबला
आधिकारिक तौर पर इसे "इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर" (आईएमईसी) कहा जा रहा है, इसे आधुनिक स्पाइस रूट के रूप में और अधिक महत्वपूर्ण रूप से चीन की बेल्ट एंड रोड इनेशिएटिव के लिए एक महत्वपूर्ण वैचारिक विकल्प के रूप में देखा जा रहा है.
यह आर्थिक गलियारा कई मायनों में अहम माना जा रहा है और इस आर्थिक गलियारे में एक रेल और बंदरगाहों से जुड़ा नेटवर्क बनाया जाएगा. इसमें सात देश पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट (पीजीआईआई) के तहत निवेश करेंगे.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला फॉन डेय लाएन ने जी20 शिखर सम्मेलन से इतर इस प्रोजेक्ट का ऐलान किया.
पीजीआईआई और आईएमईसी के साझेदारी के मौके पर यूरोपीय आयोग की प्रमुख ने कहा, "पहला, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा. यह ऐतिहासिक है. यह रेल लिंक के साथ भारत, अरब की खाड़ी और यूरोप के बीच आज की तारीख में अधिक सीधा कनेक्शन होगा जो भारत और यूरोप के बीच व्यापार को 40 प्रतिशत बढ़ा देगा."
आर्थिक गलियारे से कहीं आगे
इस योजना में डाटा, रेल, बिजली और हाईड्रोजन पाइपलाइन प्रोजेक्टस को शामिल किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट के जरिए भारत और यूरोप के बीच व्यापार 40 फीसदी तक बढ़ जाएगा. डेय लाएन ने कहा, "एशिया, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच स्वच्छ ऊर्जा व्यापार को बढ़ावा देने के लिए बिजली केबल और स्वच्छ हाइड्रोजन पाइपलाइन भी बिछाई जाएगी."
उन्होंने कहा, "हाई स्पीड डाटा केबल दुनिया के कुछ सबसे नवीन डिजिटल ईको सिस्टम को जोड़ेगा और पूरे रास्ते में व्यापार के अवसर पैदा करेगा. यह भावी प्रोजेक्ट दुनिया के लिए तेज, छोटी, स्वच्छ दुनिया के लिए अत्याधुनिक कनेक्शन हैं. यह गलियारा सिर्फ एक रेलवे या केबल से कहीं अधिक है, यह महाद्वीपों और सभ्यताओं तक हरित और डिजिटल पहुंच है."
डेटा से लेकर गैस पाइपलाइन तक
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा, "यह वास्तव में एक बड़ी बात है. मैं प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देना चाहता हूं. एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य यही इस जी20 शिखर सम्मेलन का फोकस है और कई मायनों में यह इस साझेदारी का भी फोकस है. हम आज के बारे में बात कर रहे हैं."
अमेरिकी विदेश विभाग के अधिकारियों के मुताबिक आईएमईसी में दो अलग-अलग गलियारे शामिल होंगे. पूर्वी गलियारा भारत को अरब की खाड़ी से जोड़ेगा और उत्तरी गलियारा अरब की खाड़ी को यूरोप से जोड़ेगा.
इस प्रोजेक्ट में शामिल देशों का मानना है कि यह गलियारा दक्षता बढ़ाएगा, लागत कम करेगा और आर्थिक एकता बढ़ाएगा, नई नौकरियां पैदा होंगी और ग्रीन हाउस गैसों के उतसर्जन को कम करेगा.