प्रकृति हमें मुफ्त में बहुत कुछ बांटती है. अगर इसकी कीमत लगानी पड़े तो कोई अंदाजा कि कितनी कीमत चुकाएंगे हम? हरित अर्थशास्त्री कहते हैं कि हम पेड़ों, व्हेलों और मधुमक्खियों जैसी कुदरती नेमतों को बचा सकते हैं उनकी एक कीमत लगाकर. क्या वाकई यह एक अच्छा विचार है?