तेजी से क्यों बढ़ रही पाकिस्तान की जनसंख्या
७ अप्रैल २०२३पाकिस्तान के पश्चिमी प्रांत बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा के निवासी 50 वर्षीय सरदार जन मुहम्मद खिलजी को गर्व है कि उनके कई बच्चे हैं. कथित तौर पर जनवरी महीने में उनके 60वें बच्चे का जन्म हुआ. खिलजी ने बताया कि उनकी तीन पत्नियां हैं और इन तीनों पत्नियों से उनके इतने बच्चे हुए हैं. हालांकि, उन्होंने इस बारे में डीडब्ल्यू से और अधिक बात करने से इनकार कर दिया.
अफगानिस्तान की सीमा से सटे पाकिस्तान के कबायली इलाके उत्तरी वजीरिस्तान के रहने वाले मस्तान खान वजीर ने डीडब्ल्यू को बताया कि उनके कुल 22 बच्चे हुए, जिनमें से कुछ की मौत हो चुकी है. 70 वर्षीय वजीर ने कहा कि वे खुद को अभी भी जवान मानते हैं और चौथी शादी करना चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि उनकी सभी पत्नियां एक ही कबीले से हैं. उनमें से एक उनके छोटे भाई की विधवा है. उनके भाई भारतीय सैनिकों से लड़ते हुए भारत प्रशासित कश्मीर में मारे गए थे.
वह कहते हैं, "मैं और बच्चे पैदा करना चाहता हूं, ताकि वे काफिरों और दुश्मनों से लड़ सकें. मुझे गर्व है कि मेरे एक दर्जन से अधिक बच्चे हैं.” वजीर ने कहा कि वह अपनी तीनों पत्नियों को अलग-अलग रखते हैं. एक उत्तरी वजीरिस्तान में है, दूसरी डेरा इस्माइल खान में है और तीसरी पत्नी रावलपिंडी में है. अगर मैं उन्हें साथ रखूंगा, तो वे आपस में झगड़ा करेंगी.
वजीर ने कहा कि इतने बच्चे होने के बावजूद परिवार नियोजन से जुड़ी टीम कभी उनके इलाके में नहीं आयी. उन्होंने कहा, "अगर वे आए भी होते, तो कोई उनकी बात नहीं सुनता. वे हमें और बच्चे पैदा करने से नहीं रोक सकते. ये बच्चे अल्लाह की नेमत हैं.”
पाकिस्तान की बढ़ती आबादी
पाकिस्तान दुनिया का पांचवां सबसे अधिक आबादी वाला देश है. विश्व बैंक के अनुसार, 2021 में इसकी आबादी लगभग 23.14 करोड़ तक पहुंच गई. 2022 में, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष ने गणना की कि पाकिस्तान की प्रजनन दर प्रति महिला लगभग 3.3 बच्चे हैं.
रूढ़िवादी इस्लामिक देश पाकिस्तान, दुनिया में सबसे अधिक जन्म दर वाले देशों में से एक है. यहां हर 1,000 व्यक्ति पर जन्म दर 22 है. वर्ल्ड पॉप्युलेशन रिव्यू का अनुमान है कि 2092 में देश की जनसंख्या 40.468 करोड़ तक पहुंच जाएगी.
ज्यादा बच्चे क्यों पैदा कर रहे परिवार
पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत की राजनीतिज्ञ और पूर्व विधायक यास्मीन लहरी का मानना है कि पाकिस्तान के लोग ज्यादा से ज्यादा लड़के पैदा करना चाहते हैं. इस वजह से वे कई बच्चे पैदा करते हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया कि कबायली समाज में लड़कों का होना रुतबे और ताकत का प्रतीक होता है. जिन परिवारों में ज्यादा बच्चे होते हैं उनके पास ज्यादा ताकत और प्रभाव होता है.
लहरी ने कहा, "पुरुष तब तक बच्चे पैदा करते हैं, जब तक उन्हें बेटा पैदा न हो. अगर उन्हें पहली या दूसरी पत्नी से बेटा पैदा नहीं होता है, तो वे तीसरी और चौथी शादी भी करते हैं.”
वहीं पाकिस्तानी सांसद किश्वर जेहरा ने कहा कि कुछ परिवारों का मानना है कि अधिक बच्चे होने से उनकी आय में वृद्धि हो सकती है. उन्होंने कहा, "यही कारण है कि वे ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करते हैं. लड़के कारखानों और फैक्टरियों में काम करते हैं और लड़कियां घरों में काम करती हैं.”
पंजाब में नेशनल प्रोग्राम हेल्थ एम्प्लॉइज एसोसिएशन की केंद्रीय अध्यक्ष रुखसाना अनवर धार्मिक मौलवियों को परिवार नियोजन में सबसे बड़ी बाधा के रूप में देखती हैं. उन्होंने डॉयचे वेले को बताया कि ज्यादातर महिला स्वास्थ्य कर्मियों को विरोध का सामना करना पड़ता है, क्योंकि मौलवियों का तर्क है कि परिवार नियोजन इस्लाम विरोधी है. इस वजह से परिवार नियोजन को सामाजिक कलंक के तौर पर माना जाता है.
हालांकि, राजनीतिक दल जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम इस तर्क का खंडन करते हैं कि मौलवी जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के उद्देश्य से किए गए प्रयासों को रोकने के लिए जिम्मेदार हैं. पार्टी के एक नेता मुहम्मद जलाल-उद-दीन ने डीडब्ल्यू को बताया कि उनकी पार्टी लोगों को परिवार नियोजन के लिए मजबूर करने में विश्वास नहीं करती है.
उन्होंने कहा, "मौलवी परिवार नियोजन का विरोध नहीं करते हैं. हर कोई अपनी इच्छा से परिवार नियोजन कर सकता है, लेकिन अगर कोई परिवार ऐसा नहीं करना चाहता है, तो उसे मजबूर नहीं किया जाना चाहिए.”
महिलाओं पर जनसंख्या वृद्धि का बोझ
आर्थिक संकट की वजह से पाकिस्तान सरकार के पास धन की कमी है. देश का जनसंख्या विभाग भी इस संकट से अछूता नहीं है. सरकारी कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें वेतन भी देरी से मिल रहा है.
नेशनल प्रोग्राम हेल्थ एम्प्लॉइज एसोसिएशन की रुखसाना अनवर ने डीडब्ल्यू को बताया कि सरकार महिला स्वास्थ्य कर्मियों को गर्भ निरोधक मुहैया नहीं करा रही है. संबंधित सरकारी विभागों के पास
गर्भ निरोधक गोलियों, इंजेक्शन और कंडोम की कमी है. उनका कहना है कि इन्हें खरीदने के लिए उनके पास धन नहीं है.
स्वास्थ्य कार्यकर्ता ने कहा कि पाकिस्तान मातृत्व संबंधी मौतों को रोकने पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रहा है. अनवर ने कहा, "हम यह नहीं कहते कि ऐसी मौतों को रोकना जरूरी नहीं है, लेकिन जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना भी महत्वपूर्ण है.”
कराची में रहने वाले स्वास्थ्य विशेषज्ञ और पाकिस्तान मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष टीपू सुल्तान का मानना है कि अधिकारी परिवार नियोजन को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. उन्होंने कहा, "कुछ लोग चाहते हैं कि जनसंख्या वृद्धि का यह मुद्दा यूं ही बना रहे, ताकि देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुदान और धन मिल सके.”
पाकिस्तान में महिलाओं को बच्चे पैदा करने और बड़े परिवारों का भरण-पोषण करने का खामियाजा भुगतना पड़ता है. इसका नतीजा यह होता है कि उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
2018 के पाकिस्तान पोषण सर्वेक्षण का हवाला देते हुए यूनिसेफ की पाकिस्तान मातृ-पोषण रणनीति रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि मां बनने की उम्र वाली महिलाओं में से 14.4 फीसदी का वजन कम है, 24 फीसदी से अधिक ज्यादा वजन वाली हैं, 13.8 फीसदी मोटापे से ग्रसित हैं, 41.7 फीसदी को खून की कमी है और 22.4 फीसदी में विटामिन ए की कमी है.
सुल्तान ने कहा, "मैंने देखा है कि बेहद कमजोर महिलाएं भी बार-बार गर्भधारण कर रही हैं. कमजोर महिलाएं कमजोर बच्चों को जन्म देती हैं और वे कुपोषित बच्चों की श्रेणी में शामिल हो जाते हैं. इस वजह से वे सामान्य बच्चों की तरह विकसित भी नहीं हो पाते.”