कौन खरीद रहा है रूस का कच्चा तेल
ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा और अमेरिका रूस के तेल पर प्रतिबंध लगा चुके हैं. लेकिन कई देश रूस का तेल लगातार खरीद रहे हैं. देखिए, अभी भी कौन खरीद रहा है रूस का कच्चा तेल...
हंगरी
हंगरी की तेल कंपनी एमओएल क्रोएशिया, हंगरी और स्लोवायिका में तेल शोधन के तीन कारखाने चला रही है और उसे रूस से ही तेल मिल रहा है. हंगरी ने रूस पर गैस और तेल क्षेत्र के प्रतिबंधों का विरोध किया था.
पोलैंड
पोलैंड की सबसे बड़ी तेल कंपनी पीकेएन ओरलेन अपने पोलैंड, लिथुआनिया और चेक रिपब्लिक स्थित कारखानों के लिए रूस से तेल खरीद रही है.
जर्मनी
जर्मनी की सबसे बड़ी रिफाइनरी मीरो में 24 प्रतिशत हिस्सा रूसी कंपनी रोसनेफ्ट का है. कंपनी का 14 प्रतिशत कच्चा तेल रूस से आ रहा है. इसके अलावा जर्मनी की पीसीके श्वेट में रोसनेफ्ट की 54 फीसदी हिस्सेदारी है और यह भी रूसी कच्चे तेल का इस्तेमाल कर रही है. एक अन्य जर्मन रिफाइनरी लेऊना भी रूसी कच्चे तेल पर ही चल रही है.
ग्रीस
ग्रीस का सबसे बड़ा तेल शोधक कारखाना हेलेनिक पेट्रोलियम अपनी जरूरत का 15 प्रतिशत कच्चा तेल रूस से खरीद रहा है. कंपनी ने सऊदी अरब से भी हाल ही में काफी तेल खरीदा है.
बुल्गारिया
बुल्गारिया की नेफ्टोचिम बर्जस नामक रिफाइनरी का मालिकाना हक रूस की लूक ऑयल के पास है. इसका 60 प्रतिशत ईंधन रूस से आता है.
इटली
इटली की सबसे बड़ी रिफाइनरी आईएसएबी पर लूकऑयल का कब्जा है और वहां भी कुछ कच्चा तेल रूस से आ रहा है.
नीदरलैंड्स
डच कंपनी जीलैंड रिफाइनरी में लूक ऑयल की 45 फीसदी हिस्सेदारी है. जब समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने उनसे पूछा कि वे रूस से तेल खरीद रहे हैं या नहीं, तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. एक अन्य डच कंपनी एक्सॉन मोबिल ने भी इस बारे में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
भारत
भारत की दो बड़ी तेल कंपनियां हिंदुस्तान पेट्रोलियम और इंडियन ऑयल ने हाल ही में रूस से कुल मिलाकर कम से कम 50 लाख बैरल तेल खरीदा है. भारत की निजी तेल कंपनी नायारा एनर्जी में रूस की रोसनेफ्ट की हिस्सेदारी है और उसने भी 18 लाख बैरल तेल खरीदा है.