क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कभी मानव सोच को टक्कर दे सकेगी?
२१ अक्टूबर २०२२दुनिया के कुछ सबसे अच्छे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम इतने बुद्धिमान हैं कि वो आदमी को शतरंज या पोकर जैसे खेल में हराने के लिए मशहूर हैं. कुछ ऐसे भी हैं जो अपनी इस क्षमता के लिए जाने जाते हैं कि बिल्लियों को कैसे पहचाना जा सकता है या फिर काले रंग के लोगों को पहचानने की अक्षमता के कारण उन्हें जाना जाता है.
लेकिन क्या मौजूदा एआई सिस्टम खिलौनों से ज्यादा भी कुछ हैं? यह ठी0क है कि खेलने की उनकी क्षमता या जानवरों को पहचानने की उनकी क्षमता प्रभावकारी है लेकिन क्या इससे लाभकारी एआई सिस्टम बनाने की दिशा में मदद मिलेगी? इस सवाल के जवाब के लिए हमें कुछ पीछे हटना होगा और इस सवाल पर आना होगा कि एआई के लक्ष्य क्या हैं?
एआई भूतकाल का विश्लेषण करते हुए भविष्य के बारे में बताने की कोशिश करता है
एआई का मूल विचार बहुत सामान्य है: भविष्य के बारे में सटीक भविष्यवाणियां करने के लिए अतीत का विश्लेषण करना. यह हर तरह के निर्देशों का पालन करने में सक्षम दिखता है. मसलन, आप कोई प्रॉडक्ट खरीदना चाहते हैं तो गूगल उसी प्रॉडक्ट का विज्ञापन दिखाने लगता है, कोई तस्वीर आपकी या आपके पड़ोसी से मेल खाती है, इसका अनुमान लगा लेता है.
एआई का इस्तेमाल इस बात का आकलन करने में भी होता है कि किसी व्यक्ति को कैंसर है या नहीं या फिर मरीजों की मेडिकल रिपोर्ट का परीक्षण करने में भी इसका उपयोग होता है.
प्लूरिबस नामक पोकर खेलने वाला बॉट 2019 में दुनिया के शीर्ष पोकर खिलाड़ियों को हराने में सक्षम था, यह अनुमान लगाने में सक्षम था कि वह मनुष्यों को धोखा दे सकता है.
भविष्यवाणी करने के लिए बड़ी संख्या में आंकड़ों की जरूरत होती है और इनके तुरंत विश्लेषण के लिए संसाधनों की जरूरत होती है. उदाहरण के लिए, प्लूरिबस ताश के अरबों डेटा को मिलीसेकंड्स में फिल्टर कर देता है.
यह कई पैटर्न्स को एकसाथ जोड़ता है ताकि इस गेम के कई संभावित रूप बन सकें. यह हमेशा आगे का काम करने के लिए अपने डेटा इतिहास को देखता है और यह कभी नहीं सोचता कि आगे देखने का क्या मतलब है.
प्लूरिबस, अल्फागो, अमेजॉन रेकग्नीशन- जैसे कई एल्गोरिदम हैं जो अपना काम बहुत ही प्रभावी तरीके से करते हैं और कुछ तो इतने अच्छे हैं कि कई बार ये उस खेल में माहिर लोगों को भी हरा देते हैं.
ये सभी उदाहरण इस बात का प्रमाण हैं कि अनुमान लगाने में एआई कितने प्रभावी हैं. सवाल यह है कि आप किस काम को अच्छे तरीके से करना चाहते हैं.
मानव बुद्धि सामान्य है, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस संकीर्ण है
एआई सिस्टम वास्तव में केवल एक ही कार्य कर सकता है. उदाहरण के लिए, प्लुरिबस अपने काम में इतना विशिष्ट होता है कि एक ओर तो वो कार्ड गेम (ताश) में माहिर है लेकिन ब्लैकजैक जैसा दूसरा कार्ड गेम खेल भी नहीं सकता. अकेले कार चलाने या विश्व प्रभुत्व की योजना बनाने की बात तो दूर की है.
यह मानव बुद्धि के बिल्कुल विपरीत है. इसकी प्रमुख विशेषताओं में से एक यह भी है कि हम इसका सामान्यीकरण कर सकते हैं. हम जीवन में कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक कुशल हो जाते हैं- कैसे चलना है, कैसे ताश खेलना है या फिर कैसे कोई लेख लिखना है. हमे इनमें से कुछ क्षेत्र में विशेषज्ञ हो सकते हैं, यहां तक कि इससे अलग किसी क्षेत्र में करियर भी बना सकते हैं हो सकते हैं लेकिन हम अभी भी अपने अन्य कार्यों को सीखने और उन्हें करने में सक्षम हैं.
इसके अलावा, हम कौशल का हस्तांतरण भी कर सकते हैं- एक क्षेत्र में प्राप्त ज्ञान का दूसरे में इस्तेमाल करके.
एआई सिस्टम मूल रूप से इस तरह से काम नहीं करते हैं. वे दोहराव के माध्यम से सीखते हैं या कम से कम तक जब तक कि बिजली बहुत ज्यादा खर्च नहीं हो जाती. अरबों पुनरावृत्तियों और ढेरों गणनाओं के माध्यम से भविष्यवाणी काफी सटीक होती है. यदि डेवलपर्स चाहते हैं कि एआई मानव बुद्धि की तरह बहुमुखी हों तो एआई को अधिक सामान्य होना पड़ेगा और बुद्धिमत्ता को हस्तांतरित करने की क्षमता का विकास का विकास करना होगा.
आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस
और एआई की संकीर्णता भी अब बदल रही है. इसे पूरी तरह से जो जीच बदलने के लिए तैयार है वो है आर्टिफिसयल जनरल इंटलीजेंस. मनुष्यों की तरह से ये काफी कुछ काम करने में सक्षम होते हैं जैसे आर्टिफिसयल जनरल इंटलीजेंस एक साथ कई तरह के काम कर सकेंगे और सभी काम ऐसे करेंगे जैसे किसी विशेषज्ञ ने किए हैं.
इस तरह के एजीआई अभी बने तो नहीं हैं लेकिन गूगल सब्सिडियरी डीपमाइनंड में रिसर्च साइंटिस्ट इरिना हिगिन्स के मुताबिक हम इससे बहुत दूर नहीं हैं. डीडब्ल्यू से बातचीत में हिगिन्स कहती हैं, "10-15 साल पहले एजीआई को लोग एक सपना समझते थे. लोगों को लगता है कि इसे बनाने में 1500 साल लग जाएंगे या फिर शायद कभी बना ही न पाएं. लेकिन इसे हम अपने जीवनकाल में ही देख ले रहे हैं.”
विज्ञान के क्षेत्र में कई बड़ी समस्याओं के हल के लिए एजीआई के इस्तेमाल की योजनाओं पर काम हो रहा है जैसे अंतरिक्ष के बारे में पता लगाने और कैंसर के इलाज में.
लेकिन एजीआई की क्षमता के बारे में जितना आप पढ़ेंगे, तो यह विज्ञान से ज्यादा विज्ञानकथा सरीखा मालूम होने लगता है. कल्पना करिए कि सिलिकॉन, प्लास्टिक और धातु की चीजें खुद को मानव कहने लगें और सुपर-कम्प्यूटर्स ब्यूरोक्रेट्स की तरह शहरों का संचालन करने लगें.
ट्रांसफॉर्मेटिव एआई आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का विस्तार कर रहा है
एजीआई का झुकाव जहां विज्ञान कथाओं की ओर अधिक है, ट्रांसफॉर्मेटिव एआई के क्षेत्र में विकास नॉनफिक्शन श्रेणी में आता है. हेवलेट पैकर्ड इंटरप्राइज की चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर एंग लिम गोह कहते हैं, "हालांकि एआई बहुत ज्यादा टास्क स्पेसिफिक है, लेकिन उन कार्यों का भी विस्तार कर रहे हैं जो कंप्यूटर कर सकता है.” शुरुआती दौर के जो एआई सिस्टम अभी प्रयोग हो रहे हैं उनमें से एक लार्ज लैंग्वेज मॉडल यानी एलएलएम भी हैं.
चैटबोट्स का जिक्र करते हुए गोह कहते हैं, "एलएलएम की शुरुआत लिखते समय वर्तनी सुधारने के क्रम में हुई. उसके बाद वो वाक्यों को सही करने लगे. और अब, वो इतने ज्यादा डेटा प्रॉसेस कर चुके हैं कि वो आप से बात करने में सक्षम हैं.”
एलएलएम की क्षमता इससे भी कहीं ज्यादा बढ़ चुकी है. अब ये सिर्फ लिख कर के किसी सवाल का जवाब नहीं देते चित्रों को देखकर भी जवाब देने में सक्षम हैं. गोह कहते हैं, "लेकिन जब आप किसी की नौकरी से इसकी तुलना करते हैं तो ये अभी भी बहुत संकीर्ण मालूम पड़ते हैं. एलएलएम लेखों और चित्रों का अर्थ नहीं समझ सकते हैं. शब्दों और चित्रों का ये उस तरह से पाठ नहीं कर सकते या उनका रचनात्मक उपयोग नहीं कर सकते, जैसे कि कोई मनुष्य कर सकता है.”
कुछ लोगों की जिज्ञासा एआई कला को जानने में होगी- जैसे कि DALL-E 2 कैसे टेक्स्ट के आधार पर चित्र बना देता है.
लेकिन क्या यह कोई कला है? क्या यह इस बात का प्रमाण है कि मशीन रचनात्मक हो सकती हैं? इस पर दार्शनिक बहस हो सकती है. लेकिन जैसा कि कई विशेषज्ञों का मानना है कि एआई कला का निर्माण नहीं करता बल्कि कला का अनुसरण करता है. लुडविग विटजेंस्टिन के शब्दों में, "मेरे शब्दों का अर्थ है, लेकिन आपके एआई का नहीं.”