ऊर्जा संकट में अब उत्तरी जर्मनी बन रहा है उद्योगों की पसंद
१३ सितम्बर २०२२तेज हवाओं और भीगे मौसम वाला उत्तरी जर्मनी का इलाका आर्थिक मामले में पीछे रहा है. खासतौर से दक्षिण की तरफ जो औद्योगिक वातावरण है वो तो यहां बिल्कुल नजर नहीं आता. हालांकि ऊर्जा संकट के दौरऔर हरित ऊर्जा के लिये बने नये माहौल में अब एक नई कहानी लिखी जा रही है.
बैटरी बनाने वाली स्वीडन की कंपनी नॉर्थवोल्ट को जब जर्मनी में नया प्लांट लगाना था तो उसने दक्षिण की ओर जाने की बजाय नॉर्थ सी तट के पास जगह चुनी जहां पवन ऊर्जा उद्योग पैर जमा चुका है. नॉर्थवोल्ट के सार्वजनिक मामलों के प्रमुख जेस्पर विगार्ट का कहना है, "बैटरी का उत्पादन एक ऐसा काम है जिसमें बहुत ऊर्जा की जरूरत होती है. अगर जर्मनी के इस हिस्से को देखें तो ना सिर्फ ऊर्जा के लिहाज से बल्कि ग्रिड में किस तरह की ऊर्जा होगी इस लिहाज से भी बहुत दिलचस्प है."
नॉर्थवोल्ट ने इस फैसले की घोषणा 15 मार्च को की थी, यह वही समय था जब यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद यूरोप में ऊर्जा संकट सिर उठा रहा था. पश्चिमी देशों ने रूस पर भारी प्रतिबंध लगा दिये और रूस ने यूरोप को आने वाली गैस की सप्लाई में भारी कमी कर दी.
अक्ष्य ऊर्जा और गैस का आयात
रूसी गैस पर बहुत ज्यादा निर्भर रहने वाला जर्मनी अब इससे मुक्ति पाने के लिये छटपटा रहा है.उत्तरी तट इस मामले में चल रही कोशिशों के केंद्र में है. केवल अक्षय ऊर्जा के ज्यादा उत्पादन के लिये ही नहीं बल्कि गैस के आयात के लिये भी जिससे कि कोयला और परमाणु ऊर्जा से दूर जाया जा सके.
कुछ ही महीनों में यहां लिक्विफाइड नेचुरल गैस यानी एलएनजी के दो फ्लोटिंग टर्मिनल काम करना शुरू कर देंगे. जब तक स्थायी टर्मिनल नहीं बन जाते, इन्हीं से काम चलेगा. नेचुरल गैस की सप्लाई या तो पाइप के सहारे या फिर एलएनजी के रूप में होती है. एलएनजी के रूप में आने वाली प्राकृतिक गैस के लिये इस तरह के टर्मिनल जरूरी हैं.
उत्तरी राज्य लोअर सैक्सनी, श्लेषविग होल्सटाइन और मैकलेनबुर्ग फॉपोमेर्न पहले से ही जर्मनी में पैदा होने वाली 64 गीगावाट पवन ऊर्जा का आधा हिस्सा पैदा कर रहे हैं. इनमें से ज्यादातर जमीन पर हैं. ये तटवर्ती राज्य पवन ऊर्जा के उत्पान में और बड़ी भूमिका निभायेंगे जब जर्मनी में तट से दूर पवनचक्कियां बिजली पैदा करने लगेंगे. फिलहाल तट से दूर पवन चक्कियों से 7.7 गीगावाट बिजली पैदा की जा रही है जो 2040 तक 70 गीगावाट करने का लक्ष्य है.
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद आर्थिक तौर पर जर्मनी के मजबूत होने में दक्षिणी हिस्से ने बड़ी भूमिका निभाई. बवेरिया में बीएमडब्ल्यू और सीमेंस जबकि बाडेन वुर्टेमबर्ग में मर्सिडीज पले बढ़े हैं लेकिन अब इन इलाकों को उत्तर से चुनौती मिल रही है.
'खामोश सत्ता संघर्ष'
जर्मनी में समृद्ध पश्चिम और गरीब साम्यवादी पूर्वी इलाके के बीच एक पारंपरिक संघर्ष रहा है जिसमें अब बदलाव आ रहा है. नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर एक जर्मन राज्य के मुख्यमंत्री ने कहा, "उत्तर और दक्षिण के बीच एक खामोश लेकिन बहुत बड़ा सत्ता संघर्ष रहा है." अब उत्तर की तरफ हलचल बढ़ गई है.
टेस्ला ने अपनी फैक्ट्री मार्च में उत्तरी राज्य ब्रैंडनबुर्ग में खोली. उत्तर में मौजूद जर्मनी की एकमात्र कंपनी फॉल्क्सवागेन ने लोअर सैक्सनी ने बैट्री की फैक्ट्री लगाई है जिससे कि अपनी इलेक्ट्रिक कारों को ऊर्जा दे सके. इसी राज्य में बेल्जिय की ट्री एनर्जी सॉल्यूशंस भी हाइड्रोजन प्लांट लगाने की तैयारी कर रही है. शुरुआत में इसे भोजन और दूसरे कचरे से निकलने वाली मीथेन से बनाया जायेगा.हालांकि बाद में तटवर्ती हवाओं की ऊर्जा से इलेक्ट्रोलिसिस के जरिये पानी को तोड़ कर हाइड्रोजन बनेगा.
जर्मनी के सबसे समृद्ध जिले अब भी दक्षिण में ही हैं लेकिन सबसे तेजी से विकसित होते जिले अब उत्तर और पश्चिम में हैं. ये नतीजे एक आईडब्ल्यू इकोनॉमिक रिसर्च इंस्टीट्यूट ने 400 जिलों का सर्वेक्षण करने के बाद निकाले हैं. इनमें टैक्स रिटर्न से लेकर कुशल कामगारों की भागीदारी जैसे कारकों पर नजर डाली गयी है. आईडब्ल्यू से जुड़े हान्नो केम्परमान का कहना है, "कई दशकों तक पहले पश्चिम और फिर दक्षिण के दबदबे के बाद अब उत्तर उभर रहा है."
ऊर्जा संकट शायद इसमें मददगार साबित हो रहा है. जर्मनी को पहले से ही उत्तर और दक्षिण के बीच हाई वोल्टेज के ज्यादा इंटरकनेक्टर बनाने की जरूरत है. उत्तर में ज्यादा अक्षय ऊर्जा के उत्पादन के साथ इसकी जरूरत बढ़ती जायेगी.
उत्तरी राज्यों से उम्मीद
बवेरिया राज्य के मुख्यमंत्री मार्कुस सोएडर का राज्य जर्मनी के कई बड़े औद्योगिक प्रतिष्ठानों का घर है. सोएडर बार बार कहते रहे है कि संघीय सरकार बवेरिया की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिये पर्याप्त उपाय नहीं कर रही है. उन्होंने बाकी बचे तीन परमाणु बिजली घरों को भी चलाते रहने की मांग की है जिससे कि उद्योगों को बिजली की कमी ना हो.
इधर संघीय सरकार का कहना है कि सोएडर अपने राज्य में पवन ऊर्जा के विकास में धीमी गति से चल रहे हैं. संघीय सरकार ने 2022 तक सभी परमाणु बिजली घरों को बंद करने की योजना बनाई थी दो बिजली घरों को 2023 अप्रैल तक वैकल्पिक रूप से चलाते रहने की बात कही गई है. परमाणु बिजली से पूरी तरह छुटकारा पाने की तारीख आगे बढ़ा दी गई है.
रूसी गैस की सप्लाई घटने के बाद जर्मनी तीन चरणों की आपातकालीन योजना के दूसरे चरण में है. तीसरे चरण में उद्योगों के लिए बिजली का कोटा तय हो जायेगा.
इस महीने सोएडर ने उत्तर में मैकलेनबुर्ग फोपोमेर्न को एलएनजी टर्मिनल के निर्माण में मदद का प्रस्ताव दिया ताकि इस काम में तेजी लाई जा सके. मैकलेनबुर्ग फोपोमेर्न जर्मनी के गरीब राज्यों में एक है, यहां बन रहा एलएनजी टर्मिनल बवेरिया में ऊर्जा संकट के समाधान में मदद कर सकता है. आने वाले दिनों में बवेरिया के सामने ऊर्जा संकट बढ़ने की आशंका है.
एनआर/आरपी (रॉयटर्स)