विश्वकप के जरिए इस्लाम के प्रचार में जुटा कतर
९ दिसम्बर २०२२कतरी अधिकारियों का कहना है कि उनका लक्ष्य गैर-मुस्लिम प्रशंसकों को इस्लाम की सच्ची शिक्षाओं के बारे में शिक्षित करना और गलत धारणाओं को दूर करना है. कतर फीफा विश्वकप की मेजबानी करने वाला पहला इस्लामिक देश है.
वह इस्लाम के बारे में दुनिया भर के लाखों फैंस के मन को बदलने के लिए इस अवसर का लाभ उठा रहा है. इस बीच कई फैंस को इस्लाम कबूल करने का न्यौता भी दिया जा रहा है.
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"इस्लाम पर पहली नजर"
गैस भंडारों के कारण खाड़ी अमीरात बेहद अमीर है और यहां एक से बढ़कर एक मस्जिदें हैं. ये मस्जिदें फुटबॉल देखने आए फैंस के लिए उत्सुकता भी पैदा करती हैं.
एक कनाडाई युगल डोरिनेल और क्लारा पोपा ने दोहा के कतारा सांस्कृतिक जिले में एक तुर्क-शैली की मस्जिद से अजान की आवाज सुनी.इस मस्जिद की दीवारों पर शानदार नीली और बैंगनी टाइलों के कारण इसे दोहा की "नीली मस्जिद" भी कहा जाता है. एक गाइड युगल को मस्जिद के अंदरूनी हिस्से को दिखाने के लिए ले जाता, जहां एक बड़ा झूमर टंगा है.
पेशे से अकाउंटेंट 54 वर्षीय डोरिनेल पोपा का कहना है कि वह पहली बार इस्लाम को इतने करीब से देख रहे हैं. उन्होंने कहा, "हम दूसरों के बारे में ज्ञान की कमी के कारण लोगों और उनकी संस्कृति के खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं."
पोपा की 52 साल की डॉक्टर पत्नी कहती हैं, "हमारे दिमाग में कुछ विचार थे, जिनमें से कुछ अब बदल सकते हैं."
नीली मस्जिद के प्रबंधन का काम करने वाले कतर गेस्ट सेंटर ने टूर्नामेंट के दौरान दुनिया भर के दर्जनों इस्लामी प्रचारकों को आमंत्रित किया है. मस्जिद के बाहर अरबी कॉफी और खजूर के साथ इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद के बारे में अलग-अलग भाषाओं में पर्चे रखे गए हैं.
एक सीरियाई वॉलंटियर जियाद फतेह कहते हैं, "विश्वकप लाखों लोगों को इस्लाम से रूबरू कराने और उस धर्म के बारे में गलत धारणाओं को दूर करने का एक अवसर है, जिसे पश्चिमी लोग चरमपंथ से जोड़ते हैं." उन्होंने कहा, "हम लोगों से नैतिकता, पारिवारिक संबंधों, पड़ोसियों और गैर-मुस्लिमों के साथ सम्मान के महत्व के बारे में बात करते हैं."
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"मुझसे कतर के बारे में पूछो"
मस्जिद के पास कुछ ऐसे वॉलंटियर मौजूद हैं जो महिला मेहमानों के लिए हैं. उनकी टेबल पर बोर्ड लगा है जिस पर लिखा है 'मुझसे कतर के बारे में पूछो'. यहां आने वाले मेहमानों को अरबी कॉफी भी दी जाती है. यहां की एक फलस्तीनी महिला वॉलंटियर सामिया के मुताबिक ज्यादातर सवाल "हिजाब, बहुविवाह और क्या इस्लाम में महिलाओं का उत्पीड़न होता है" जैसे विषयों से संबंधित होते हैं. इस जगह के आसपास, मेहमान इस्लाम के बारे में पांच मिनट का वर्चुअल रिएलिटी टुअर देख सकते हैं. यह अभियान पूरे कतर में जारी है.
दोहा का पर्ल डिस्ट्रिक्ट कई प्रवासियों का घर है और उनमें से कई यहां के महंगे कैफे और रेस्तरां में अक्सर आते हैं. यहां की दीवारों को इस्लाम के पैगंबर के उद्धरणों से चित्रित किया गया है जो नैतिकता पर जोर देते हैं. इसके साथ ही हाई-एंड शॉपिंग मॉल्स में इस्लाम का प्रचार करने वाले विज्ञापन लगाए गए हैं.
"इस्लाम में खुशी"
सौक वाकिफ मार्केट में रोजाना हजारों की संख्या में फैंस जुटते हैं. उनके लिए एक गली में मुफ्त किताबें और पर्चे रखे हुए हैं जिनपर लिखा हुआ, "अगर आप खुशी की तलाश कर रहे हैं, तो आप इस्लाम में इसे पाएंगे."
इस मार्केट के पास स्थित शेख अब्दुल्ला बिन जायद इस्लामिक कल्चरल सेंटर पर्यटन के लिए दिन में 12 घंटे खुला रहता है. कतर में कुछ मुस्लिम मौलानाओं ने गैर-मुस्लिम फुटबॉल फैंस को इस्लाम कबूल करने की कोशिश पर जोर दिया है.
कतर यूनिवर्सिटी में शरिया कानून के प्रोफेसर और वॉइस ऑफ इस्लाम रेडियो स्टेशन के प्रमुख सुल्तान बिन इब्राहिम अल-हाशेमी ने कहा कि विश्वकप का इस्तेमाल नए धर्मांतरित लोगों की तलाश के साथ-साथ इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए किया जाना चाहिए.
हाशेमी ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "विदेशी फैंस के साथ मेरी मुलाकात में मैं उन्हें इस्लाम कबूल करने की पेशकश करता हूं. अगर मुझे मौका मिला तो उनके सामने आसानी और शालीनता से इस्लाम पेश करूंगा और अगर मौका नहीं मिला तो मैं उन्हें बता दूंगा कि आप हमारे मेहमान और इंसानियत के नाते भाई हैं."
सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि सैकड़ों फैंस ने इस्लाम कबूल कर लिया है. हालांकि, एएफपी की फैक्ट चेकिंग टीम ने इन दावों को झूठा पाया है. कतर के धार्मिक मंत्रालय के एक अधिकारी ने एएफपी को बताया कि देश का लक्ष्य "इस्लाम में धर्मांतरित लोगों की संख्या नहीं है, बल्कि उन लोगों की संख्या है जो इसके बारे में अपना विचार बदलते हैं."
फैंस का कहना है कि उन्हें विश्वकप में धर्म परिवर्तन का विचार हास्यास्पद लगता है.
एए/वीके (एएफपी)