लीक्विड हाइड्रोजन से चलने वाला पहला विमान
जर्मनी की एक कंपनी लीक्विड हाइड्रोजन से चलने वाले विमान की पहली पब्लिक उड़ान पूरी कर ली है.
ना आवाज, ना कंपन
यह दुनिया का पहला विमान है जिसने लीक्विड हाइड्रोजन ईंधन से अपनी पहली उड़ान पूरी की है. टेस्ट पायलट योहानेस गारबिनो-एंटोन कहते हैं कि इसमें जरा भी आवाज या कंपन नहीं है.
भविष्य का ईंधन
इस वक्त दुनियाभर में ऐसे विमान ईंधन खोजने के लिए शोध हो रहे हैं जो कम खर्च और कम कार्बन उत्सर्जन में आधुनिक विमानों की आवाजाही सुनिश्चित कर सके. हाइड्रोजन उन्हीं ईंधनों में से एक माना जा रहा है.
क्या है नयी तकनीक
जर्मनी की कंपनी H2FLY ने यह तकनीक विकसित की है जिसमें लीक्विड हाइड्रोजन को ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया है. लीक्विड हाइड्रोजन को सौर और पवन ऊर्जा से भी बनाया जा सकता है.
दोगुनी माइलेज
कंपनी का दावा है कि इस ईंधन से विमान मौजूदा ईंधन के मुकाबले दोगुने समय तक चल सकता है. हाइड्रोजन गैस से विमान करीब 720 किलोमीटर जा सकता है और लीक्विड हाइड्रोजन से 1,400 किलोमीटर तक, यानी पेरिस से लिस्बन तक.
लंबी दूरी की यात्रा संभव
H2FLY के संस्थापक योसेफ कालो कहते हैं कि पहली बार हमने फ्यूल सेल और इलेक्ट्रिक मोटर को चलाने के लिए लीक्विड हाइड्रोजन का प्रयोग किया है, जो साबित करता है कि लंबी दूरी तक भी हाइड्रोजन से विमान चलाये जा सकते हैं.
हाइड्रोजन की दिक्कत
लेकिन हाइड्रोजन की समस्या है उसका वजन. इसके लिए विमानों को बड़े फ्यूल टैंक के साथ दोबारा डिजाइन करना होगा और उन्हें हवाई अड्डों पर ज्यादा जगह व सुविधाओं की जरूरत होगी.
2024 की तैयारी
विशेषज्ञों का अनुमान है कि पूरा ढांचा बदलने में 10 से 20 साल तक लग सकते हैं. H2FLY अब 40 सीटों वाले विमान बना रही है जो लगभग 2,000 किलोमीटर की यात्रा पाएंगे.