सिर्फ एक प्रतिशत अमीर करते हैं पांच अरब गरीबों जितना कार्बन उत्सर्जन
एक नई रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक प्रतिशत करीब पांच अरब सबसे गरीब लोगों के बराबर कार्बन का उत्सर्जन करते हैं. जलवायु परिवर्तन को रोकने में कुछ लोगों की जिम्मेदारी दूसरों से ज्यादा होनी चाहिए.
उत्सर्जन में भी असंतुलन
दुनिया के एक प्रतिशत सबसे अमीर लोग (7.7 करोड़) दुनिया के 16 प्रतिशत उत्सर्जन के जिम्मेदार हैं. यह आय के हिसाब से दुनिया के 66 प्रतिशत सबसे गरीब लोगों (5.11 अरब) के उत्सर्जन के बराबर है. अमीरों और गरीबों के बीच उत्सर्जन की खाई की यह रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय नॉन-प्रॉफिट ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने बनाई है.
कैसे निकाला आंकड़ा
वैश्विक स्तर पर सबसे अमीर एक प्रतिशत लोगों को चिन्हित करने के लिए परचेजिंग पावर पैरिटी का इस्तेमाल किया गया. यानी अमेरिका में इसकी कसौटी 1,40,000 डॉलर होगी जब कि केन्या में यही कसौटी करीब 40,000 डॉलर होगी.
देशों के अंदर स्थिति और गंभीर
देशों के अंदर भी इस असंतुलन की बड़ी गंभीर तस्वीर निकल कर आई. उदाहरण के तौर पर, फ्रांस में एक प्रतिशत सबसे अमीर सिर्फ एक साल में इतना उत्सर्जन करते हैं जितना सबसे गरीबों में से 50 प्रतिशत लोग 10 सालों में करते हैं. इस रिपोर्ट का आधार है स्टॉकहोम एनवायरनमेंट इंस्टिट्यूट द्वारा की गई रिसर्च.
एक बनाम 1, 270
अकेले 'लूई वितों' के अरबपति संस्थापक और फ्रांस के सबसे अमीर व्यक्ति बर्नार आर्नो का कार्बन पदचिन्ह एक औसत फ्रांसीसी व्यक्ति से 1,270 गुना ज्यादा है. लॉसन कहते हैं, "आप जितने ज्यादा अमीर हों, आपके लिए आपके निजी और निवेश संबंधी उत्सर्जन कम करना उतना ही आसान होता है. आपको तीसरी गाड़ी की, छुट्टियों में चौथे टूर की और सीमेंट उद्योग में निवेश बनाये रखने की जरूरत नहीं है."
कंपनियों का उत्सर्जन
इस रिपोर्ट में सिर्फ व्यक्तिगत खपत की बात की है, लेकिन यह भी कहा गया है कि "सुपर अमीरों की व्यक्तिगत खपत कंपनियों में उनके निवेश के चलते निकले उत्सर्जन के आगे बौनी पड़ जाती है." ऑक्सफैम के पुराने शोध ने दिखाया है कि 'स्टैंडर्ड एंड पूअर 500' सूचकांक की कंपनियों के औसत के मुकाबले अरबपतियों के प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों में निवेश की संभावना दोगुनी है.
सबकी जिम्मेदारी बराबर नहीं
रिपोर्ट के सह-लेखक मैक्स लॉसन के मुताबिक जलवायु संकट से लड़ना एक साझा चुनौती है लेकिन हर व्यक्ति इसके लिए बराबर रूप से जिम्मेदार नहीं है. इसीलिए सरकारी नीतियों को इसी हिसाब से बनाने की जरूरत है. उनके मुताबिक सरकारों को ऐसी जलवायु नीति लानी चाहिए जो उन लोगों से सबसे ज्यादा त्याग करवाए जो सबसे ज्यादा उत्सर्जन करते हैं.
कड़े कदमों की जरूरत
इसके लिए कुछ कड़े कदमों की जरूरत है. जैसे एक साल में 10 से ज्यादा उड़ानें भरने पर टैक्स लगाया जा सकता है. या नॉन-ग्रीन निवेशों पर ग्रीन निवेशों के मुकाबले काफी ज्यादा टैक्स लगाया जा सकता है. (एएफपी)