अंगेला मैर्केल की चेतावनी, सब कुछ दांव पर है
३० सितम्बर २०२०जिस वक्त सारी दुनिया जनता को यह समझाने में लगी थी कि उनकी सरकारें कोरोना से निपट लेंगी, उस वक्त अंगेला मैर्केल ने दोटूक शब्दों में अपनी जनता से कहा था कि 60 से 70 फीसदी लोग बीमार हो सकते हैं. जनता से साफ साफ बात करने के अपने अंदाज में हाल ही में मैर्केल ने कहा कि जिस गति से कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए लगता है कि सर्दियों में हर दिन औसतन 19,200 नए मामले दर्ज हुआ करेंगे. फिलहाल जर्मनी में रोजाना लगभग दो हजार नए मामले सामने आ रहे हैं.
बुधवार को मैर्केल ने संसद में भाषण देते हुए लोगों का ध्यान आने वाले खतरे की ओर खींचा. उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि हम सब अपना सामान्य जीवन वापस चाहते हैं और सब से बढ़ कर युवा ऐसा चाहते हैं. लेकिन इस वक्त वह सब कुछ दांव पर लगा हुआ है जो हमने पिछले महीनों में हासिल किया है. हम ऐसा नहीं होने दे सकते कि देश भर में फिर ऐसे हालात हो जाएं कि अस्पताल में कोई व्यक्ति अकेले मरने पर मजबूर हो और उसके प्रियजन उसे देख भी ना पाएं क्योंकि उन्हें उसकी अनुमति नहीं होगी."
दूसरी लहर की चिंता
कोरोना महामारी का असर जर्मनी की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है और यहां बड़ी संख्या में लोगों के काम के घंटे और इस तरह से उनकी आमदनी कम हुई है. मैर्केल ने कहा, "मैं हर हाल में नौकरियां बचाना चाहती हूं, मैं बच्चों को स्कूल में देखना चाहती हूं. हम चाहते हैं कि अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर आए, हम चाहते हैं कि कलाकार फिर से मंच पर लौट सकें, हम चाहते हैं कि बच्चे अपने दादा दादी से मिल सकें. हम सब यही चाहते हैं कि देश में दूसरी लहर ना आ सके और हम ऐसा करने की हालत में हैं."
मैर्केल ने कहा कि इस वक्त डॉक्टर और अस्पताल मार्च की तुलना में महामारी का सामना करने की बेहतर स्थिति में है. इसलिए उन्हें यकीन है कि आने वाले खतरे को टाला जा सकता है. मैर्केल ने जनता से साथ देने की अपील की और कहा कि उनकी मदद के बिना सरकार कोरोना की दूसरी लहर को रोकने में कभी कामयाब नहीं हो सकेगी, "हमने महामारी में बहुत कुछ सीखा है और हम हर दिन कुछ नया सीख रहे हैं. लेकिन अब हमें ध्यान देने की जरूरत है."
उन्होंने कहा कि वे लोगों से यह उम्मीद नहीं करती हैं कि वे एक दूसरे से बिलकुल भी ना मिलें लेकिन इस दौरान उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों का पालन करना ही होगा. उन्होंने जनता का शुक्रिया अदा किया कि इतने महीनों तक उन्होंने संयम बनाए रखा. डॉक्टरों और नर्सों के अलावा उन्होंने एक बार फिर टीचरों, वेटरों और एयर हॉस्टेस को भी धन्यवाद कहा.
सतर्क रहने की अपील
साथ ही लोगों से भविष्य में सतर्क रहने को भी कहा, "यह एक बेहद लंबी राह है. हम अब भी महामारी के अंत तक नहीं पहुंचे हैं. सर्दियों में हमें मुश्किल समय का सामना करना है. इसलिए मैं आप सब से यह अपील करना चाहती हूं कि आने वाले समय में नियमों का पालन करते रहें. हमें एक दूसरे का और भी ज्यादा ख्याल रखना होगा. हमें सिर्फ बूढ़े लोगों का ख्याल नहीं रखना है, सिर्फ रिस्क ग्रुप वालों के बारे में ही नहीं सोचना है, बल्कि पूरे समाज को बचा कर रखना है."
मैर्केल के इस भाषण के दौरान संसद में कई बार तालियां गूंजी. सभी सांसद सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए एक एक सीट छोड़ कर बैठे दिखाई दिए. इस महामारी को ऐतिहासिक चुनौती का नाम देते हुए मैर्केल ने कहा, "मुझे यकीन है कि यह ऐतिहासिक चुनौती हमें एक दूसरे के और करीब लाएगी. मुझे यकीन है कि जीवन को जिस रूप में हम जानते थे, वह लौटेगा. परिवार मिल कर त्यौहार मनाया करेंगे, सिनेमा हॉल और फुटबॉल स्टेडियम फिर से भरे दिखा करेंगे और यह बहुत ही खुशी की बात होगी. लेकिन फिलहाल हमें धैर्य और समझदारी से काम लेना होगा और लोगों की जानें बचानी होंगी."
कोरोना की पहली लहर के दौरान जर्मनी ने जिस तरह से इसका सामना किया उसे दुनिया भर में सराहा गया. अब जब दूसरी लहर दस्तक देती दिख रही है, तो जर्मनी पर एक बार फिर सबकी नजरें टिकी हैं.
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