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'अंत की ओर है बोको हराम'

५ मई २०१५

नाइजीरियाई सेना ने पिछले हफ्ते सैकड़ों महिलाओं को बोको हराम के चंगुल से छुड़ाने में कामयाबी पाई. थोमास मॉश का मानना है कि यह कट्टरपंथी गुट अपने अंत की ओर बढ़ रहा है और इसके पीछे केवल सैनिक कारण नहीं हैं.

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Nigeria Soldaten Offensive gegen Boko Haram
तस्वीर: Reuters/J. Penney

यह मानने में मुश्किल हो सकती है कि पिछले छह सालों से नाइजीरियाई सेना अपनी लगातार कोशिशों के बावजूद जिस रक्तपिपासु आतंकी संगठन को मिटाने में असफल साबित हुई थी, वह अब सेना के हाथों हारने की कगार पर है. बताया जा रहा है कि बोको हराम नाइजीरिया एवं पड़ोसी देशों चाड, कैमरून और नाइजर की सेनाओं के साथ आमने सामने की लड़ाई में जूझ रहा है.

हमें नाइजीरियाई सेना के जीत के इन दावों को थोड़ी सावधानी से देखने की जरूरत है. पहले भी कई बार ऐसा हो चुका है जब बोको हराम को हराने या फिर बंधकों को रिहा कराने की उनकी खबरें बाद में निराधार साबित हुई हैं.

हमें आगे चल कर पता चल सकेगा कि वाकई कितनी लड़कियों और महिलाओं को बंधन से मुक्त कराया गया और ये भी कि क्या वे वाकई अगवा की गई थीं. यह भी जानना जरूरी होगा कि आजाद कराई गई लड़कियों में क्या चिबोक की स्कूली छात्राएं भी हैं या फिर वे वाकई उन आतंकियों के बीवी, बच्चे हैं. इसके अलावा भविष्य के लिए अहम बात यह होगी कि नाइजीरियाई सुरक्षा बल आजाद कराए गए इलाकों को लंबे समय तक आजाद ही बनाए रखने के लिए क्या कर रहे हैं.

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डॉयचे वेले के थोमास म्योशतस्वीर: DW

घर में उपजा आतंकवाद

कई बातों से इस धारणा की पुष्टि होती है कि बोको हराम के पीछे स्थानीय राजनैतिक शक्तियों का ही हाथ रहा है. पहली मिसाल देखें, कि कई सालों तक नाइजीरिया की सेना और अबूजा के राजनीतिज्ञ दोनों ने ही देश के अभावग्रस्त पूर्वोत्तर हिस्से में व्याप्त खतरों और हत्याओं को गंभीरता से नहीं लिया. सेना में अरबों का निवेश करने की बजाए उसे कहीं और ही लगाया गया, जिससे सेना और शासन को इस बात का एहसास बहुत देर से हुआ कि बोको हराम से निपटने में उनकी असफलता के कारण शायद उसके दोबारा चुने जाने पर खतरा पैदा हो जाएगा. जब उन्हें ये समझ आया कि इसके परिणामस्वरूप देश के संसाधनों तक भी उनकी पहुंच नहीं रहेगी, तभी उन्होंने ठोस कदम उठाए. लेकिन यह समझने में उन्होंने काफी देर लगा दी.

क्या बुहारी की जीत बनेगी बोको हराम के अंत का कारण?

दूसरा महत्वपूर्ण उदाहरण है इस समठन का अचानक असहाय लगना, जिसका हाल ही तक इतना खौफ था. इससे संकेत मिलता है कि अब तक इन्हें तमाम हथियारों, उपकरणों को खरीदने के लिए जहां से संसाधन मुहैया कराए जा रहे थे, वे खत्म हो रहे हैं. बोको हराम को इन सबके लिए कहीं ज्यादा धन की जरूरत होती, जितना वे अपने कब्जे के इलाके के बैंकों में डाका डालकर और बंधकों के बदले फिरौती मांग कर पूरा नहीं कर पाते.

आज तक बोको हराम को किसी तरह के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से आर्थिक मदद के सबूत नहीं मिले हैं. इससे यह संकेत मिलता है कि उन्हें देश के भीतर से ही मदद मिलती रही है. नाइजर डेल्टा हो या देश का उत्तरी हिस्सा, देश के रसूखदार लोगों का सशस्त्र गुटों को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने का इतिहास रहा है.

इसके अलावा 2010 में राष्ट्रपति गुडलक जोनाथन के सत्ता में आने और आतंकी संगठन के रूप में बोको हराम के उदय के बीच भी संबंध देखा जा सकता है. उनके पहले सत्ता में रहे मुसलमान राष्ट्रपति उमारू याराडुआ की मौत के बाद से ही उत्तरी नाइजीरिया के ताकतवर लोगों ने धमकियां देनी शुरु कर दी थीं कि जोनाथन और उनकी पार्टी अगर 2011 के चुनावों में उतरती है तो वे अशांति फैला देंगे.

आगे की राह

इधर जोनाथन सत्ता से बाहर हुए और बोको हराम कमजोर, क्या यह केवल एक संयोग है? अब तक ऐसे कोई संकेत नहीं हैं कि नए राष्ट्रपति मुहम्मदू बुहारी बोको हराम को आर्थिक मदद देने वालों के साथ मिले हुए हों. सच तो यह है कि उन्होंने हमेशा खुद को उत्तर के शक्तिशाली सत्ता के दलालों से दूर ही रखा है, जिन्होंने पिछले ईसाई राष्ट्रपति से कहीं ज्यादा समर्थन मुसलमान राष्ट्रपति बुहारी में लगाई.

क्या वाकई बुहारी देश के आतंकवादियों के पीछे सक्रिय शक्तियों और उनके नेटवर्क को रोक पाएंगे, इसमें संदेह है. सबसे आदर्श स्थित यह हो सकती है कि ये आतंकियों को समर्थन देना बंद कर दें. इससे बोको हराम छोटे मोटे, चोर लुटेरों से ज्यादा कुछ नहीं रह जाएगा, जैसे कि नाइजीरिया में कई होंगे.