अपनी जमीन से उखड़ने को मजबूर हांगकांग के लाखों लोग
११ फ़रवरी २०२१1997 में हांगकांग चीन को सौंपे जाने से पहले वहां ब्रिटेन का शासन था. ब्रिटेन ने इस वादे के साथ हांगकांग चीन को सौंपा था कि कम के कम 50 साल तक वहां की आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था को नहीं बदला जाए. चीन ने भी इसे "एक देश दो व्यवस्थाओं" वाले सिद्धांत के तहत स्वीकार किया था. लेकिन अब वह देश के दूसरे हिस्सों की तरह हांगकांग में भी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का एकछत्र राज कायम करना चाहता है. 2019 में वहां हुए लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों को ताकत के दम पर कुचला गया. नए सुरक्षा कानून के तहत बड़े पैमाने पर लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया.
चीन की सरकार 75 लाख की आबादी वाले हांगकांग में उठने वाली हर उस आवाज को दबाना चाहती है जो उसके सुर में सुर नहीं मिलाती. इन हालात में ब्रिटेन ने अपनी नई वीजा स्कीम के तहत उन लोगों को ब्रिटेश नागरिकता की पेशकश की है जो हांगकांग को छोड़ना चाहते हैं.
ये भी पढ़िए: हांगकांग में क्या गुल खिला रहा है चीन का नया कानून
कैसी होगी नई जिंदगी
इमिग्रेशन कंसल्टेंट बिली वोंग के पास हाल के महीने में ऐसे लोगों की बहुत सारी फोन कॉल्स आई हैं जो ब्रिटेन जाना चाहते हैं. 44 साल के वोंग कहते हैं, "बहुत सारे लोग हांगकांग छोड़ना चाहते हैं. संख्या बहुत ही ज्यादा है." खुद वोंग भी ब्रिटेन जाना चाहते हैं. वह और उनकी पत्नी आईलीन येउंग कई बरसों से इस बारे में सोच रहे थे.
येउंग नए सुरक्षा कानून की तरफ इशारा करते हुए कहती हैं, "अब यह कानून आ गया है. हमें बहुत सावधानी बरतनी पड़ रही है कि क्या बोलें और फेसबुक पर क्या लिखें... सबसे ज्यादा मैं अपनी बेटी के लिए चाहती हूं कि वह आजाद रहे और मुक्त रूप से सोच सके."
उनकी बेटी टिनयू अभी 10 साल की है. उसका दाखिला पहले ही ब्रिटेन के डेब्री शहर के एक स्कूल में हो गया है. अपनी जिंदगी के अगले अध्याय के बारे में उसके जेहन में बहुत सारे सवाल हैं. वह कहती है, "इमिग्रेशन का क्या मतबल होता है? क्या इसका मतलब है कि कहीं और जाना होगा.. यहीं हांगकांग में किसी दूसरी जगह पर? ब्रिटेन कैसा है? क्या ब्रिटेन के लोग अच्छे होते हैं? मैं खुद से बहुत सारे सवाल पूछती हूं."
पहचान का सवाल
42 साल के गाविन मोक को अपनी पत्नी लिडिया के साथ ब्रिटेन में बसे तीन महीने हो गए हैं. अब जाकर उनके घर का सामान उन तक पहुंचा है. अपनी जगह को छोड़ना और ब्रिटेन के शहर एक्सेटर में नई दुनिया बसाना उनके लिए बहुत मुश्किल था. उन्होंने इस पूरे प्रोसेस को फिल्माया है और यूट्यूब पर अपलोड किया है. उन्हें उम्मीद है कि उनका यूट्यूब चैनल हांगकांग के दूसरे लोगों को भी ब्रिटेन में आने के लिए प्रेरित करेगा. वह कहते हैं, "मैं अपना अनुभव साझा करना चाहता हूं. लोगों को बताना चाहता हूं कि अब हांगकांग को छोड़ने का समय आ गया है."
वैसे, मोक की स्कूल और यूनिवर्सिटी की पढ़ाई ब्रिटेन में हुई है. इसलिए उनकी दोनों बेटियों को यहां ज्यादा समस्या नहीं हो रही है. एक बेटी 9 साल की है और दूसरी 11 साल की. मोक तो हंसते हुए कहते हैं, "वे तो कैंटोनीज से ज्यादा अंग्रेजी ही बोलती हैं"
मोक हांगकांग के फाइनेंशियल सेक्टर में काम करते थे. वह कहते हैं कि अब वहां के जैसी सैलरी वाली जॉब मिलनी तो आसान नहीं है, लेकिन वह कम सैलरी वाला काम भी करने को तैयार हैं. वह कहते हैं, "मैं खाने और पार्सल की डिलीवरी जैसे काम भी कर सकता हूं."
उन्हें तो हांगकांग की याद भी नहीं सताती है. वह कहते हैं, "एक जगह के तौर पर मैंने बहुत पहले ही उसे छोड़ दिया था. वहां असल में मेरे लिए कुछ बचा नहीं है. लेकिन हांगकांग वासी के तौर पर अपनी पहचान को मैं कभी नहीं छोड़ूंगा."
ये भी पढ़िए: कम्युनिस्ट चीन के 70 साल
रातोंरात लिया फैसला
जून 2019 में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों पर सरकार समर्थकों के हमलों ने 40 साल के विंस्टन वोंग और कोनी चान को हांगकांग छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया. पिछले साल ब्रिटेन आकर बसी चान कहती हैं, "हमने बिल्कुल रातोंरात फैसला किया कि अब यहां से चले जाना ही बेहतर है." फिलहाल वह ब्रिटेन में रह कर ही हांगकांग में अपना बिजनेस संभाल रही हैं.
चेम्सफोर्ड को उन्होंने अपना नया घर बनाया है. उनका नौ साल का एक बेटा है. चान कहती हैं, "हम अपने बच्चे और उसके भविष्य को लेकर चिंतित थे." महामारी के बीच एक नए देश में आकर बसना कतई आसान नहीं था. वोंग फाइनेंशियल डायरेक्ट का अच्छा खासा पद छोड़कर ब्रिटेन आए हैं. अभी उन्होंने ब्रिटेन में कोई काम नहीं ढूंढा है.
चीन ब्रिटेन की नई वीजा स्कीम से बिल्कुल खुश नहीं है और उसे दुष्परिणाम भुगतने की चेतावनी दे रहा है. लेकिन वोंग इससे बेपरवाह हैं. वह कहते हैं, "अगर अधिकारी मजबूर करेंगे तो मैं अपना हांगकांग का पहचान पत्र त्यागने में बिल्कुल नहीं हिचकूंगा. मुझे नहीं लगता कि हांगकांग निवासी के तौर पर मेरी पहचान किसी पहचान पत्र की मोहताज है."
अभी तौ मैं युवा हूं..
उधर 40 साल के इयान इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि ब्रिटेन में कोरोना वायरस की वैक्सीन का कैसा असर होता है. उसके बाद ही वह वहां जाने के बारे में सोचेंगे. वह हमेशा चाहते थे कि अपनी रिटायरमेंट वाली जिंदगी ब्रिटेन में ही गुजारें. उन्हें ब्रिटेन की संस्कृति पसंद रही है, लेकिन राजनीतिक घटनाओं को देखते हुए वह अब जल्द वहां बसने के बारे में सोच रहे हैं. वह कहते हैं, "हांगकांग के राजनीतिक हालात दिन प्रति दिन खराब होते जा रहे हैं, इसलिए मैंने पहले ही यहां से निकल जाने का फैसला किया है."
वह एक ऑनलाइन उद्यमी हैं, इसलिए कहीं से भी काम कर सकते हैं. लेकिन उनकी पार्टनर को अभी हांगकांग में ही ठहरना होगा. वह कहते हैं, "हांगकांग अब वह शहर नहीं रहा जिसे मैं जानता था. अतीत में युवा लोग भी यहां धीरे धीरे सामाजिक सीढियां चढ़कर ऊपर पहुंच जाते थे, लेकिन अब आप देख सकते हैं कि युवा लोगों का भविष्य अंधकारमय है."
वह कहते हैं कि अभी तो वह युवा ही हैं और ब्रिटेन में जाकार आसानी से नई जिंदगी शुरू कर सकते हैं. हालांकि उन्होंने अभी पैकिंग शुरू नहीं की है. वैसे वह बहुत कम सामान लेकर ब्रिटेन जाना चाहते हैं. चीन की सांस्कृतिक क्रांति और हांगकांग के लोकतांत्रिक आंदोलन से जुड़ी किताबें वह जरूर अपने साथ ले जाना चाहेंगे. वह कहते हैं, "ऐसा लगता है कि कुछ किताबें अपने साथ रखना हमारा कर्तव्य है."
एके/आईबी (एएफपी)
__________________________
हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore