अपनी त्वचा का ख्याल रखने के लिए लाखों मील का सफर तय करती हैं व्हेल मछलियां
सिर्फ इंसान नहीं जीव जंतु भी अपनी त्वचा का ख्याल रखते हैं जैसे कि ये व्हेल मछलियां. ऐसे कई और जीव हैं जो अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लंबा सफर तय करते हैं.
स्पा ट्रीटमेंट के लिए
बहुत समय तक माना जाता था कि ठंडे इलाकों में रहने वाली व्हेल मछलियां बच्चों को जन्म देने के लिए 18,000 किलोमीटर तक की यात्रा कर गर्म मौसम की ओर जाती हैं. लेकिन नई रिसर्च दिखाती है कि ऐसा वे ठंड के कारण खराब हो गई अपनी त्वचा को बेहतर बनाने के लिए और संक्रमणों से बचने के लिए करती हैं.
ध्रुवों की यात्रा
आर्कटिक टर्न नामका एक छोटा सा समुद्री पक्षी गर्मी के गुनगुने मौसम का आनंद लेने के लिए धरती के दो छोर - उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव - के बीच यात्रा करता है. हर साल बारी बारी से दोनों ध्रुवों में गर्मियां बिताने वाले पक्षी की एक राउंड ट्रिप करीब 35,000 किलोमीटर (21,748 मील) की होती है.
हिम्मते म...छली मददे खुदा
सालमन मछली बहुत लंबी दूरी तो तय नहीं करती लेकिन माइग्रेट करने के लिए परिश्रम बहुत कड़ा करती है. नदी में पैदा होने वाली मछली बड़ी होने पर अपना ज्यादातर जीवन समुद्र में बिताती है. लेकिन जब इसके बच्चे देने की बारी आती है तो इसे भी धारा से उलट तैर कर वापस नदी का रुख करना होता है.
निशाचर चमगादड़ों की दुनिया
फ्रूट बैट्स कहलाने वाली चमगादड़ दिन भर तो अफ्रीका के शहरी इलाकों में लटके दिखते हैं. रात होने पर अपने पंख फैलाए खाने की तलाश में इतने दूर दूर की यात्रा करते हैं कि सूरज उगने से पहले एक ही रात में वे कई बार 180 किलोमीटर तक की दूरी तय कर लेते हैं. इसी के साथ बीज और पराग भी फैला आते हैं.
तीसरी आंख
लेदरबैक टर्टिल 10,000 किलोमीटर तक की यात्रा करते हैं. कनाडा से शुरु कर, कैरिबियन और अलास्का से लेकर इंडोनेशिया तक - कैसे ये कब और कैसे अपनी यात्रा का वक्त और दिशा पता कर लेते हैं ये आज तक कोई नहीं जानता. कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि इसका राज कछुए के सिर के टॉप पर मौजूद उस बिंदु में छिपा हो सकता है जो उसे मस्तिष्क की पिनियल ग्रंथि से जोड़ती है.
साइबेरियन क्रेन
भारत में जाड़ों में पहुंचने वाले सफेद रंग की साइबेरियन क्रेन पक्षी भी कई हजार किलोमीटर लंबी यात्रा कर पहुंचते हैं. सब कुछ खाने वाला यह ओमनीवोरस पक्षी रूस और साइबेरिया के आर्कटिक टुंड्रा इलाके में ब्रीडिंग करता है. सितंबर-अक्तूबर के महीने में राजस्थान के भरतपुर में पहुंचे इनके झुंड को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग भी पहुंचा करते हैं.
बच्चों का प्यार खींच लाता है इन्हें
यह भावना तो हर स्पिशीज में पाई जाती है लेकिन एम्परर पेंग्विन तो इसके लिए खासे मशहूर हैं. यह रहते और खाते पीते तो अंटार्कटिक सागर में हैं लेकिन अपने अंडे देने के लिए करीब 100 किलोमीटर की यात्रा करते हैं. अंडों से बच्चे वहीं निकलते हैं और तब तक माता-पिता बारी बारी से इतनी लंबी यात्रा करके पहुंचते हैं और अपने पेट में भर कर लाई मछलियां उनके पास पहुंचने पर उगलते हैं.
कोमल है कमजोर नहीं
हैरानी होती है कि तितली अपने कमजोर से लगने वाले परों के सहारे इतनी बड़ी बड़ी यात्राएं कर जाती है. मोनार्क बटरफ्लाई 3,000 किलोमीटर लंबी दूरियां तय कर अमेरिकी के उत्तरी इलाकों में पहुंचती हैं. फिर वहां ठंड बढ़ते ही उड़कर कैलिफोर्निया या मेक्सिको की ओर निकल लेती हैं.