1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

अपने हितों के लिए इतिहास का दुरूपयोग करते चीन और रूस

रोडियोन एबिगहाउजेन
१२ मई २०२२

इतिहास के साथ निपटने के मनमाने तरीके रूस और चीन के नेताओं को सत्ता पर पकड़ बनाने और अपनी नीतियों को उचित ठहराने में मदद करते हैं. दोनों देशों के नेता इतिहास को अपने हितों के लिए तोड़ मरोड़ कर पेश करते रहे हैं.

https://p.dw.com/p/4BBFy
शी जिनपिंग और व्लादिमिर पुतिन एक ही ढर्रे पर चल रहे हैं
शी जिनपिंग और व्लादिमिर पुतिन एक ही ढर्रे पर चल रहे हैंतस्वीर: Alexei Druzhinin/Russian Presidential Press and Information Office/TASS/dpa/picture alliance

"जो अतीत को नियंत्रित करता है वह भविष्य को नियंत्रित करता हैः जो वर्तमान को नियंत्रित करता है वह अतीत को नियंत्रित करता है." जॉर्ज ऑरवेल के उपन्यास "1984" में लिखी गयी यह बात एक लाइन में बता देती है कि राजनीति में इतिहास का क्या महत्व है.

यह लाइन हाल ही में छपी किताब "डांसिंग ऑन बोन्स" की प्रस्तावना में भी है जिसे पत्रकार केटी स्टेलार्ड ने लिखी है. इस किताब में उन्होंने बताया है कि कैसे रूस, चीन और उत्तर कोरिया के नेता इतिहास का इस्तेमाल अपने उद्देश्यों के लिए कर रहे हैं. स्टेलार्ड ने डीडब्ल्यू से कहा, "निरंकुश सत्ता इतिहास की ताकत और प्रतिध्वनियों को जानती है. वह इतिहास का इस्तेमाल लोकप्रिय समर्थन पैदा करने के एक अहम औजार के तौर पर करती है."

स्टेलार्ड का कहना है कि इतिहास वैधता देता है, नागरिकों की पहचान से जुड़ा होता है और निरंकुश शासकों को फायदा पहुंचाता है क्योंकि वे इसे जरूरत के हिसाब से तोड़ मरोड़ सकते हैं. स्टेलार्ड ने कहा, "आर्थिक संपत्ति तो आती जाती है लेकिन इतिहास ऐसी चीज है जिस पर आप भरोसा कर सकते हैं."

पुतिन ने अपने भाषण में कहा कि पश्चिमी देश रूस पर हमला करने की तैयारी में थे
पुतिन ने अपने भाषण में कहा कि पश्चिमी देश रूस पर हमला करने की तैयारी में थेतस्वीर: Mikhail Metzel/Sputnik/Kremlin Pool/AP/picture alliance

यूक्रेन युद्ध के औचित्य के लिए इतिहास का सहारा

यूक्रेन के खिलाफ रूस का युद्ध दिखाता है कि ऐतिहासिक संशोधन या सुधार की नीति के कितने घातक नतीजे हो सकते हैं. जुलाई 2021 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक लेख लिखा था जिसका शीर्षक था, "रूसियों और यूक्रेनियों की ऐतिहासिक एकता."

इस लेख में पुतिन ने पश्चिमी देशों पर खतरनाक ही संशोधन की नीति पर चलने का आरोप लगाया और जोर कर देकर कहा था कि "ऐतिहासिक सच्चाई जानने वाले एक सर्वज्ञानी राजनेता" होने के नाते वो इसका मुकाबला करना चाहते हैं. इतिहासकार आंद्रेयास कैपेलर ने जर्नल ओस्टयूरोपा में इसका विश्लेषण किया है.

पुतिन के हिसाब से सच यह है कि कि रूसी और यूक्रेनी लोग हमेशा से एक तरह की सोच रखने वाले लोग रहे हैं. यह पश्चिमी देश हैं जो यूक्रेन को "रूस विरोधी" तंत्र में बदलना चाहते हैं. पुतिन ने जोर देकर कहा है कि रूस कभी इसे होने नहीं देगा और जरूरी हुआ तो हथियारों की ताकत से इसे रोकेगा. 9 मई को जब हर साल की तरह रूस नाजी जर्मनी पर दूसरे विश्वयुद्ध में मिली जीत का जश्न मना रहा था तब पुतिन ने एक बार फिर इस बात को दोहराया और इससे आगे जा कर कहा कि पश्चिम ने तो रूस पर हमले की योजना बनाई थी.

पुतिन दुनिया को शीतयुद्ध की नजर से देखते हैं

कैपेलर का कहना है कि प्रस्तावित रूसी यूक्रेनी एकता का जो विचार है और जिसके खिलाफ पश्चिम के दबाव बनाने की बात कही जा रही है वह दुनिया को द्वो ध्रुवों के नजरिए से देखने का हिस्सा है. पुतिन के लिए केवल बड़ी ताकतें मसलन रूस, अमेरिका और चीन का ही महत्व है और यूक्रेन जैसे छोटे देशों का कोई अपना एजेंडा नहीं है. इधर बड़ी ताकतें अपनी वैचारिक होड़ में जुटी हुई हैं जिसे जरूरी साधनों के जरिये संचालित किया जा रहा है.

पुतिन के इस विचार की कैपेलर साजिश के सिद्धांत के रूप में व्याख्या करते हैं. उनका कहना है कि यह जातीय राष्ट्रवाद इस सिद्धांत से जुड़ा हुआ है कि कथित रूप से नाजियों ने यूक्रेन में बड़ी ताकत हासिल कर ली है.

कैपेलर के मुताबिक यह सब इसे "रूसी एकता के सबसे अहम विचारः हिटलर के जर्मनी पर सोवियत जीत" से जोड़ते हैं. कैपेलर ने यह भी जोड़ा कि पुतिन दुनिया को विघटित हो चुके सोवियत संघ के सीक्रेट सर्विस एजेंट की नजर से देखते हैं.

डांसिंग ऑन बोन्स किताब में स्टेलार्ड ने इतिहास के दुरुपयोग पर चर्चा की है
डांसिंग ऑन बोन्स किताब में स्टेलार्ड ने इतिहास के दुरुपयोग पर चर्चा की हैतस्वीर: Oxford University Press

शी जिनपिंगः इतिहास के कर्णधार

पुतिन और क्रेमलिन में उनके समर्थकों की इतिहास को जिस जातीय राष्ट्रवादी नजरिये से देखने की प्रवृत्ति है वह चीनी नेताओं में भी दिखती है. इसके बावजूद चीन सोवियत संघ से बेहतर करना चाहता है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग लगातार सावधान करने वाली कहानी के रूप में इसका जिक्र करते हैं. शी का मानना है कि सोवियत संघ इसलिए विघटित हुआ क्योंकि उसके नेता साम्यवादी सोच को कमजोर करने वाले "ऐतिहासिक विनाशवाद" को खत्म करने में नाकाम रहे. 

सोवियत संघ जैसा हाल ना हो इससे बचने के लिए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने दूसरी चीजों के साथ ही 2021 में पार्टी का आधिकारिक इतिहास भी अपडेट किया जिसे पूरी तरह शी के हितों के हिसाब से तैयार किया गया है. पार्टी के मुखपत्र पीपुल्स डेली में शी के बारे में लिखा है, "नये युग में प्रवेश करते हुए महासचिव शी जिनपिंग ने हमें विकास की प्रक्रिया और इतिहास की लंबी नदी से इतिहास के कानूनों की खोज, समय के ज्वारभाटे और वैश्विक आंधी को समझाया है और हर ऐतिहासिक मोड़ पर सही फैसले लिए हैं. " 

कम्युनिस्ट पार्टी का बयान प्रेस, सोशल मीडिया, सिनेमा और कंप्यूटर गेम्स में हर तरफ है.इससे अलग सोच रखना यहां गैरकानूनी है.

एकता की गारंटी देती पार्टी

पार्टी का आधिकारिक बयान यह तय करता है कि चीन में क्या सोचा और लिखा जा सकता है. ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री केविन रड कहते हैं कि शी के इतिहास के बारे में विचार, "एक वैचारिक ढांचा मुहैया कराते हैं जो राजनीति, अर्थव्यवस्था और विदेश नीति में बड़े से बड़े स्तर पर पार्टी के दखल को उचित ठहराते है."

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी इतिहास का इस्तेमाल कर अपनी ताकत को न्यायोचित बताती हैः कम्युनिस्ट अधिकार में आने से पहले चीन कमजोर और बंटा हुआ था. एकता नहीं होने के कारण पश्चिम को देश को अपमानित करने की ताकत मिली. केवल सीसीपी देश को एकजुट रखने में सफल हुई और इसे इसके पुराने वैभव तक पहुंचाया.

चीन के राष्ट्रवादियों ने जो 19वीं सदी में शुरू किया था उसे सीसीपी लगातार आगे बढ़ा रही है. बिल हायटन ने अपनी किताब "द इन्वेंशन ऑफ चायना" में भी यह बात लिखी है. उस वक्त हान चायनीज संस्कृति को स्थापित करने के लिए पुराने चीन के इतिहास की पुराने तरीकों के हिसाब से नई व्याख्या तैयार की जा रही थी. मांचू, मंगोल और दूसरे जातीय गुटों की परंपराओं को इतिहास में इस तरह से लिखा गया जिससे कि सदा से एक रहने वाले विचार का रास्ता बनाया जा सके.

शी जिनपिंग भी चीन को उसी तरीके से चला रहे हैं जैसे कि रूस को पुतिन
शी जिनपिंग भी चीन को उसी तरीके से चला रहे हैं जैसे कि रूस को पुतिनतस्वीर: Li Xueren/Xinhua/IMAGO

आज उइगुर और तिब्बती लोग इतिहास के संशोधन की इस नीति का ही दंश झेल रहे हैं कि उन्हें रिएजुकेशन कैंपों में जबरन भेजा जा रहा है और उनकी भाषा और संस्कृति को दबाया जा रहा है.  

2013 में शी ने इतिहास के महत्व पर सीसीपी की केंद्रीय समिति को संबोधित करते हुए कंफ्यूशियाई विद्वान गोंग जीशेन के कथन का जिक्र किया: "किसी देश को तबाह करना है तो सबसे पहले उसके इतिहास को खत्म करो" उइगुरों और तिब्बती लोगों के संदर्भ में उनका वह भाषण बिल्कुल फिट बैठता है. जिनपिंग ने यह बात उन लोगों को चेतावनी देने के लिए कही थी जो 5000 साल की चीन की एकता पर सवाल उठाते हैं.

यह सच है कि भाषा और कंफ्यूशियाई विचारधारा में निरंतरता है लेकिन यह कहना गलत है कि आज जो पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चायना है उसमें हान चायनीज संस्कृति हमेशा हावी रही है. 

वास्तव में मिंग वंश (1368-1644) आखिरी शासक थे जिसमें हान चायनीज ने राज किया. उससे पहले कई शताब्दियों तक मंगोल जैसे दूसरे लोगों के वंश ने आज का जो चीन है उस पर ज्यादातर समय तक राज किया. आखिरी शासक वंश की नींव मांचू ने रखी थी. इस वंश ने 1644 से 1 जनवरी 1912  यानी चीन के गणराज्य बनने तक राज किया. 

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने हाल ही में स्थापना के 100 साल पूरे होने का जश्न मनाया
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने हाल ही में स्थापना के 100 साल पूरे होने का जश्न मनाया तस्वीर: Thomas Peter/Reuters

आज के रूस और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चायना का बिना किसी काट छांट के ऐसा एकीकृत इतिहास बनाने की कोशिश में चीजें फिर वहीं पहुंच गई हैं, जहां पुतिन यूक्रेन के इतिहास को खारिज कर सीधे यह कहने लगे हैं कि रूसी और यूक्रेनी एक ही लोग हैं.

इलाकों को दोबारा हासिल करना

इसके साथ ही दोनों शासन व्यवस्थाओं में क्षेत्रीय मुद्दों को लेकर एक तरह की सनक है. पुतिन के ऐतिहासिक बयान स्टालिन दौर के अपराधों को छांट देते हैं लेकिन सोवियत संघ के इलाकों पर पूरा ध्यान लगाते हैं जिसमें यूक्रेन, बेलारूस, बाल्टिक देश, मध्य एशिया के देश और दूसरे शामिल हैं.

इस बीच चीन ने पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा ठोंक दिया है जिसका इलाका आकार में भूमध्यसागर के बराबर है. उसका कहना है कि इस इलाके पर उसका दावा ऐतिहासिक है.

इसके साथ ही वह अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन के उस फैसले को भी मान्यता देने से मना करता है जिसमें सारे ऐतिहासिक दावों को बेकार और अवैध कहा गया है. 

स्टेलार्ड के मुताबिक क्षेत्रीय विवादों पर जोर डालने से दो काम होते हैं. एक तरफ यह अतीत की ज्यादतियों पर ध्यान दिलाता है यानी वो जो उचित रूप से उनकी थी और उनसे छीन ली गई. दूसरी तरफ यह मौजूदा नेताओं के ताकत को भी दिखाता है जो उनकी खोई चीज को वापस ला रहे हैं.

चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा जताने लगा है
चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा जताने लगा हैतस्वीर: Philippine Coast Guard/National Task Force-West Philippine Sea/REUTERS

स्टेलार्ड ने कहा, "यह संप्रभुता की रक्षा का हिस्सा है, जो यह विचार देता है कि आप एक मजबूत देश हैं जो खुद पर गर्व कर सकता है और आपकी रक्षा कर सकता है." 

दूसरे विचारों की अनुमति नहीं

चीन और रूस की ऐतिहासिक कहानियों की विषयवस्तु भले ही अलग हो जैसे कि चीन में शी व्यक्तित्व को ज्यादा बढ़ा चढ़ा कर दिखाने की कोशिश हो रही है, लेकिन दोनों देशों के जो रुझान हैं वो एक जैसे और बिल्कुल साफ हैं.

दोनों देश एकता और निरंतरता का दावा करते हैं जो कभी नहीं थी. इसके साथ ही जो कोई भी रूस और चीन पर सवाल उठाता है उसे कड़ी सजा की उम्मीद रखनी चाहिये.

ये लोग एक बाहरी दुश्मन की रचना करते हैं जैसे कि पश्चिम. इसके बाद ऐसा दिखाया जाता है कि उनसे पुतिन और शी ही लड़ सकते हैं, देश को बचा सकते हैं और उसे इतिहास और क्षेत्रीय दावों से जोड़ सकते हैं.  स्टेलार्ड का कहना है, "राजनीति उद्देश्यों के लिए इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश करने की लालसा केवल निरंकुश शासन की विशेषता नहीं है," लेकिन केवल निरंकुश व्यवस्था ही विरोध को दबाती है.