अफगान आप्रवासियों के सामने पाकिस्तान छोड़ने की डेडलाइन
४ अक्टूबर २०२३पाकिस्तान ने मंगलवार को देश में गैरकानूनी ढंग से रह रहे लोगों के खिलाफ बड़े अभियान का एलान किया. एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद सरकार ने नई आप्रवासन नीति पेश की. इस दौरान सरकार ने कहा कि वह अगले महीने से पाकिस्तान में बिना दस्तावेजों के रह रहे विदेशियों को निकालना शुरू करेगी. अनुमान है कि पाकिस्तान में करीब 17 लाख अफगान बिना दस्तावेजों के रहते हैं.
पाकिस्तान की अंतरिम सरकार के कार्यवाहक गृह मंत्री सरफराज बुग्ती के मुताबिक यह कार्रवाई सिर्फ अफगानों को ध्यान में रखकर नहीं की जा रही है. बुग्ती ने कहा, "जो भी अवैध तरीके से देश में रह रहा है, उसे वापस जाना ही होगा."
तालिबान और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव
सरफराज बुग्ती ने गैरकानूनी आप्रवासियों से अक्टूबर अंत तक खुद अपने देश लौटने की अपील की है. उनका कहना है कि इसके बाद बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां हो सकती हैं और पाकिस्तान से जबरन निकालने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है. पाकिस्तान सरकार गैरकानूनी आप्रवासियों की संपत्ति सीज करने की योजना भी बना रही है. अवैध आप्रवासियों की सूचना देने के लिए एक खास टेलीफोन सर्विस लॉन्च की जाएगी. बुग्ती के मुताबिक टेलीफोन पर अवैध आप्रवासियों की जानकारी देने वालों को इनाम भी दिया जाएगा.
पड़ोसियों में अनबन की वजह
यह एलान ऐसे वक्त में किया गया है, जब पाकिस्तान और उसके पश्चिमी पड़ोसी अफगानिस्तान के रिश्ते तल्ख चल रहे हैं. दोनों देशों के बीच 2,611 किलोमीटर की सीमा है. इस सीमा का बड़ा हिस्सा खुला है.
इस्लामाबाद का आरोप है कि अफगान तालिबान के करीबी गुट उसके यहां हमला कर रहे हैं. इस्लामाबाद के मुताबिक हमलावर पाकिस्तान में हमला करने के बाद सीमा पार करके अफगानिस्तान चले जाते हैं. पाकिस्तान में हाल के महीनों में कई आतंकी हमले हुए हैं.
आम अफगानों की अपील
57 साल के फजल रहमान पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर शहर पेशावर में फल बेचते हैं. वह 30 साल पहले पाकिस्तान आए. उनके बच्चे पाकिस्तान में ही पैदा हुए. नई पीढ़ी कभी अफगानिस्तान गई भी नहीं. रहमान ने पाकिस्तान में कभी अपना रजिस्ट्रेशन नहीं कराया. उन्हें लगता है कि अब बहुत देर हो चुकी है.
वह अपील करते हुए कहते हैं, "हम पाकिस्तान सरकार से दरख्वास्त करते हैं कि वह हमें ऐसी आपाधापी में बाहर ना निकाले. वह हमें या तो यहां शांति से रहने दे या फिर वापस जाने के लिए हमें कम से कम छह महीने या साल भर का समय दे."
अफगानिस्तान का संघर्ष और पाकिस्तान में अफगानों का डेरा
पाकिस्तान बीते चार दशकों से अफगान रिफ्यूजियों का ठिकाना बना है. 1979 से 1989 के बीच जब अफगानिस्तान पर सोवियत संघ का कब्जा था, तब लाखों अफगान भागकर पाकिस्तान आए. उसके बाद तालिबान के शासन के दौरान भी बड़ी संख्या में लोग अफगानिस्तान छोड़ने पर मजबूर हुए.
अमेरिका सेना की वापसी के बाद अगस्त 2021 में अफगानिस्तान पर फिर से तालिबान का राज कायम हो गया. अनुमान है कि 2021 से अब तक एक लाख से ज्यादा अफगान अपना देश छोड़ चुके हैं.
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बुग्ती के मुताबिक फिलहाल पाकिस्तान में करीब 44 लाख अफगान रहते हैं. इनमें से 17 लाख ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है. 24 लाख अफगानों को पाकिस्तान सरकार ने रिफ्यूजी का दर्जा दिया है. ऐसे लोगों के आईडी कार्ड है और वे बैकिंग और स्कूलिंग जैसी गतिविधियों में हिस्सा ले सकते हैं. रजिस्टर्ड लोगों को नहीं निकाला जाएगा.
उधर तालिबान ने सत्ता में लौटने के बाद एलान किया कि स्वदेश लौटने वाले अफगानों को माफ कर दिया जाएगा, लेकिन ज्यादातर लोगों को तालिबान के वादे पर भरोसा नहीं है.
ओएसजे/वीएस (एपी)