अफ़ग़ान लड़ाई एक मुश्किल मोड़ पर: पैट्रेयस
४ जुलाई २०१०पैट्रेयस ने काबुल में अंतरराष्ट्रीय सेना आइसैफ़ के दफ्तर में कहा, "हम एक कठिन लड़ाई लड़ रहे हैं. सालों से चल रहे इस युद्ध में एक मुश्किल मोड़ आ गया है. तालिबान, अल कायदा और इनसे जुड़े अन्य आतंकवादी संगठनों से खतरे के बारे में सब को आभास हो गया है. हम इस युद्ध को जीतने के लिए आए हैं."
पैट्रेयस ने आइसैफ़ के वरिष्ठ कमांडरों से कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में अंतरराष्ट्रीय कमान का नेतृत्व बदला है लेकिन रणनीति में कोई बदलाव नहीं होगा. पिछले हफ्ते सैनिकों को बहुत नुकसान हुआ है लेकिन इसके बावजूद अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा बल आगे बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में कुछ भी आसान नहीं है. लेकिन सुरक्षा के मामले में प्रगति को देखकर दिलासा लिया जा सकता है.
उधर अफ़ग़ानिस्तान के नए गृह मंत्री बिस्मिल्लाह मोहम्मद ने कहा कि पैट्रेयस के आने के बाद अफ़ग़ान सैनिकों ने हेलमंद प्रांत में 63 तालिबान उग्रवादियों को मार गिराया है. जर्मनी की तरफ से नैटो कमांडर जनरल एगोन राम्स ने कहा कि पैट्रेयस के आतंकवाद निरोधी अनुभव को देखते हुए वे आइसैफ़ की पहली पसंद हैं.
पिछले हफ्ते जनरल मैकक्रिस्टल को पद से हटाए जाने के बाद उनकी जगह पैट्रेयस को अफ़ग़ानिस्तान में नाटो टुकड़ियों की कमान दी गई है. वह शुक्रवार को काबुल पहुंचे. अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने भी इस बीच अफ़ग़ानिस्तान में और सैनिकों के लिए 33 अरब डॉलर की राशि को मंजूरी दे दी है. इससे अंतरराष्ट्रीय सैनिकों की संख्या बढ़कर एक लाख पचास हजार हो जाएगी.
पैट्रेयस की ज़िम्मेदारी अफ़ग़ानिस्तान में आतंकवादियों के ख़िलाफ़ जीत हासिल करना ही नहीं है. उन्हें अगले साल अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय सैनिकों की वापसी के लिए भी तैयारी करनी होगी. 2001 से लेकर अब तक वहां लगभग 1900 अंतरराष्ट्रीय सैनिक मारे गए हैं. पिछले महीने 100 से ज्यादा सैनिक आतंकवादी हमलों में मारे गए थे. शुक्रवार को ही कुंदूज में अमेरिकी विकास संगठन के दफ्तर पर आतंकवादी हमला हुआ था जिसमें तीन विदेशी नागरिक भी मारे गए थे.
रिपोर्टः एजेंसियां/एम गोपालकृष्णन
संपादनः महेश झा