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समाजएशिया

कोलकाता की ट्राम में लाइब्रेरी का मजा

प्रभाकर मणि तिवारी
२५ सितम्बर २०२०

कोलकाता भारत का अकेला शहर है जहां आज भी ट्राम चलती है. लेकिन आधुनिकीकरण न होने की वजह से उसका आकर्षण घटता जा रहा था. अब कंपनी ने किताबों और पत्रिकाओं का शौक रखने वाले यात्रियों को लुभाने का नायाब तरीका निकाला है.

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Straßenbahn-Bibliothek in Indien
तस्वीर: WBTC

कोलकाता में लोग अब डेढ़ सौ साल से इस महानगर की पहचान रही ट्राम में बैठकर लाइब्रेरी का आनंद ले सकेंगे. गुरुवार को इस अपने किस्म की पहली ट्राम लाइब्रेरी का उद्घाटन किया गया. यह ट्राम नियमित रूप से श्यामबाजार से एस्प्लानेड के बीच चलेगी और करीब साढ़े चार किलोमीटर की दूरी तय करते हुए कॉलेज स्ट्रीट से भी होकर गुजरेगी. यह दिन में चार चक्कर लगाएगी. इस मार्ग पर कलकत्ता विश्वविद्यालय और प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय, स्कॉटिश चर्च कॉलेज, हिंदू कॉलेज समेत करीब 30 शिक्षण संस्थान हैं. ट्राम लाइब्रेरी में मुफ्त वाईफाई की सुविधा भी उपलब्ध होगी ताकि लोग सफर के दौरान ई-पुस्तकों को भी पढ़ सकें. इस ट्राम का मकसद प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों को आकर्षित करना है.

अनूठी ट्राम लाइब्रेरी

कोलकाता में चलने वाली ट्रामें इस महानगर की पहचान रही हैं. पूरे देश में अकेले यहीं यह ट्राम अब भी चलती है. धीमी गति, परिवहन के तेज साधनों और भागदौड़ भरी जिंदगी में समय की कमी की वजह से यह सेवा हालांकि बीते कुछ दशकों से धीरे-धीरे सिमटती रही है. बावजूद इसके देशी-विदेशी पर्यटकों में इसका भारी आकर्षण है. सरकार इस सेवा को आकर्षक बनाने के लिए समय-समय पर अनूठे प्रयोग करती रही है. इनमें ट्रामों पर दुर्गापूजा दर्शन से लेकर पुस्तक मेला जैसे आयोजन तक शामिल रहे हैं. उसी कड़ी में अब पहली बार इस पर चलती-फिरती लाइब्रेरी बनाई गई है जहां लोग सफर के साथ पढ़ने का आनंद उठा सकते हैं.

पश्चिम बंगाल परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक राजनवीर सिंह कपूर बताते हैं, "इस ट्राम लाइब्रेरी में यूपीएससी के अलावा पश्चिम बंगाल लोक सेवा आयोग, जीआरई और जीमैट समेत विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों के लिए भी पत्रिकाएं उपलब्ध होंगी.” उनका कहना है कि छात्रों, शिक्षकों और बुद्धिजीवियों में पढ़ने की आदत को नए सिरे से बढ़ावा देना ही इस लाइब्रेरी की स्थापना का प्रमुख मकसद है. महज 20 रुपए का टिकट लेकर यात्री पढ़ते हुए सफर का आनंद ले सकेंगे. पुस्तकों को पढ़ने के लिए कोई शुल्क नहीं लगेगा.

Straßenbahn-Bibliothek in Indien
ट्राम में लाइब्रेरीतस्वीर: Prabhakarmani Tewari/DW

ट्राम के दोनों कोच पूरी तरह वातानुकूलित बनाए गए हैं ताकि यात्रियों को गर्मी के मौसम में भी कोई दिक्कत नहीं हो. इन दोनों कोच के बीच की दीवार हटा कर ट्राम को एक लंबे कोच में बदल दिया गया है. कपूर बताते हैं, "एक सप्ताह तक सभी यात्रियों को मुफ्त में कलम भेंट दी जाएगी. आगे चल कर इस ट्राम में साहित्यिक कार्यक्रमों के आयोजन के साथ पुस्तक लोकार्पण समारोह भी आयोजित किए जाएंगे. इस साल नवंबर में एक ट्राम लिटरेचर फेस्ट के आयोजन की भी योजना है.”

बहाल हो रही है ट्राम सेवा

बीती मई में अंफान तूफान के कारण हजारों की तादाद में पेड़ व खंभे गिरने से ट्राम सेवा पूरी तरह ठप हो गई थी. अब उसे धीरे-धीरे बहाल किया जा रहा है. एस्प्लानेड से श्यामबाजार के बीच भी यह सेवा बंद थी. इसे ट्राम लाइब्रेरी के तौर पर दोबारा शुरू किया गया है. फिलहाल पांच रूटों पर ट्रामों का संचालन किया जा रहा है. राज्य परिवहन विभाग के एक अधिकारी बताते हैं, "कोरोना को ध्यान में रखते हुए इस ट्राम लाइब्रेरी में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाएगा. इसके अलावा सुरक्षा के दूसरे मानक भी अपनाए जाएंगे. लाइब्रेरी के गेट पर सैनिटाइजर रखा होगा और यात्रियों के लिए मास्क पहनना अनिवार्य होगा.”

छात्रों ने इस लाइब्रेरी पर प्रसन्नता जताई है. प्रेसीडेंसी कालेज के एक छात्र गौरव हालदार कहते हैं, ”यह एक सराहनीय पहल है. आम के आम गुठली के दाम की तर्ज पर हम इससे अपने कालेज जाते समय प्रतियोगी परीक्षाओं की पत्र-पत्रिकाओं पर निगाह दौड़ा सकते हैं. फिलहाल तो कालेज बंद है. लेकिन संभवतः दुर्गापूजा के बाद खुलने पर इस ट्राम में भीड़ बढ़ेगी.” दूसरी ओर, कुछ लोगों ने इसे इस महानगर की ऐतिहासिक विरासत से छेड़छाड़ बताते हुए इस पर नाराजगी जताई है. कलकत्ता ट्राम यूजर्स एसोसिएशन के सदस्य सुविमल भट्टाचार्य कहते हैं, "ट्राम के दोनों कोच को सिंगल कोच में बदलना सही नहीं है. यह विरासत से छेड़छाड़ करने जैसा है. हमें इस विरासत को संरक्षित करने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए.” बॉलीवुड और बांग्ला फिल्मोद्योग टॉलीवुड के अनगिनत फिल्मों की शूटिंग इन ट्रामों में हो चुकी है.

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सफर के साथ पढ़ाई भीतस्वीर: Prabhakarmani Tewari/DW

सिमटती विरासत

लगभग डेढ़ सौ वर्षों से कोलकाता की पहचान बनीं ट्रामें आधुनिकीकरण की मार की वजह से तेजी से इतिहास के पन्नों में सिमट रही हैं. कोलकाता के इतिहास और विरासत का हिस्सा होने के बावजूद परिवहन के आधुनिक साधनों की भरमार, सरकारी लापरवाही और लगातार सिकुड़ते रूटों के चलते अब यह ट्रामें रेंगने पर मजबूर हैं. बीते खास कर दस वर्षों के दौरान इनकी तादाद में भारी गिरावट आई है. वर्ष 2011 में भी महानगर में 180 ट्रामें थीं. लेकिन अंफान तूफान की मार के बाद फिलहाल सिर्फ पांच रूटों पर ही ट्रामें चलाई जा रही हैं.

24 फरवरी 1873 को यहां सियालदह स्टेशन से आर्मेनियन स्ट्रीट तक पहली बार ट्राम चली थी. उस समय इसे घोड़े खींचते थे. बीच में चार साल बंद रहने के बाद वर्ष 1880 में यह सेवा दोबारा शुरू की गई. इस दौरान स्टीम इंजन से ट्राम चलाने का असफल प्रयास भी किया गया. आखिर में 27 मार्च 1902 को बिजली से ट्राम चलाने में कामयाबी मिली. 1930 के दशक में कोलकाता में तीन सौ से ज्यादा ट्रामें चलती थीं. तब यही महानगर की प्रमुख सार्वजनिक सवारी थी. अब सड़कों के प्रसार और वाहनों की तादाद बढ़ने के साथ इनका रूट सिकुड़ गया है. यह ट्रामें सड़कों पर बिछी पटरियों पर ही चलती हैं. परिवहन विभाग को उम्मीद है कि उसकी इस ताजा पहल से खासकर नई पीढ़ी एक बार फिर ट्राम की सवारी की ओर लौटेगी.

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