'अमीरी तो सीआईए का मोहरा था'
२० जुलाई २०१०सीआईए के एक पूर्व अफसर का कहना है कि अमीरी ने सीआईए से यही कहा कि ईरान में परमाणु हथियारों के लिए कोई कार्यक्रम नहीं चलाया जा रहा है. सीआईए में आतंकवाद निरोधी विभाग में अफसर रहे फिलिप गिराल्डी का दावा है कि अमीरी की पूछताछ के ऑपरेशन से जुड़े रहे अफसर उनके संपर्क में हैं.
गिराल्डी के मुताबिक सीआईए सूत्रों का कहना है कि अमीरी को अमेरिका लाए जाने से पहले से ही वह सीआईए को सूचनाएं भेज रहे थे. उन्होंने इसके लिए सैटलाइट कम्यूनिकेशन का इस्तेमाल किया था. अमीरी पिछले साल सऊदी अरब में हज करने गए थे, तब उन्हें अमेरिका लाया गया. हालांकि गिराल्डी के मुताबिक सीआईए कहती है कि अमीरी एक रेडिएशन सेफ्टी विशेषज्ञ हैं और ईरान के परमाणु कार्यक्रम के दायरे में उनकी भूमिका बहुत बाहरी हिस्से तक ही है.
गिराल्डी ने कहा कि सीआईए अधिकारी अमीरी की विश्वसनीयता को खत्म कर देने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं. इसी मकसद से इस बात का प्रचार किया जा रहा है कि अमीरी अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के लिए बड़े काम के साबित हुए. इसका मकसद यह भी है कि ईरानी खुफिया एजेंसियां अमीरी पर यकीन न कर पाएं. लेकिन असल में गिराल्डी के मुताबिक यह सीआईए का अपने बचाव का एक तरीका है क्योंकि अमीरी के मामले को सही तरीके से न संभाल पाने के कारण उसकी किरकिरी हो रही है.
खबरें इस तरह की भी आ रही हैं कि अमेरिका पहले से जानता था कि अमीरी के पास बताने लायक कुछ नहीं है. एक अमेरिकी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर न्यू यॉर्क टाइम्स को कहा कि अमीरी असल में एक छोटे दर्जे के वैज्ञानिक हैं लेकिन सीआईए को उम्मीद थी कि उनके जरिए बड़े अधिकारियों तक पहुंचा जा सकता है.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः महेश झा