अमेरिका का ब्लैकबेरी विवाद पर भारत से संपर्क
५ अगस्त २०१०अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता पीजे क्राउले ने कहा, "यह मुद्दा सूचना की स्वतंत्रता और सूचनाओं के बचाव से जुड़ा है, तकनीक के इस्तेमाल से जुड़ा है. हम इन सरकारों के संपर्क में हैं. हम जानने की कोशिश कर रहे हैं कि उनकी चिंताएं क्या हैं और इस कंपनी के साथ वे किस तरह की बातचीत कर रहे हैं."
क्राउले ने एक सवाल के जवाब में कहा, "कई देश इस तरह की बातचीत में लगे हैं. हम देखना चाहते हैं कि इसका क्या नतीजा निकलता है." क्राउले का बयान ऐसे वक्त में आया है, जब भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने कनाडियाई कंपनी ब्लैकबेरी से कहा था कि उसके मोबाइल से गुजरने वाले हर ईमेल और एसएमएस तक भारतीय एजेंसियों की पहुंच होनी चाहिए.
सऊदी अरब में भी स्थानीय मोबाइल सेवा देने वाली कंपनियों को ब्लैकबेरी की सेवा बंद करने का आदेश दिया जा रहा है और दुबई में एक अक्तूबर से ब्लैकबेरी की कई सेवाएं रोक दी जाएंगी.
क्राउले का कहना है कि दुनिया के कई देशों में तकनीक से जुड़ी सुरक्षा की जायज चिंताएं हैं. उन्होंने कहा, "हम उन चिंताओं को समझते हैं. लेकिन साथ ही हम सूचनाओं के बहाव का समर्थन करते हैं. ऐसी तकनीक जो लोगों को मजबूत बनाए. चूंकि यह मामला कई देशों से जुड़ा है. इसलिए हम उन देशों के संपर्क में हैं. हम उनकी चिंताओं को समझ रहे हैं और देखते हैं कि क्या उपाय निकाला जा सकता है."
भारत में 10 लाख से भी ज्यादा ब्लैकबेरी फोन इस्तेमाल किए जा रहे हैं. भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने आशंका जताते हुए कहा था कि मौजूदा रूप में इसके इस्तेमाल से सुरक्षा से जुड़े खतरे सामने आ सकते हैं. इसके बाद भारत के गृह मंत्रालय ने चेतावनी दी थी कि अगर उनकी चिंताओं को दूर नहीं किया गया तो ब्लैकबेरी की सेवाओं पर पाबंदी लगाई जा सकती है.
ब्लैकबेरी का सर्वर कनाडा में है और इससे भेजे जाने वाले ईमेल और एसएमएस के आंकड़े वहीं मिल सकते हैं. इसका मतलब यह है कि भारत की सुरक्षा एजेंसियों को उन आंकड़ों तक पहुंच नहीं है.
रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल
संपादनः ओ सिंह