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अमेरिका की बलि चढ़ती गरीबी

१० अक्टूबर २०१३

अब तक विश्व की आर्थिक संस्थाओं ने विकसित और विकासशील देशों को ही आगे बढ़ाया है. विश्व बैंक अब गरीब देशों को उबारना चाहता है लेकिन इस बार अमेरिका में आर्थिक परेशानी अड़ंगा बन सकती है.

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तस्वीर: REUTERS

अमेरिका के रिपब्लिकन सांसद अगर स्वास्थ्य सेवा को लेकर राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ समझौता नहीं करते तो 17 अक्टूबर को देश पैसे देने के काबिल नहीं रहेगा. दुनिया इंतजार कर रही है कि कर्ज की कानूनी सीमा को बढ़ाया जाए. अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेड और उसकी उदारवादी नीतियां भी असुरक्षा बढ़ा रही हैं. विश्व बैंक प्रमुख जिम योंग किम इस बार की बैठक में सुरक्षित करना चाहते हैं कि विश्व बैंक के पैसे गलत जगह न पहुंचे. इस बीच बैंक ने 100 अरब डॉलर की राशि उधार के तौर पर दी है. इससे करीब 100 देशों में 700 विकास प्रोजेक्ट को मदद मिल रही है. सवाल यह है कि क्या भारत जैसे देशों को विश्व बैंक से उधार की जरूरत है? यह सवाल पोलैंड और तुर्की पर भी लागू होता है जो वित्तीय संकट से अप्रभावित रहे.

Japan Weltbank Treffen in Tokio Christine Lagarde von IWF
तस्वीर: dapd

जिम विश्व बैंक को बदलकर उसे और कारगर बनाना चाहते हैं. वे ऐसे प्रोजेक्टों और देशों पर ध्यान देना चाहते हैं जहां सरकारें और सरकारी संगठनों की हालत नाजुक है और जहां मूलभूत ढांचे को संघर्ष के बाद बेहतरी की जरूरत हो. जिम का मानना है कि इन देशों में अगर मूल संसाधन बेहतर किए जा सकें और निजी निवेशकों को आकर्षित किया जा सके तो इससे बहुत फायदा होगा. किम अरब बसंत के देशों पर भी ध्यान देना चाहते हैं. आर्थिक विकास वहां हुआ है लेकिन इसके नतीजे सब तक नहीं पहुंचे हैं. लोग असुरक्षित हो गए हैं, इसलिए मिस्र में बेहतर शिक्षा की मांग कर रहे लोग भी सड़कों पर उतरे. जिम कहते हैं कि ऐसा तब होता है जब विकास केवल कुछ लोगों को फायदा पहुंचाता है. जो लोग पीछे रह जाते हैं, उनमें तनाव पैदा होता है.

संघर्ष में फंसे देशों में जिम खुशहाली लाना चाहते हैं और दुनिया में गरीबी हटाना चाहते हैं. अब भी विश्व में 20 प्रतिशत जनता रोजाना डेढ़ डॉलर से कम में गुजारा करती है. जिम 188 देशों के प्रतिनिधियों के साथ इस परेशानी को सुलझाना चाहते हैं लेकिन अमेरिकी अर्थव्यवस्था का एक हफ्ते से बंद होना और भविष्य की अनिश्चितता जिम के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों में अड़ंगा बनेगी. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष आईएमएफ का मानना है कि दुनिया भर में आर्थिक हालत पर अमेरिकी अनिश्चितता का असर पड़ेगा.

USA Haushaltskrise Shutdown Grand Canyon
तस्वीर: picture-alliance/AP

आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री ओलिवियेर ब्लांशार ने कहा कि अगर अमेरिका पैसे चुकाने में असमर्थ रहता है तो अमेरिका और विदेश के वित्त बाजारों पर इसका प्रभाव दिखेगा. विश्व बैंक प्रमुख जिम योंग किम भी यही मानते हैं. आईएमएफ और विश्व बैंक की बैठक के साथ साथ जी20 देशों के नेता भी अमेरिका की हालत पर बहस करने मिल रहे हैं. आर्थिक संकट के दौरान फेडरल बैंक ने अपने ब्याज दर बहुत कम कर दिए थे और हर महीने 85 अरब डॉलर की राशि को अर्थव्यवस्था के लिए उपलब्ध कराया. अब फेडरल बैंक ऐसा और नहीं करना चाहता और इसका असर भारत जैसे देशों पर हो सकता है क्योंकि अमेरिकी निवेशक इन देशों से अपने पैसे वापस ले सकते हैं.

रिपोर्टः रॉल्फ वेंकल/एमजी (एएफपी)

संपादनः एन रंजन

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