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अमेरिकी डॉलर में लिपटे पाक की राजनीतिक मजबूरी

१७ मार्च २०११

सीआईए के कॉन्ट्रेक्टर रेमंड डेविस भले ही अब पाकिस्तानी जेल में बंद न रहें लेकिन डेविस के गिरफ्तार होने, फिर नोंक झोंके के बाद हुई रिहाई के कारण अमेरिका और पाकिस्तान के संबंधों में दरार तो पड़ ही गई है.

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तस्वीर: AP

आतंक के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका के लिए पाकिस्तान एक बड़ा और अहम सहयोगी देश है. इसलिए रेमंड डेविस मामले से अमेरिका और पाकिस्तान के बीच पहले से ही नाजुक चल रहे संबंधों को नुकसान पहुंचा.

बुधवार शाम को पाकिस्तान की अदालत ने डेविस को रिहा करने का फैसला दिया. डेविस पर लाहौर में दो लोगों को मारने का आरोप है. डेविस का कहना था कि दोनों उसे लूटने की कोशिश कर रहे थे इसलिए उसने आत्मरक्षा में गोली चलाई.

लेकिन रेमंड डेविस का मामला शुरू से ही दाल में काला जैसा रहा. बुधवार शाम को डेविस की रिहाई के बाद कुछ अधिकारियों ने दावा कि पीड़ितों के परिजनों को एक सौदे के तहत पैसे दिए गए.

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पाकिस्तान में हुए भारी विरोध प्रदर्शनतस्वीर: AP

राजनीतिक मजबूरी

वहीं डेविस की रिहाई से पाकिस्तान और अमेरिका के बीच संबंधों में आया तनाव कम हुआ है. अमेरिका ने डेविस की रिहाई का स्वागत किया है और एक बार फिर जोर देकर कहा है कि पाकिस्तान आतंक के खिलाफ लड़ाई में अहम सहयोगी है. अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान चरमपंथियों को खत्म करने में मदद करे क्योंकि उसके बिना अफगान संघर्ष को खत्म करना संभव नहीं होगा.

कई सप्ताह से पाकिस्तान डेविस को कानूनी कार्रवाई से बचा कर रखने की कोशिश में था. रेमंड डेविस की रिहाई के बाद अमेरिका ने कहा कि यह रिहाई का मतलब सामान्य बिजनेस की ओर लौटना है. लेकिन जब बात अमेरिकी पाक संबंधों की हो तो यह 'बिजनेस' सामान्य तो कतई नहीं हो सकता. हेरिटेज फाउंडेशन में दक्षिण एशिया मामलों की जानकार लिसा कर्टिस कहती हैं, "पाकिस्तान और अमेरिका के बीच एक विवाद भले ही हल हो गया हो लेकिन इससे आधारभूत चुनौतियां खत्म नहीं होती."

इनमें से एक चुनौती है पाकिस्तान में नापसंद किए जाने वाले राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी, जिन्हें अमेरिकी मदद की जरूरत तो है लेकिन अगर उन्होंने पाकिस्तान में बढ़ती अमेरिका विरोधी भावनाओं के प्रति अपना समर्थन जताया तो उनका राजनीतिक भविष्य खतरे में पड़ जाएगा.

पाकिस्तानी अधिकारी के हवाले से अब यह भी खबर है कि अमेरिका और पाकिस्तान अब उच्चस्तरीय बैठकों की फिर से शुरुआत करेगा. रेमंड डेविस की रिहाई के कारण इन बैठकों को निलंबित कर दिया गया था.

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रेमंड डेविस पहुंचे पाकिस्तानतस्वीर: AP

खुफिया संबंधों में दरार

रेमंड डेविस की रिहाई के साथ ही पाकिस्तानी कबायली इलाकों में कथित अमेरिकी ड्रोन हमलों को फिर से हरी झंडी मिल गई है. गुरुवार सुबह उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान में एक ड्रोन हमले में 12 उग्रवादियों के मारे जाने के समाचार हैं. अमेरिकी रक्षा अधिकारी के हवाले से रॉयटर्स समाचार एजेंसी ने लिखा है कि उन्हें पाकिस्तान और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग पर असर पड़ने का अंदेशा बिलकुल नहीं दिखता. क्योंकि डेविस के कैद में रहने के दौरान भी अमेरिकी सैन्य कार्रवाई जारी थी.

हालांकि डेविस का मामले का सीधा अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के बीच संबंधों पर जरूर पड़ेगा. विदेश मामलों की परिषद के डैनियल मार्की का कहना है कि इस मामले से अमेरिकी खुफिया एजेंसी की पाकिस्तान में उपस्थिति कम हो सकती है. माना जा रहा है कि पाकिस्तान में सीआईए के कॉन्ट्रेक्टर लश्कर ए तैयबा जैसे संगठनों के बारे में आईएसआई की जानकारी की पुष्टि करते थे. लश्कर ए तैयबा पाकिस्तानी सेना और आईएसआई का नजदीकी गुट माना जाता रहा है.

वहीं डेविस के कैद में रखे जाने से अमेरिकी कांग्रेस में भी बहस हो सकती है. रिपब्लिकन पार्टी की डाना रोहरबाखर ने कहा, "कई अरब अमेरिकी डॉयर पाने वाला देश हमारे नागरिकों के साथ ऐसा व्यव्हार करे. यह चौंकाने वाला है. इससे संकेत मिलता है कि हम कड़ा ध्यान दें कि हमारा पैसा किसे दिया जा रहा है, या ऐसा है कि वह हमारे दोस्त नहीं है. या वह हमे बुद्धू बना रहे हैं."

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः ओ सिंह

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