अमेरिकी राजदूत ने कहा पाकिस्तान पर भरोसा
१७ दिसम्बर २०१०चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ का पाकिस्तान दौरा शुरू होने के दिन अमेरिकी राजदूत ने एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर कहा कि सीमा के पाकिस्तानी हिस्से में उग्रपंथी पनाहगाहों पर कार्रवाई, जो अफगानिस्तान की स्थिरता के लिए जरूरी है, पाकिस्तानी सेना की क्षमता का सवाल है न कि उसकी इच्छा की.
यह पूछे जाने पर कि क्या अमेरिका को भरोसा है कि पाकिस्तान उग्रपंथियों द्वारा सालों से इस्तेमाल किए जा रहे सुरक्षित शरणस्थलियों को खत्म करने के प्रति गंभीर है, राजदूत मंटर ने कहा, "हां मैं इसे मानता हूं."
एक दिन पहले व्हाइट हाउस ने राष्ट्रपति बराक ओबामा की एक साल पुरानी अफगान नीति की समीक्षा रिपोर्ट जारी की है. तालिबान की गतिविधियों में आई तेजी को रोकने और उसके बाद 2011 से क्रमिक रूप से सैनिकों की वापसी के लिए ओबामा प्रशासन ने 30 हजार अतिरिक्त सैनिकों को अफगानिस्तान भेजा है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशी सैनिकों ने उल्लेखनीय ऑपरेशनल सफलता पाई है लेकिन पाकिस्तान में मिश्रित प्रगति की बात कही है जिसके सीमाई इलाके को ओबामा की अफगानिस्तान रणनीति की सफलता में प्रमुख बाधा माना जाता है. वहां से चरमपंथी बेरोकटोक अफगानिस्तान घुस जाते हैं और गठबंधन के सैनिकों पर हमला कर वापस छुप जाते हैं.
पाकिस्तान के 140,000 सैनिक अफगानिस्तान के साथ लगी पश्चिमी सीमा पर तैनात हैं और पाकिस्तानी चरमपंथियों का मुकाबला कर रहे हैं जो इस्लामाबाद की सरकार को उखाड़ फेंकना चाहते हैं. लेकिन पाकिस्तानी सेना उत्तरी वजीरिस्तान में जाने से बच रही है जिसे इस्लामी कट्टरपंथ का केंद्र कहा जाता है. उसका कहना है कि वहां जाने से पहले वह दूसरे इलाकों में मिली सफलता को पुख्ता करना चाहती है. इस इलाके में अल कायदा और तालिबान के नेताओं के छुपे होने की आशंका है.
एक ओर अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान को हक्कानी जैसे गुटों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए तो दूसरी ओर राजदूत मंटर और दूसरे अधिकारी पाकिस्तान पर बहुत दबाव भी नहीं बनाना चाहते क्योंकि वह नाटो के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है, जैसा कि उसने अक्टूबर में नाटो के लिए महत्वपूर्ण सप्लाई लाइन को 10 दिनों के लिए बंद कर किया था. मंटर ने कहा, "हम समझते हैं कि वे हमें इमानदारी से अपनी सेना की क्षमता के बारे में बता रहे हैं और जब वे तैयार होंगे तो हमें विश्वास है कि वे कार्रवाई करेंगे."
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: ओ सिंह