अलग थलग पड़ा तुर्की
१ मार्च २०१७तुर्की लगातार अलग थलग होता जा रहा है. तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तेयप एर्दोवान उसे इस्लामी प्रभाव वाले निरंकुश शासन में बदल रहे हैं. कुछ लोगों का तो कहना है कि वह देश को इस्लाम के प्रभाव वाली तानाशाही की ओर ले जा रहे हैं. मामला यह नहीं है कि देश की संसदीय व्यवस्था को उनके अनुसार ढली राष्ट्रपति व्यवस्था में बदला जा रहा है, मौत की सजा के प्रावधान के साथ. मामला तुर्की के रोजमर्रे का है, सेना, प्रशासन स्कूल, विश्वविद्यालय और सरकारी दफ्तरों के दसियों हजार लोगों की गिरफ्तारी का है. उन पर संदेह है कि वे गुलेन आंदोलन के समर्थक हैं और एर्दोवान को सत्ताच्युत करना चाहते हैं. गिरफ्तारी की इस लहर में कानूनी राज्य और प्रेस तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में पड़ गई है.
इस बीच 150 से ज्यादा पत्रकार कैद या न्यायिक हिरासत में हैं. अखबारों को बंद कर दिया गया है, दूसरे को रास्ते पर आने के लिए मजबूर कर दिया गया है. विपक्षी आवाजें सुनना दुर्लभ हो गया है. और अब एक जर्मन पत्रकार डेनिस यूजेल को भी हिरासत में ले लिया गया है. जर्मनी में उचित ही एकजुटता की लहर दिखी है, सरकार, चांसलर और विदेश मंत्री तक.
अब तक जर्मन सरकार ने तुर्की के घटनाक्रम पर संयम दिखाया है. उसने तुर्की और एर्दोवान के लिए पुल बनाने की कोशिश की है. इस चिंता की वजह से भी कि एर्दोवान की आलोचना तुर्की के साथ शरणार्थी समझौते को खतरे में डाल सकती है. लेकिन अब उसे साफ रवैया अख्तियार करना होगा. और वह भी ऐसे समय में जब तुर्की का जनमत पहले से कहीं ज्यादा तनाव में है. क्योंकि तुर्की में अंतर करने की राजनीतिक जगह नहीं बची है. अब सिर्फ एर्दोवान का समर्थन या विरोध है. सिर्फ दोस्त हैं या दुश्मन हैं.
जर्मनी में अखबारों ने लिखा है, हम सब डेनिस हैं. यही फेसबुक और ट्विटर पर लिखा जा रहा है. हां मीडिया में हम सब डेनिस हैं. हम सब को अपने सहकर्मी की चिंता है और उन 154 दूसरे पत्रकारों की भी जो तुर्की में जेल में हैं. हमें तुर्की में प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की चिंता है. हमें तुर्की की चिंता है. वह यूरोप से दूर जा रहा है. ये देश राजनीतिक तौर पर अलग थलग हो गया है. यूजेल की हिरासत इसका एक नमूना है. अभी भी हम सब डेनिस हैं. लेकिन चिंता इस बात की है कि हमें जल्द ही हैशटैग फ्री डेनिस की छतरी के नीचे इकट्ठा होना होगा.