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अब असम और मेघालय के बीच बढ़ा विवाद

प्रभाकर मणि तिवारी
२६ अक्टूबर २०२०

पूर्वोत्तर में जहां भारत चीन के साथ सीमा विवाद में उलझा है, वहीं पूर्वोत्तर राज्य अपने ही विवादों में फंसे हुए हैं. अब असम और मेघालय के बीच तनाव बढ़ गया है.

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Karte Indien West Khasi Hills Meghalaya ENG

पूर्वोत्तर राज्यों में लंबे अरसे से सीमा के मुद्दे पर विवाद होता रहा है. कभी असम और नागालैंड के बीच विवाद तेज होता है तो बीते सप्ताह मिजोरम के साथ इसी मुद्दे पर हिंसक झड़पें हुई थीं. अब पड़ोसी मेघालय के सात दशकों पुराना सीमा विवाद का मुद्दा एक बार फिर जोर पकड़ रहा है. कोरोना की वजह से मेघालय की ओर से असम के व्यापारियों की आवाजाही पर लगाई गई पाबंदियों ने इस विवाद की आग में घी डालने का काम किया है. अब अखिल असम छात्र संघ (आसू) समेत 40 संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर इन पाबंदियों को तुरंत नहीं हटाया गया तो वह 29 अक्तूबर से गारो हिल्स जाने वाली तमाम सड़कों की नाकेबंदी कर देंगे. उधर, मेघालय के विभिन्न राजनीतिक दलों ने सरकार से असम के साथ सीमा विवाद को शीघ्र सुलझाने की मांग की है. बीजेपी के एक विधायक ने इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिख कर विवाद को शीघ्र सुलझाने की अपील की है.

कैसे शुरू हुआ मेघालय और असम का विवाद

असम के साथ मेघालय का सीमा विवाद वर्ष 1972 में इस राज्य के गठन जितना ही पुराना है. मेघालय कम से कम 12 इलाकों पर अपना दावा ठोकता रहा है. वह इलाके फिलहाल असम के कब्जे में हैं. दोनों राज्यों ने एक नीति अपना रखी है, जिसके तहत कोई भी राज्य दूसरे राज्य को बताए बिना विवादित इलाकों में विकास योजनाएं शुरू नहीं कर सकता. यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब मेघालय ने असम पुनर्गठन अधिनियम, 1971 को चुनौती दी. उक्त अधिनियम के तहत असम को जो इलाके दिए गए थे उसे मेघालय ने खासी और जयंतिया पहाड़ियों का हिस्सा होने का दावा किया था. सीमा पर दोनों पक्षों के बीच नियमित रूप से झड़पें हुई हैं. नतीजन दोनों राज्यों में बड़े पैमाने पर स्थानीय लोगों के विस्थापन के साथ ही जान-माल का भी नुकसान हुआ है.

1985 में वाईवीचंद्रचूड़ समिति का गठन

इस मुद्दे पर अतीत में कई समितियों का गठन किया गया और दोनों राज्यों के बीच कई दौर की बातचीत भी हुई. लेकिन अब तक नतीजा सिफर ही रहा है.  सीमा विवाद की जांच और उसे सुलझाने के लिए वर्ष 1985 में वाईवीचंद्रचूड़ समिति का गठन किया गया था. लेकिन उसकी रिपोर्ट भी ठंढे बस्ते में है. अब मिजोरम और असम के बीच बीते सप्ताह हुई हिंसा के बाद राज्य में इस विवाद को शीघ्र सुलझाने की मांग उठ रही है. मेघालय के तमाम राजनीतिक दलों ने केंद्र से कहा है कि वह 2022 से पहले इस विवाद को सुलझाने की पहल करे. वर्ष 2022 में मेघालय के गठन को 50 वर्ष पूरे हो जाएंगे. सत्तारुढ़ गठबंधन में शामिल कई दलों के प्रतिनिधियों ने भी इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री कोनराड संगमा से मुलाकात कर उसे इस मामले में पहल करने और असम सरकार के साथ बातचीत दोबारा शुरू करने को कहा है. वैसे, पहले भी इस मुद्दे पर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों और मुख्य सचिवों के बीच कई बैठकें हो चुकी हैं. लेकिन विवाद जस का तस है.

अमित शाह को लिखा पत्र

मेघालय के बीजेपी विधायक शानबोर शुल्लई ने अपने राज्य और असम के बीच काफी समय से लंबित सीमा विवाद सुलझाने के लिए बीते शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है. उनका कहना है कि असम और मेघालय के बीच कई इलाके हैं जहां अक्सर सीमा के सवाल पर हिंसक झड़पें होती रहती हैं. शुल्लई ने लिखा है, "इस विवाद की वजह से सीमा के दोनों ओर तनावपूर्ण शांति और लोगों के बीच दुश्मनी बनी रहती है. इस विवाद के चलते संबंधित इलाकों में विकास का काम ठप है.”

मेघालय सरकार की ओर से कोरोना की वजह से असम के व्यापारियों के राज्य में प्रवेश पर लगाई गई पाबंदियों से भी दोनों राज्यों के आपसी संबंधों में कड़वाहट बढ़ रही है. असम के गारो हिल्स इलाके में कारोबार करने वाले असम के व्यापारियों को लॉकडाउन के दौरान वापस जाने को कह दिया गया था. अब वह लोग वापस जाना चाहते हैं. लेकिन मेघालय सरकार उनको इसकी अनुमति नहीं दे रही है. इसके विरोध में अब अखिल असम छात्र संघ (आसू) समेत पचास संगठनों ने मेघालय को शीघ्र यह पाबंदी हटाने की चेतावनी दी है. इन संगठनों ने कहा है कि अगर उसने ऐसा नहीं किया तो गारो हिल्स जाने वाली तमाम सड़कों की नाकेबंदी कर दी जाएगी.

मेघालय के गारो हिल्स की परेशानी

इन संगठनों की दलील है कि मेघालय के व्यापारियों पर असम आने-जाने पर कोई रोक नहीं है. लेकिन असम के व्यापारियों को मेघालय जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है. आसू के एक प्रवक्ता कहते हैं, "अगर पाबंदी ही लगानी है तो मेघालय के व्यापारियों को भी असम आने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.” उनका सवाल है कि जब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक से दूसरे राज्य में आने-जाने पर लगी पाबंदी हटा ली है तो आखिर मेघालय सरकार ने इसे जारी क्यों रखा है. अखिल असम अल्पसंख्यक छात्र संघ (आम्सू) के ग्वालपाड़ा जिला अध्यक्ष अनिमूल हक चौधरी कहते हैं, "मेघालय सरकार के मनमाने फैसले से राज्य के व्यापारियों को भारी नुकसान हो रहा है. इससे बिचौलियों की किस्मत खुल गई है. यह लोग असम से कम कीमत पर सामान लेकर मेघालय में ऊंची कीमत पर बेचते हैं.” असम का ग्वालपाड़ा जिला मेघालय के गारो हिल्स से सटा है.

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि असम से काट कर अलग-अलग राज्यों के गठन के समय सीमा का ठीक से निर्धारण नहीं किया गया. वही विवाद की जड़ है. यही वजह है कि इलाके के ज्यादातर राज्य असम के साथ सीमा विवाद में उलझे हैं. एक पर्यवेक्षक सुनील बरगोहाईं कहते हैं, "असम के साथ विभिन्न राज्यों का सीमा विवाद रह-रह कर हिंसक हो उठता है. केंद्र सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप कर सीमा निर्धारण के लिए किसी आयोग का गठन करना चाहिए ताकि दशकों पुराने इस विवाद को शीघ्र निपटाया जा सके. उसके बाद ही सीमावर्ती इलाको में शांति बहाल हो सकेगी.”

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