असम चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस को चुनौती
५ फ़रवरी २०२१सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने पहले ही विधान सभा का चुनाव लड़ने के लिए अपने साथियों का चुनाव कर लिया है. उसने असम गण परिषद के साथ अपना गठबंधन जारी रखने और वर्तमान सहयोगी बोडो पीपुल्स फ्रंट को छोड़ने के बाद नए सहयोगी यूनाइटेड पीपल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) के साथ गठबंधन बनाने की घोषणा की. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने तीन वामपंथी दलों- सीपीआई-एम, सीपीआई, सीपीआई-एमएलएल के साथ-साथ ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के साथ मिलकर एक 'महागठबंधन' बनाया है. आंचलिक गण मोर्चा का मुसलमानों के बीच राजनीतिक आधार है क्षेत्रीय दलों का स्थानीय लोगों के बीच.
गुरुवार को दो प्रमुख क्षेत्रीय दलों, असम जातीय परिषद (एजेपी) और रायजोर दल (आरडी) ने घोषणा की है कि वे आगामी चुनाव एक साथ लड़ेंगे. ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के पूर्व नेता लुरिनज्योति गोगोई ने हाल ही में एजेपी का दामन थाम लिया था. उन्होंने जेल में बंद नेता व रायजोर दल के सुप्रीमो अखिल गोगोई के साथ गुरुवार को तीन घंटे की मुलाकात के बाद गठबंधन की घोषणा की. दिसंबर 2019 में सीएए के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व करने के तुरंत बाद जेल गए अखिल गोगोई का इस समय गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज में विभिन्न बीमारियों का इलाज चल रहा है.
त्रिपक्षीय मुकाबले की कोशिश
लुरिनज्योति गोगोई ने गुरुवार को यह भी कहा कि उनकी पार्टी कार्बी आंगलोंग से स्वायत्त राज्य मांग समिति और बीपीएफ के संपर्क में है. दोनों का मध्य-पश्चिमी असम में स्थानीय लोगों के बीच पर्याप्त जनाधार है. उन्होंने कहा, "हमारी क्षेत्रीय पार्टी गठबंधन सभी 126 सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करेगी." एजेपी और आरडी नेताओं ने अब तक कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल होने के प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया है.
पिछले साल दिसंबर की शुरुआत में बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद के चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा ने बोडो पीपुल्स फ्रंट से नाता तोड़ लिया था और अपने नए सहयोगियों यूपीपीएल और गण सुरक्षा परिषद (जीएसपी) को समर्थन देने की घोषणा की. अपने गठबंधन की घोषणा करने के बाद कांग्रेस पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष रिपुन बोरा सहित दूसरे कांग्रेसी नेताओं ने दावा किया था कि 'वोटों की सुनामी' महागठबंधन के पक्ष में होगी.
इसके विपरीत कुछ साल पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए नेता और असम के मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि "केवल बांग्लादेश ही कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव में वोटों की सुनामी लाने में मदद कर सकता है."
भाजपा और कांग्रेस की उम्मीदें
भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अप्रैल-मई में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी की विधानसभा चुनावों के साथ होने वाले असम चुनाव में 126 सदस्यीय विधानसभा में 100 सीटें हासिल करने का विश्वास व्यक्त किया है. राजनीतिक विश्लेषक और लेखक राजकुमार कल्याणजीत सिंह कहते हैं कि भाजपा ने भले ही एजेपी या आरडी या किसी भी गठबंधन से स्पष्ट खतरे को नकार दिया है, लेकिन सत्ताधारी पार्टी दो क्षेत्रीय दलों के गठबंधन से समान रूप से सावधान हैं, जो पूर्वी असम में 45 सीटों पर उसके प्रदर्शन पर असर डाल सकती है.
भारतीय जनता पार्टी ने 2016 में पिछले विधानसभा चुनावों में असम में कांग्रेस से सत्ता हासिल की और 60 विधायकों के साथ राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बन गई, जबकि विधानसभा में उसके सहयोगी दल- असम गण परिषद और बोडो पीपुल्स फ्रंट के क्रमश: 14 और 12 सदस्य हैं. कांग्रेस और एआईयूडीएफ ने 2016 में अलग-अलग चुनाव लड़ा था और क्रमश: 26 और 13 सीटें हासिल की थीं.
रिपोर्ट: सुजीत चक्रवर्ती (आईएएनएस)
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