आईएस का राज खत्म, तो पीने वालों की हुई मौज
८ दिसम्बर २०१८इस शहर ने तथाकथित इस्लामिक स्टेट के एकछत्र राज में तीन साल बिताए हैं, जिसमें शराब पीने पर कड़ी पाबंदी थी. जो पीने की हिमाकत करता था उसे सार्वजनिक रूप से कोड़े मारे जाते थे और कई बार तो इससे भी कहीं बुरी सजा दी जाती थी. अब एक साल से ज्यादा हो चला है जब इराकी बलों ने मोसुल को इस्लामिक स्टेट के कब्जे से मुक्त कराया था.
इस बीच, वहां शराब की दुकानें खूब फल फूल रही हैं. शहर के पश्चिमी व्यावसायिक इलाके अल दुवासा में कई आधुनिक शराब के स्टोर खुले हैं, जिनमें से एक के मालिक हैं खैरल्लाह टोबी. 21 साल का यह नौजवान शेल्फ पर हाथ घुमाता है और बीयर की बोतल निकालता है. ऐसी एक बोतल डेढ़ हजार इराकी दीनार की है, जिसे ज्यादा महंगी नहीं कहा जाएगा.
इराकी यजीदी समुदाय से संबंध रखने वाले टीबी कहते हैं, "हमारी बिक्री आजकल बहुत बढ़िया चल रही है." मोसुल में शराब की दुकानों के सभी मालिक या तो यजीदी हैं या ईसाई, क्योंकि इराक में मुसलमानों को अल्कोहल बेचने का लाइसेंस नहीं दिया जाता.
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आईएस ने 2014 में मोसुल पर कब्जा करने के बाद वहां शरिया कानून को सख्ती को लागू किया था. इसमें ना किसी को शराब बेचने और खरीदने की अनुमति थी और ना ही पीने की. कई स्थानीय लोग बताते हैं कि शहर में पीना पिलाना पूरी तरह बंद नहीं हुआ था. पीने वाले तस्करी के जरिए जैसे तैसे मंगा ही लेते थे, लेकिन शराब महंगी बहुत मिलती थी और ऊपर से खतरा भी बहुत था.
जुलाई 2017 से मोसुल जब से इराकी सरकार के नियंत्रण में लौटा है, तब से यहां खुले आम शराब बिक रही है. टोबी कहते हैं, "जब काम पर होता हूं तो बेफ्रिक रहता हूं, कोई घबराहट नहीं होती. इसका श्रेय मोसुल में मौजूदा सुरक्षा और आजादी को जाता है."
इस्लाम में शराब पीने की मनाही है, लेकिन मुस्लिम बहुल इराक में शराब बहुत आम रही है. दो साल पहले देश के राष्ट्रपति ने उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया जिसमें शराब के उत्पादन और उसके आयात पर रोक लगाने की मांग की गई थी.
मोसुल में शराब पीने पर कोई पाबंदी नहीं है, लेकिन इसे बेचने, खरीदने और पीने वालों को कुछ सावधानियां बरतनी पड़ती हैं.
मोसुल में शराब की दुकानें खुल जाने से हर कोई खुश नहीं है. कई लोगों का कहना है कि शराब के स्टोरों को धार्मिक कारणों से बंद करना चाहिए. वे मानते हैं कि युवा पीढ़ी को बचाने के लिए भी यह कदम उठाना जरूरी है. लेकिन अन्य लोग कहते हैं कि यह अन्य लोगों के व्यक्तिगत अधिकारों का हनन होगा.
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33 साल के हसन घरों में पुताई का काम करते हैं. वह कहते हैं, "वाइन पीना व्यक्तिगत आजादी है, जिसकी कानून में इजाजत है. इसका उन मुश्किल हालात से कोई लेना देना नहीं है जिनसे होकर यह शहर गुजरा है." उन्होंने 1960 और 1970 के दशक के मोसुल की कहानियां सुनी हैं जब लोग खुले आम बार, क्लब और शराब की दुकानों में जाते हैं. हसन कहते हैं, "उस जमाने में लोग खुल कर पीते थे, बिना किसी डर के."
स्थानीय अधिकारी जुहैर अल आराजी कहते हैं कि उनके पास शराब की दुकानों के लाइसेंस के 100 से ज्यादा आवेदन मिले हैं और अभी तक 25 लाइसेंस जारी किए जा चुके हैं. मतलब मोसुल अपने पुराने दिनों की तरफ लौट रहा है.
एके/एनआर (एएफपी)