आयरलैंड में गर्भपात के नियमों पर बवाल
१६ नवम्बर २०१२डबलिन के एक अस्पताल में सविता हलप्पनवार की सेप्टीकेमिया के कारण बुधवार को मौत हो गई. गुरुवार को आयरलैंड के उप प्रधानमंत्री एमोन गिल्मोर ने कहा, "एक दिन पहले सविता के पति ने जो कुछ कहा उससे मुझे गहरा धक्का लगा है. मुझे नहीं लगता कि इस देश में ऐसी परिस्थितियों को आने की अनुमति देनी चाहिए जिनमें किसी महिला के अधिकार इस तरह के जोखिम में पड़ जाएं. हमें जरूरत है कि इस मामले में कानूनी रूप से स्पष्टता रहे और हम यह करने जा रहे हैं."
17 हफ्ते की गर्भवती सविता को गर्भपात कराने की इजाजत नहीं दी गई इसके बाद खून में जहर फैलने से उनकी जान चली गई. गुरुवार को हजारों लोग आयरलैंड में गर्भपात के नियमों के खिलाफ विरोध करने सड़कों पर उतर आए. रोमन कैथलिक देश आयरलैंड गर्भपात के मामले में दुनिया के कुछ बेहद सख्त नियमों वाले देशों में शामिल है. विरोध करने उतरे सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि डॉक्टरों के गर्भपात करने से मना करने के कारण ही सविता की मौत हुई.
आयरिश कानून में यह साफ साफ नहीं बताया गया है कि मां की सेहत या जीवन पर खतरे की हालत में किन परिस्थितियों को गर्भपात का उचित कारण करार दिया जाएगा. ऐसे में यह फैसला डॉक्टरों को अपने विवेक से करना होता है. आलोचकों का कहना है कि ऐसे में डॉक्टरों की निजी आस्था बड़ी भूमिका निभा सकती है.
सविता हलप्पनवार को तेज दर्द होने पर 21 अक्टूबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया. सविता के पति प्रवीन के मुताबिक जब डॉक्टरों ने बताया कि उनका बच्चा नहीं बच पाएगा तब उन लोगों ने गर्भपात के लिए कहा. एक दिन बाद जब बच्चे के दिल की धड़कन रुक गई तब डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर भ्रूण को निकाल दिया. सविता के परिवार वालों का मानना है कि देरी की वजह से खून में जहर फैल गया और 28 अक्टूबर को सविता की मौत हो गई. प्रवीन का कहना है कि वह इस मामले में चल रही जांच के नतीजे आने का इंतजार करेंगे और उसके बाद यह तय करेंगे कि इस मामले में आगे कानूनी प्रक्रिया चलानी है या नहीं. हालांकि माना जा रहा है कि आयरलैंड के रोमन कैथलिक परंपराओं ने गर्भपात रोकने में भूमिका निभाई. प्रवीन का कहना है, "मैं सदमे में हूं. यह यकीन करना मुश्किल है कि धर्म का मतलब किसी की जान भी हो सकती है." आयरलैंड के स्वास्थ्य प्रशासन ने इस मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं. भारतीय परिवार आयरलैंड में ही रहता और काम करता है. प्रवीन इंजीनियर हैं जबकि उनकी पत्नी दांतों की डॉक्टर थीं.
राजनीतिक भूचाल
कैथलिक चर्च आयरलैंड की राजनीति पर 1980 तक पूरी तरह हावी रहा लेकिन उसके बाद आई सरकारें भी इस मामले में कानून बनाने से बचती रही क्योंकि उन्हें रुढ़िवादी मतदाताओं के दूर होने का डर था. आयरलैंड के सत्ताधारी गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी फाइन गायल ने हाल ही में चुनाव के दौरान कहा था कि वह पांच साल से शासन के दौरान गर्भपात के नए कानूनों को लागू नहीं करेगी. गठबंधन में शामिल लेबर पार्टी जबकि इसके के लिए दबाव बना रही है. सरकार ने कहा है कि वह नए कानून लाने के बारे में जानकारों के पैनल की राय उसे मिल गई है और वह इस बारे में महीने के आखिर में अपनी रिपोर्ट देगी. हाल में हुए एक सर्वे के मुताबिक आयरलैंड के पांच में से चार मतदाता चाहते है कि मां का जीवन जोखिम में होने पर गर्भपात की मंजूरी मिलनी चाहिए.
हालांकि स्थानीय अल्पसंख्यकों का एक गुट नए कानूनों के विरोध में काफी मुखर है और इन लोगों का मानना है कि मेडिकल आधार पर गर्भ गिराने की मंजूरी से लोगों के लिए पिछले दरवाजे से गर्भपात कराना आसान हो जाएगा. 1992 में 14 साल की एक बलात्कार पीड़ित लड़की के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मां की जान पर जोखिम की स्थिति में गर्भपात को मंजूरी दी यहां तक कि इसमें आत्महत्या को भी शामिल किया गया. मानवाधिकार के यूरोपीयन कोर्ट ने भी 2010 में आयरलैंड से अपने कानून को स्पष्ट करने का निर्देश दिया.
सविता की मौत की खबर के बाद आयरलैंड की संसद में हंगामा मचा हुआ है. सविता की तस्वीरें आयरलैंड के सारे अखबारों के पहले पन्ने पर छाई हुई हैं और संपादक इस मामले में राजनेताओं से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. सविता के किसी और देश के नागरिक होने की वजह से भी सरकार को ज्यादा शर्मिंदगी झेलनी पड़ी है. भारत सरकार ने भी सविता की मौत पर गहरा दुख जताया है.
एनआर/एएम(रॉयटर्स)