आरबीआई ने दी चेतावनी, क्रिप्टो ला सकता है अगला वित्तीय संकट
२१ दिसम्बर २०२२आरबीआई सालों से क्रिप्टो करेंसी को लेकर संदेह प्रकट करता रहा है, लेकिन अब उसने उसे वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक खतरा बताते हुए उस पर प्रतिबंध की मांग की है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि हाल ही में एफटीएक्स जिस तरह से बर्बाद हुआ वो क्रिप्टो के "निहित जोखिमों" का सबूत है.
उनकी यह टिप्पणी एक ऐसे साल के अंत में आई जो भारत के करोड़ों क्रिप्टो मालिकों के एक चुनौती भरा साल रहा है. इस साल उन्हें क्रिप्टो के वैश्विक बाजार के बर्बाद होने और देश के अंदर क्रिप्टो पर लगे ऊंचे टैक्स से जूझना पड़ा है.
दास ने एक कार्यक्रम में कहा, "दूसरे अन्य उत्पादों से अलग, क्रिप्टो को लेकर हमारी मुख्य चिंता यह है कि बुनियादी रूप से इसकी कोई कीमत नहीं है...हमारा मानना है कि इसे प्रतिबंधित कर देना चाहिए क्योंकि...अगर आप इसके विनियमन की कोशिश करेंगे और इसे बढ़ने देंगे तो, मेरे शब्दों पर ध्यान दीजिये: अगला वित्तीय संकट निजी क्रिप्टो करंसी की वजह से आएगा."
पहले भी रहा है प्रतिबंध
भारतीय बाजार में क्रिप्टोकरंसी का प्रवेश करीब एक दशक पहले हुआ था और तब से भारतीय नियामकों की इस पर नजर है. 2018 में धोखाधड़ी के कई मामलों के बाद रिजर्व बैंक ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था.
दो सालों बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह प्रतिबंध हटवाया और उसके बाद बाजार में उछाल आया. तेजी से शुरू होते भारतीय ट्रेडिंग मंचों और सेलेब्रिटियों की प्रचार की बदौलत यह और आगे बढ़ा. लेकिन 2022 में "निजी करंसियों" के व्यापार में होने वाले लाभ पर 30 प्रतिशत टैक्स लगा दिया गया.
इससे यह व्यापार घट कर अपने पहले के आकार के दसवें हिस्से के बराबर रह गया है. इसके अलावा बिटकॉइन जैसे अग्रणी टोकनों के दामों में भारी गिरावट भी आई है जिससे वैश्विक बाजार में इनकी कीमत में 2,000 अरब डॉलर से भी ज्यादा की गिरावट आई है. नवंबर 2021 में इन टोकनों की कीमत 3,000 अरब डॉलर से भी ज्यादा थी.
एफटीएक्स की असफलता ने बढ़ाई चिंता
इस भारी गिरावट से व्यापारी और डर गए हैं. पिछले महीने एफटीएक्स नाम का 32 अरब डॉलर मूल्य का एक क्रिप्टो एक्सचेंज बर्बाद हो गया और उसने दिवालिया घोषित कर दिया गया. उसके संस्थापक पूर्व अरबपति सैम बैंकमैन-फ्राइड के खिलाफ अमेरिका में धोखाधड़ी के आरोप भी लगाये गये.
इस प्रकरण से इस क्षेत्र की छानबीन और तेज हो गई है. शक्तिकांत दास ने कहा कि क्रिप्टो के दामों में गिरावट और एफटीएक्स के प्रकरण ने उसी बात को साबित किया है जो वो लंबे समय से कह रहे हैं कि क्रिप्टो में "हमारी मैक्रोइकोनॉमिक और वित्तीय स्थिरता के लिए बड़े जोखिम निहित हैं."
आरबीआई ने इसी साल अपने डिजिटल रुपये की शुरुआत की, जोब्लॉकचैन तकनीक पर ही आधारित है. इसका उद्देश्य है भारतीय अर्थव्यवस्था की कागज की मुद्रा पर कम होती निर्भरता के बीच देश में व्यावसायिक लेनदेन के खर्च को कम करना.
पिछले महीने, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकी फंडिंग को खत्म करने के लिए भी निजी मुद्राओं के नियमन को बढ़ाने की बात कही. मोदी ने पिछले साल यह भी कहा था कि बिटकॉइन युवा पीढ़ियों के लिए एक खतरा है और अगर यह "गलत हाथों में पड़ गया" तो "हमारे युवाओं को बर्बाद" कर सकता है.
सीके/एनआर (एएफपी)