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आसिया बीबी ने आखिरकार पाकिस्तान छोड़ा

८ मई २०१९

पाकिस्तान में ईशनिंदा का आरोप झेल रही ईसाई महिला आसिया बीबी ने आखिरकार पाकिस्तान छोड़ दिया है. कुछ महीने पहले अदालत ने उन्हें बरी कर दिया था, लेकिन कट्टरपंथी इसका विरोध कर रहे थे.

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Asia Bibi
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Ali

डर, अनिश्चितता और सालों का इंतजार खत्म हुआ. कम से कम स्थानीय मीडिया यही कह रहा है. यदि यह खबर सही साबित होती है तो यह आसिया बीबी की कहानी का शायद आखिरी अध्याय होगा जिसके पन्ने हिंसक प्रदर्शनों, हाई प्रोफाइल हत्याओं और पाकिस्तानी समाज में बढ़ते धार्मिक कट्टरपंथ से भरे रहे हैं.

आसिया के पाकिस्तान छोड़ने का मामला बहुत संवेदनशील है और पिछले कई दावे गलत साबित हुए हैं. उनके वकील सैफ उल मुलूक का कहना है कि हालांकि उनकी आसिया बीबी से सीधे बात नहीं हुई है, लेकिन सूत्रों की जानकारी से लगता है कि वह कनाडा गई हैं जहां उनकी बेटियां भी हैं.

मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल के दक्षिण एशिया उपनिदेशक ओमर वाराइच ने इस बात पर राहत व्यक्त की है कि एक शर्मनाक अनुभव का अंत हुआ है और आसिया बीबी और उनका परिवार सुरक्षित है.

उन्होंने कहा, "उनकी गिरफ्तारी ही नहीं होनी चाहिए थी, लगातार जान का खतरा झेलने की बात ही छोड़िए." ओमर वाराइच के अनुसार ये मामला पाकिस्तान के ईशनिंदा कानून के खतरों और उन्हें खत्म करने की फौरी जरूरत को दिखाता है.

आसिया बीबी: एक गिलास पानी के लिए मौत की सजा

आसिया का मामला

आसिया बीबी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की एक मजदूर हैं. उन्हें पहली बार 2010 में ईशनिंदा कानून के तहत सजा मिली. पिछले साल बरी किए जाने तक वह मौत की सजा के तामील होने का इंतजार कर रही थीं. उनका केस फौरन ही पूरे पाकिस्तान में प्रसिद्ध हो गया और उसने दुनिया भर के लोगों का ध्यान देश में बढ़ रहे कट्टरपंथ की ओर आकर्षित किया जहां ईशनिंदा का मामला उत्तेजक मामला है. इसके लिए पाकिस्तान के कानून में मौत की सजा का प्रावधान है, सिर्फ इस्लाम के अपमान के आरोप भर से देश में लिंचिंग के मामले सामने आए हैं.

जब से सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर में आसिया बीबी को बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ की गई अपील ठुकराई है, वे देश छोड़ने के लिए स्वतंत्र हैं. लेकिन समझा जाता है कि जब तक कोई देश उन्हें शरण नहीं दे देता, अधिकारियों ने उन्हें सुरक्षा हिरासत में ले रखा है. आम तौर पर पाकिस्तान में ईशनिंदा के बहुत से मामलों में मुसलमान ही मुसलमानों पर ही आरोप लगाते हैं, लेकिन अधिकार समूहों का कहना है धार्मिक अल्पसंख्यक, खासकर ईसाई अक्सर ऐसे विवादों में फंस जाते हैं. आरोपों का इस्तेमाल व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने के लिए भी किया जाता है.

Proteste gegen Freilassung von Asia Bibi in Pakistan
तस्वीर: AFP/Getty Images/A. Hassan

आसिया बीबी का ममाला इस मायने में खास है कि इसकी वजह से दो दो प्रमुख राजनीतिज्ञों की हत्या की जा चुकी है और आसिया बीबी को साथी कैदियों के हमले के डर से जेल में ज्यातातर समय सेल में बिताना पड़ा है.

इस्लामी कट्टरपंथी गुट नियमित रूप से आसिया बीबी को मौत की सजा देने की मांग करते रहे हैं जबकि नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि वे पाकिस्तान में रहती हैं तो उनकी जान को खतरा है. अक्टूबर में सर्वोच्च अदालत द्वारा उन्हें रिहा किए जाने के बाद देश कई दिनों तक तहरीक ए लब्बैक पाकिस्तान गुट के हिंसक प्रदर्शनों की चपेट में रहा. इस गुट ने सेना में विद्रोह और आसिय़ा बीबी को रिहा करने वाले जजों की हत्या का आह्वान किया था.

पाकिस्तान में ईसाईयों की आबादी सिर्फ दो प्रतिशत है. वे पाकिस्तानी समाज के सबसे निचले तबके में आते हैं और आम तौर पर झुग्गी झोपड़ियों में रहते हैं. पाकिस्तान में इस धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के लोग स्वीपर, क्लीनर और रसोइयों का काम करते हैं.

एमजे/एके (एएफपी)

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