राशन कार्ड रद्द, भूख ने ली जान
१८ मार्च २०२१याचिका दायर करने वाली कोइली देवी ने अदालत को बताया कि सितंबर 2018 में उनकी 11 साल की बेटी संतोषी कुमारी की कई दिनों से खाना ना मिलने की वजह से मृत्यु हो गई थी. कोइली देवी का आरोप है कि उनके परिवार का राशन कार्ड आधार से लिंक ना होने की वजह से मार्च 2017 में रद्द हो गया था जिसकी वजह से उन्हें सरकार द्वारा दिया जाने वाला राशन नहीं मिल पा रहा था.
उन्होंने याचिका में अपने बेटी की मृत्यु के लिए मुआवजे के अलावा अलग अलग राज्यों में गरीबों के राशन कार्डों के रद्द होने और लोगों के भूख की वजह से मारे जाने की जांच की अपील की है. कोइली देवी के वकील कोलिन गोंजाल्विस ने अदालत को बताया कि ऐसे लगभग तीन करोड़ राशन कार्ड हैं जिन्हें आधार से लिंक ना होने की वजह से रद्द कर दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे "बेहद गंभीर" मामला बताते हुए केंद्र सरकार को इस पर अपना जवाब देने के लिए कहा है.
भारत में करीब 23.58 करोड़ राशन कार्ड हैं जिन्हें आधार नंबर से लिंक करवाना अनिवार्य कर दिया गया था. आज करीब 20 करोड़ कार्डों को आधार से जोड़ दिया गया है, लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में कई कार्ड आधार से जुड़ नहीं सके हैं. सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि आधार से जुड़ाव ना होने की स्थिति में राशन कार्ड रद्द नहीं होने चाहिए और उनके तहत गरीब परिवारों को नाम-मात्र शुल्क पर मिलने वाला राशन मिलते रहना चाहिए.
लेकिन कई एक्टिविस्टों का दावा है कि ऐसा हो नहीं रहा है. इसी मामले में सुनवाई के दौरान कोलिन गोंजाल्विस ने अदालत को बताया कि विशेष रूप से आदिवासी और सुदूर इलाकों में पहले तो कई लोगों के पास आधार कार्ड है ही नहीं और जिनके पास हैं उनमें से कई लोगों की बायोमेट्रिक पहचान हो नहीं पाती है. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने खुद इस बात को माना है कि आधार पर इस निर्भरता की वजह से दो से चार करोड़ राशन कार्ड रद्द हो गए हैं और लोग भूख से मर रहे हैं.
याचिका में कहा गया है कि झारखंड, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और कई और राज्यों में लोग भूख से मर गए हैं लेकिन राज्य सरकारें मौत का कारण भूख नहीं बल्कि तरह तरह की बीमारियों बताती हैं.
तीन करोड़ राशन कार्ड रद्द होने और उसकी वजह से लोगों के भूखों मरने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर यह सच है तो यह "बहुत गंभीर" बात है. अदालत ने केंद्र सरकार को कहा कि वो इस मामले की पूरी छानबीन कर अदालत में अपना पक्ष रखे. अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होनी है.