इच्छामृत्यु से नाराज कैथोलिक चर्च
५ नवम्बर २०१४वैटिकन की अकैडमी फॉर लाइफ के अध्यक्ष इग्नासिओ कारासो दे पाउला ने ब्रिटनी मेनार्ड के कदम को 'दुष्ट' बताया है. उन्होंने कहा कि वे किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यह कदम निंदनीय है, "इस महिला को लगा कि वह प्रतिष्ठा के साथ मरेगी. लेकिन यही उसकी गलती है. खुदकुशी करना कोई अच्छी बात नहीं, यह दुष्ट है क्योंकि ऐसा कर के आप अपने जीवन को ना कह रहे हैं और इस दुनिया में जिस मकसद से हम आए हैं, उसका निरादर कर रहे हैं." दे पाउला का कहना है कि अपनी जान लेना पाप है.
इसी तरह अमेरिका के एक कैथोलिक समूह अमेरिकन लाइफ लीग की अध्यक्ष जूडी ब्राउन ने भी ब्रिटनी मेनार्ड के कदम की निंदा की है. उनका कहना है, "खुदकुशी करना कभी भी समाधान नहीं हो सकता, भले ही व्यक्ति किसी भी परिस्थिति से गुजर रहा हो."
कानूनों में बदलाव
वहीं दूसरी ओर डेथ विद डिगनिटी नेशनल सेंटर जैसे संघ इच्छामृत्यु की पैरवी करते हैं. इस संघ की पेग सैंडीन उम्मीद कर रही हैं कि ब्रिटनी मेनार्ड जाते जाते जो मुहिम छेड़ गयी हैं, उससे कानूनों में बदलाव लाने में मदद मिलेगी. फेसबुक और ट्विटर पर ब्रिटनी की मौत लगातार चर्चा का विषय बनी हुई है.
उनकी वेबसाइट से अब तक चालीस लाख लोग जुड़ चुके हैं. ये केवल अमेरिका के ही नहीं हैं, बल्कि ताजिकिस्तान, बुर्किना फासो, सीरिया और आइसलैंड जैसे विभिन्न देशों के लोग हैं. इनमें अधिकतर युवा हैं. पेग सैंडीन बताती हैं, "युवा लोग सम्मानजनक मौत पर काफी जोर देते हैं, जबकि यह उनके जीवन में कोई बड़े मायने नहीं रखता है." उनका कहना है कि ब्रिटनी के जरिए युवाओं में चल रही बहस को एक चेहरा मिल गया है.
मौत का कॉकटेल
अमेरिका के ऑरेगन में 1997 से इच्छामृत्यु वैध है. अब तक 800 से ज्यादा लोग इस कानून के तहत आत्महत्या कर चुके हैं. खुदकुशी के इच्छुक व्यक्ति को डॉक्टर दवा देते हैं, जिसे कॉकटेल कहा जाता है. इसे लेते ही मरीज सो जाता है और आधे घंटे के भीतर उसकी मौत हो जाती है. ब्रिटनी को ब्रेन ट्यूमर था. वह अपने पति के साथ कैलिफोर्निया छोड़ ऑरेगन आई थी ताकि अपनी जान दे सके.
एक महीना पहले ही उसने एक वीडियो जारी कर अपनी मौत का ऐलान कर दिया था. इस वीडियो को यूट्यूब पर एक करोड़ से ज्यादा बार देखा जा चुका है. जहां एक तरफ इच्छामृत्यु का समर्थन करने वाले इस संख्या को बढ़ा चढ़ा कर पेश कर रहे हैं, वहीं इसके विरोधी यह कह रहे हैं कि वीडियो देखने का मतलब यह नहीं कि हर व्यक्ति ब्रिटनी के फैसले से सहमत था.
आईबी/एमजे (एपी, एएफपी)