इसरो-देवास करार को सरकार ने रद्द किया
१७ फ़रवरी २०११प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की सुरक्षा समिति (सीसीएस) की बैठक में अंतरिक्ष आयोग की सिफारिश पर इस करार को रद्द करने का फैसला लिया गया. काफी कम कीमत में सामरिक महत्व के एस-बैंड स्पेक्ट्रम को बेचने का करार विवादों में फंस गया जिसके चलते सरकार ने इस करार को रद्द करने का फैसला लिया.
इसरो की एंट्रिक्स कंपनी और देवास मल्टीमीडिया के बीच 2005 में 70 मेगाहर्टज के एस बैंड स्पेक्ट्रम के आवंटन के लिए 1000 करोड़ रुपये में करार हुआ, लेकिन सरकार के मुताबिक यह कभी अमल में नहीं आया. इस समझौते में दो लाख करोड़ रुपये के नुकसान की आशंका जताई जा रही है. यानी यह नुकसान 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन से बड़ा हो सकता है. कम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ने इस मामले में कार्रवाई शुरू कर दी है.
सरकार को हुए नुकसान की खबरें मीडिया में आने के बाद सरकार और इसरो ने साफ किया था कि प्रोजेक्ट की समीक्षा की जा रही है. कॉन्ट्रैक्ट को रद्द करने के लिए कार्रवाई शुरू करने का भी भरोसा दिया गया. प्रधानमंत्री ने टीवी संपादकों के साथ हुई बातचीत में स्पष्ट किया कि यह समझौता कभी भी अमल में नहीं आया.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मुताबिक अगर समझौते को रद्द करने में कोई देरी हुई है तो वह इसकी लंबी प्रक्रिया की वजह से हुई है. देवास मल्टीमीडिया ने करार को रद्द करने की संभावनाओं पर बुधवार को कहा कि सरकार का एकतरफा फैसला गलत और व्यथित करने वाला है. कंपनी ने कानूनी कार्रवाई की भी बात कही है.
इससे एक दिन पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने घोषणा की थी कि इस सौदे को रद्द करने की अंतरिक्ष आयोग की सिफारिश पर अंतिम निर्णय कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति की बैठक में लिया जाना है. गुरुवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई सीसीएस की बैठक ने करार को खारिज कर दिया.
रिपोर्टः एजेंसियां/एस खान
संपादनः एस गौड़