ईद के दिन भी क्वेटा में हिंसा
९ अगस्त २०१३बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा में एक दिन पहले ही ताबिलान के हमले में 38 लोगों की मौत हुई थी. शुक्रवार को हमलावरों के निशाने पर आए पूर्व प्रांतीय मंत्री अली मदद जातक को कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन छह दूसरे लोग मारे गए. हमला तब हुआ जब जातक और उनके समर्थकों का दल ईद उल फित्र की नमाज के बाद मस्जिद से बाहर आ रहा था. एक दिन पहले क्वेटा के पुलिस मुख्यालय में एक आत्मघाती हमलावर ने हमला कर 38 लोगों की जान ले ली. इसमें दर्जनों दूसरे घायल हो गए. यह हमला तब हुआ जब पुलिस अधिकारी कुछ घंटे पहले गोलियों का शिकार हुए अपने एक साथी को श्रद्धांजलि देने मुख्यालय में जमा हुए थे.
इस बीच अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के नागरिकों को पाकिस्तान न जाने की चेतावनी दी है और देश के दूसरे सबसे बड़े शहर लाहौर की कॉन्सुलेट से गैरजरूरी सरकारी कर्मचारियों को निकल जाने का आदेश दिया है. शुक्रवार को एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि खास तौर से कॉन्सुलेट पर हमले का अंदेशा है. पाकिस्तान में अमेरिकी दूतावास की प्रवक्ता मेगन ग्रेगोनिस ने बताया कि अमेरिका अपने गैरजरूरी कर्मचारियों को लाहौर की कॉन्सुलेट से इस्लामाबाद ले जा रहा है. लाहौर में सिर्फ आपातकालीन कर्मचारी रहेंगे. दूतावास के कर्मचारियों को नहीं पता कि कॉन्सुलेट फिर कब खुलेगा. दूतावास की प्रवक्ता ने कहा, "हमें कॉन्सुलेट पर हमले के खतरे की जानकारी मिली है, सावधानी के लिए हमने आपातकालीन कर्मचारियों को छोड़ बाकियों को बाहर भेज दिया है."
पाकिस्तान में जून के शुरुआत में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सत्ता संभाली. उसके बाद से घातक हमलों में तेजी आ गई है. सरकार पर देश में बढ़ते हिंसक चरमपंथ की समस्या से निपटने के लिए पर्याप्त योजना न बनाने का आरोप लग रहा है. पाकिस्तान की नई सरकार ने कहा है कि वह हिंसक चरमपंथ से निपटने के लिए विस्तृत रणनीति और योजना बना रही है. योजना पर सहमति के लिए जल्दी ही सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुलाई जाने की बात है. हालांकि अभी तक न तो कोई ऐसी योजना सामने आई है न ही बैठक के लिए कोई तारीख तय हुई है.
बलूचिस्तान इस्लामी चरमपंथियों और अलगाववादियों, दोनों का गढ़ है. ये दोनों कई दशकों से पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ हिंसक अभियान चला रहे हैं. नवाज शरीफ पाकिस्तानी तालिबान से शांति वार्ता की वकालत कर सत्ता में आए और उन्होंने देश में जारी हिंसा से निपटने का इसे सबसे कारगर तरीका बताया. हालांकि तालिबान का कहना है कि अमेरिकी ड्रोन हमले में उसके दूसरे सबसे बड़े नेता की मौत के बाद उसकी बातचीत में कोई दिलचस्पी नहीं है. तालिबान और उसके सहयोगी कई सालों से सरकार के खिलाफ हिंसक अभियान चला रहे हैं और इनमें अब तक 40 हजार से ज्यादा आम लोगों और सुरक्षा कर्मचारियों की मौत हुई है.
एनआर/एमजी (एपी, एएफपी)