ईरान को वियना की बातचीत से समझौते की उम्मीदें
७ अप्रैल २०२१ईरान के राष्ट्रपति हसन रोहानी को उम्मीद है कि वियना में चल रही बातचीत परमाणु डील में नई जान फूंकेगी. अमेरिका के बाहर हो जाने के बाद यह एक तरह से बेकार हो गई थी लेकिन पश्चिमी देश उसे कारगर बनाने की कोशिशों में जुटे हैं. बुधवार को रोहानी ने कहा, "एक बार फिर सभी पक्ष इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि इससे बेहतर विकल्प नहीं है." वियना में चल रही बातचीत में अमेरिकी वार्ताकार भी मौजूद हैं हालांकि वो सीधे ईरानी अधिकारियों से बात नहीं कर रहे हैं. अमेरिका का कहना है कि वह इस समझौते में लौटना चाहता है जिस पर रोहानी ने कहा है, "अच्छा है, देखते हैं कि वो कितने गंभीर हैं."
अमेरिका की समझौते में वापसी, ईरान पर से प्रतिबंधों को उठाना और फिर ईरान की शर्तों को मानने के बाद ही समझौते में जान आएगी. मंगलवार को इस मुद्दे पर हुई बातचीत को "रचनात्मक" कहा गया है. अब विशेषज्ञों के ऐसे दो कार्यकारी समूह बनाने पर सहमति हो गई है जो एक तरफ अमेरिका के साथ उन प्रतिबंधों की पहचान करने पर चर्चा करेंगे जिन्हें हटाया जा सकता है. साथ ही ईरान के लिए परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने की शर्तें तय करने की जिम्मेदारी भी इन्हीं समूहों की होगी.
ईरान के साथ परमाणु मुद्दे पर समझौता मध्यपूर्व में तनाव घटाने में मदद कर सकता है. खासतौर से ईरान और इस्राएल के साथ ही ईरान और सऊदी अरब के बीच भी जो लगातार इस डर में जी रहे हैं कि ईरान परमाणु हथियार बना लेगा. इस बातचीत के दौर में ही लाल सागर में एक ईरानी जहाज पर हमला भी हुआ है. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने इस समझौते से बाहर आने का एकतरफा ऐलान कर दिया था और फिर ईरान पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए. इसके नतीजे में ईरान ने यूरेनियम संवर्धन की सीमाओं का उल्लंघन शुरू कर दिया था. नए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ऐसे संकेत दिए हैं कि अमेरिका फिर से इस समझौते में वापसी कर सकता है. हालाकि यह सब इतना आसान नहीं होगा. फिलहाल तो दोनों देश एक दूसरे से सीधे मुंह बात भी नहीं कर रहे हैं.
आमने सामने बातचीत नहीं
लंबे समय से एक दूसरे के साथ दुश्मनी निभा रहे अमेरिका और ईरान तुरंत कोई बड़ा बदलाव आने की उम्मीद नहीं कर रहे है लेकिन शुरुआती बातचीत सकारात्मक दिख रही है. मंगलवार की बातचीत में ईरान, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, जर्मनी और रूस शामल हुए जिसकी अध्यक्षता यूरोपीय संघ कर रहा है. एक दूसरे के रूबरू हुए बगैर हो रही इस बातचीत को भी आगे ले जाने वाला कदम माना जा रहा है. यूरोपीय मध्यस्थ ईरान और अमेरिका की बातें एक दूसरे तक पहुंचा रहे हैं. अमेरिका इस अप्रत्यक्ष बातचीत से बहुत उम्मीद तो नहीं कर रहा लेकिन उसने अब तक की प्रगति को "सकारात्मक" जरूर कहा है.
ईरान का रुख अमेरिका के साथ अभी तक कड़ा बना हुआ है और वह सारे प्रतिबंधों को उठाने की मांग कर रहा है. हालांकि अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख रॉब माले का कहना है कि अप्रत्यक्ष बातचीत के जरिए उन कदमों की पहचान की जाएगी जो अमेरिका और ईरान को उठाने हैं. पश्चिमी मध्यस्थों के मुताबिक यह बातचीत कई हफ्तों तक चल सकती है जिसका मकसद जून में होने वाले ईरान के राष्ट्रपति चुनाव से पहले एक समझौते पर पहुंचना है. हालांकि ईरान और अमेरिका का कहना है कि उन्हें इसकी कोई जल्दी नहीं है.
एनआर/एमजे(डीपीए, रॉयटर्स)