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उत्तराखंड में फिर से बाढ़ का खतरा

१२ फ़रवरी २०२१

चमोली जिले में ऋषिगंगा नदी के ऊपरी हिस्से में एक और झील बन गई है जिस से फिर से बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है. सात फरवरी को आई बाढ़ के बाद सुरंग में फंसे लोगों को निकालने का काम अभी चल ही रहा है.

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तस्वीर: REUTERS

सात फरवरी को जहां चमोली जिले में आपदा आई थी उस जगह से थोड़ी दूर भूवैज्ञानिकों ने पाया है कि उस दिन हुए भूस्खलन की वजह से गिरी गाद ने ऋषिगंगा नदी को रोक दिया है. नदी को रोक दिए जाने से वहां पर एक झील बन गई है और अगर गाद से बना इस झील का बांध टूटा तो वहां फिर से बाढ़ आ सकती है. भूवैज्ञानिक अभी तक इस बात का पता नहीं लगा सके हैं कि इस झील में कितना पानी है और बांध कितना ऊंचा है.

उनका कहना है कि झील की लगातार निगरानी करने की जरूरत है क्योंकि अगर अचानक इसका बांध टूटा तो पहले के दुर्घटना स्थल पर बचाव कार्य में लगे राहतकर्मियों की जान को खतरा हो सकता है. गुरुवार को बचाव कार्य की जगह पर नदी का स्तर अचानक बढ़ता हुआ पाया गया था, जिसके बाद बचाव कार्य को एक घंटे के लिए रोक दिया गया था. अगर नई झील फट गई तो वहां के स्थानीय लोगों और राहतकर्मियों के लिए एक नई चुनौती पैदा हो जाएगी.

आपदा प्रबंधन टीमें अभी भी सुरंग के अंदर तक नहीं पहुंच पाई है और अंदर फंसे लोगों के जिंदा होने की संभावनाएं धूमिल होती जा रही हैं. अधिकारों का अंदाजा है कि कम से कम 34 लोग सुरंग में फंसे हुए हैं. 36 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है और कुल मिलाकर 204 लोग अभी तक लापता हैं. सुरंग के अंदर काफी मात्रा में पानी और गाद है और खुदाई की वजह से अचानक उसके बाहर आ जाने का खतरा भी है.

इसलिए आपदा प्रबंधन की टीमें पूरी सतर्कता के साथ काम कर रही हैं. रैणी गांव से आ रही रिपोर्टें बता रही हैं कि गांव के निवासी अभी भी डरे हुए हैं और रातें जंगलों में बिता रहे हैं. वो स्थान जहां से नंदा देवी ग्लेशियर से बर्फ और मिट्टी नदी में गिरी थी वहां तक अभी तक कोई भी नहीं पहुंच पाया है, क्योंकि रास्ते का एक पुल टूट गया है.

घटना के बारे में जो भी जानकारी अभी तक मिली है वो सैटलाइट से प्राप्त चित्रों से मिली है. घटना स्पष्ट रूप से कैसे हुई और उसके पीछे क्या क्या कारण हैं इन सारे सवालों का जवाब तब तक नहीं मिलेगा जब तक वैज्ञानिक उस स्थल तक पहुंच नहीं जाते और वहां अध्ययन नहीं कर लेते.

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