एक नेपाली मजदूर ने कतर की कलई खोली
३० सितम्बर २०१७2022 के फुटबॉल विश्वकप की मेजबानी करने वाले कतर पर विदेशी मजदूरों के शोषण के कई आरोप हैं. आरोपों की जांच करने संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) का एक प्रतिनिधिमंडल वहां पहुंचा. प्रतिनिधिमंडल ने कई मजदूरों से बात करने की कोशिश की. बहुत से मजदूर कतरा गये. तभी प्रतिनिधिमंडल के सामने 29 साल का एक युवा नेपाली मजदूर आया. उसने बताया कि नौकरी देने वाले गैरकानूनी रूप से पासपोर्ट जमा कर लेते हैं. काम के बदले उसे मजदूरी भी नहीं दी गयी.
मार्च 2016 में मजदूर से बातचीत करने के बाद यूएन की टीम कतर से लौट आयी. लेकिन इसके बाद वह मजदूर अकेला पड़ गया. नौकरी देने वालों ने उस मजदूर को नेपाल का एकतरफा टिकट थमा दिया. तत्कालीन कफाला सिस्टम के तहत विदेशी कामगारों को कतर में रहने या काम करने के लिए स्थानीय स्पॉन्सर की जरूरत पड़ती थी. स्पॉन्सर की इजाजत से ही कामगार कतर में नौकरी बदल सकता है या देश छोड़ सकता है. स्पॉन्सर कंपनी भी हो सकती है और कोई व्यक्ति भी.
नौकरी छीनने वाली कंपनी ने उसकी स्पॉन्सरशिप भी छीन ली. इस तरह उसका कतर में रहना गैरकानूनी हो गया और अंतरराष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कंफेडरेशन के मुताबिक फिर नेपाली मजदूर को दो हफ्ते की जेल की सजा सुनाई गयी.
आईएलओ बार बार यह मुद्दा कतर के सामने उठा रहा है. मजदूरों के शोषण के आरोप झेल रहे कतर को लेकर दो महीने बाद एक बैठक होने वाली है. उस बैठक में भी नेपाली मजदूर का मुद्दा प्रमुखता से उठाया जाएगा. आईएलओ के इंटरनेशनल लेबर स्टैंडर्ड डिपार्टमेंट की निदेशक कोरिना वार्घा ने कहा, "आईएलओ इस मामले को गंभीरता से देख रहा है और आगे भी ऐसा किया जायेगा, ताकि नेपाली कामगार के हितों का पूरी तरह सम्मान और सुरक्षा हो."
आईएलओ के मुताबिक कई आग्रहों के बावजूद कतर सरकार ने इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. वार्घा ने कहा कि इस मामले को देखकर लगता है कि कतर ने दो अंतरराष्ट्रीय समझौतों का पालन नहीं किया है, पहला जबरन मजदूरी संधि और दूसरा श्रम निगरानी संधि. वार्घा ने कहा, "इस शिकायत पर नवंबर 2017 के सत्र के दौरान गवर्निंग बॉडी में चर्चा की जायेगी." बैठक में विदेशी मजूदरों के शोषण के आरोपों से घिरे कतर के खिलाफ आधिकारिक जांच भी शुरू करने का एलान हो सकता है.
(21वीं सदी के "गुलाम")
ओएसजे/एमजे (एएफपी)