एक परिवार की जागीरदारी न बने भारतः आडवाणी
२६ जून २०११अपने ब्लॉग पर आडवाणी ने लिखा, "यह दुख की बात है कि कांग्रेस एक परिवार की जागीर बन गया है. प्रधानमंत्री का पद नेहरू परिवार के एक सदस्य के लिए आरक्षित है. भारत कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा नामांकित प्रधानमंत्री के चलते भारी कीमत चुका रहा है." उनके मुताबिक यह उस समय के कांग्रेस की सोच से काफी अलग है, जब कांग्रेस एक व्यापक मंच था जिसमें हर तरह के देशभक्तों को शामिल किया जाता था. मिसाल के तौर पर नेहरू के पहले मंत्रिमंडल में तब हिंदू महासभा के श्यामा प्रसाद मुखर्जी और नेहरू के आलोचक बीआर अंबेडकर को महात्मा गांधी के कहने पर जगह दी गई थी.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के अंदर ही उसके सदस्य मांग करते हैं कि नेहरू परिवार का एक सदस्य प्रधानमंत्री बने. भारत के स्तर के एक बड़े लोकतंत्र को किसी भी घराने की 'जागीरदारी' नहीं बननी चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत को यूपीए सरकार का 'कुप्रशासन' महंगा पड़ेगा.
आडवाणी का कहना है कि कांग्रेस 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ जंग में जीत का फायदा नहीं उठा पाई है जिसकी वजह से भारत को आंतकवाद का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल जब गृह मंत्री थे तो वे सारे 561 रजवाड़ों को भारत में शामिल करने में सफल रहे लेकिन जवाहरलाल नेहरू भारत पाकिस्तान के विभाजन के दौरान कश्मीर मुद्दा नहीं सुलझा पाए. "भारतीय संविधान की धारा 370 के बारे में पंडित नेहरू ने खुद कहा था कि यह अस्थायी है, इसे अब तक हटाया नहीं गया है. इस वजह से कश्मीर में अलगाववादी ताकतें, जिन्हें पाकिस्तान में भारत के खिलाफ सहयोग मिलता है, उन्हें यह बात फैलाने में आसानी होती है कि भारत के उत्तरी राज्य जम्मू और कश्मीर का भारत में विलय अंतिम नहीं है और खास कर कश्मीर, भारत का हिस्सा नहीं है."
उन्होंने कहा कि दिल्ली में नेहरू सरकार और श्रीनगर में शेख अब्दुल्लाह, दोनों की सरकारों को पक्का विश्वास नहीं था कि जम्मू और कश्मीर को भारत में एकीकृत किया जाना चाहिए.
रिपोर्टः पीटीआई/एमजी
संपादनः महेश झा