एकीकरण के शिल्पकार
३ अप्रैल २०१०2009 में जॉर्ज बुश सीनियर और मिखाएल गोर्बाचोव ने बर्लिन में हेलमुट कोल से मुलाकात की. कोल का कहना था कि सारी शिकायतों और नाराज़गी के बावजूद वे जर्मन एकीकरण को लेकर गौरवान्वित महसूस करते हैं. और शायद जर्मनी की जनता भी उन्हें सबसे ज़्यादा इसी ऐतिहासिक घटना के लिए याद करती है.
1987 में ही कोल ने कह दिया था कि उनकी राजनीति जर्मन जनता को एक करने की राजनीति है और इसलिए जर्मन एकीकरण की ओर चेतना बनाए रखना ज़रूरी है. 1989 में उन्होंने ड्रेसडेन में एक बार फिर लोगों के सामने अपने इस मक़सद को दोहराया था. 1989 नवंबर में बर्लिन को दो टुकड़ों में बांटने वाली दीवार गिर गई, लेकिन उस वक़्त भी लोगों को एकीकरण का लक्ष्य पहुंच से दूर लग रहा था. बर्लिन में पूर्व चांसलर विली ब्रांड्ट के साथ चांसलर हेलमुट कोल जब जर्मनी का राष्ट्रीय गान गा रहे थे, तो वहां खड़ी भी़ड़ ने सीटियां बजाकर उनकी खिल्ली उड़ाई.
उधर कोल की आंखें मंजिल पर टिकी हुईं थीं. उन्होंने सबसे पहले यूरोप और अमेरिका में राजनीतिज्ञों को अपने पक्ष में लाने की कोशिश की जो जर्मनी के नात्सी इतिहास के बाद एकीकरण को शक़ की निगाह से देख रहे थे. फिर उस वक़्त के सोवियत संघ से रज़ामंदी हासिल करने की ज़रूरत थी.
फ़रवरी 1990 में कोल ने मिखाएल गोर्बाचेव से मुलाक़ात की. दो घंटे तक चली बैठक के बाद कोल ने संतुष्ट हो कर एलान किया कि गोर्बाचोव इस बात को मान गए हैं कि केवल जर्मनी की जनता तय कर सकती है कि वह एक देश में रहना चाहती है या नहीं. इसके साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सारी मुश्किलें ख़त्म हो गईं. कुछ हफ़्तों बाद पूर्वी जर्मनी जीडीआर के पहले स्वतंत्र संसदीय चुनावों का आयोजन हुआ जिसमें रूढ़िवादी गठबंधन अलियांस फ़्युर डॉयचलांड की जीत हुई. अगस्त 1990 में इस अलियांस ने 3. अक्तूबर 1990 को पश्चिम जर्मनी में शामिल होने का एलान किया.
कोल अपने मक़सद तक पहुंच गए थे. उन्होंने जर्मनी की जनता से कहा. "40 साल के बाद जर्मनी एक बार फिर एक हो गया है. यह मेरी ज़िंदगी का सबसे सुंदर क्षण है." कोल की राजनीतिक जीत ने लोगों का दिल भी जीत लिया. वे दोबारा चांसलर के पद पर चुने गए और 1998 तक जर्मन सरकार के प्रमुख का पद भार संभाला.
कोल अब राजनीति से पीछे हट गए हैं. एक घातक दुर्घटना के बाद वे चल नहीं सकते और व्हीलचेयर पर बैठे रहते हैं. 80 साल के कोल अपना जन्मदिन दक्षिण जर्मन शहर लुड्विषहाफेन में अपने परिवार वालों के साथ मनाएंगे लेकिन चांसलर के पद से हटने के 12 साल बाद भी जर्मन जनता उन्हें एकीकरण के शिल्पकार के तौर पर याद करती है.
रिपोर्टः बेटिना मार्क्स/एम गोपालकृष्णन
संपादनः महेश झा