एचआईवी टीके के साइड इफेक्ट नहीं मिले
२३ फ़रवरी २०११भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. वीएम काटोच ने बताया, "दिसंबर 2010 में ही भारत में बने टीके के शरुआती चिकित्सकीय परीक्षण पूरे हो गए हैं. इसे अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की मदद से दक्षिण भारत में तैयार किया गया और इसके कोई साइड इफेक्ट सामने नहीं आए हैं."
डॉ. काटोच का कहना है, "हमें इस वैक्सीन से बहुत उम्मीद है क्योंकि यह भारत में पाए जाने वाले एचआईवी वायरस पर प्रभाव डालती है. इसका परीक्षण करने में कोई हर्ज नहीं है. इसी तरह का एक टीका थाईलैंड में बनाया गया था लेकिन वह केवल 30 फीसदी ही प्रभावी था. हम यहां बनाए गए इस टीके को और प्रभावी बनाना चाहते हैं."
किसी भी टीके के शुरुआती परीक्षण में सुरक्षा, साइड इफेक्ट्स पर खास ध्यान दिया जाता है. सबसे पहले टीके का प्रयोगशाला में और पशुओं पर प्रयोग किया जाता है. अगर नतीजे ठीक हैं तब कई परीक्षणों के बाद इसे मनुष्यों को लगाया जाता है. बाजार में पेश करने से पहले टीके के लिए लाइसेसिंग और मार्केटिंग की मंजूरी लेनी पड़ती है.
भारत में एचआईवी वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 25 से 30 लाख है. एड्स से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की सूची में भारत काफी ऊपर है.
आईसीएमआर ऐसी दवा बनाने की कोशिश में जुटी है जो एचाआईवी पीड़ितों में दवाओं के असर को बचाए रख सके. डॉ. काटोच ने बताया, "हम कोशिश कर रहे हैं कि कुछ दवाइयां मिला कर दवाई बनाई जाए, ताकि शरीर में दवाई की प्रतिरोधक क्षमता बची रहे. एड्स की रोकथाम के लिए बनी राष्ट्रीय एजेंसी हमारी इसमें मदद कर रही है."
रिपोर्टः पीटीआई/आभा एम
संपादनः एन रंजन