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एस्बेस्टस से हुई मौतों पर 16 साल जेल

१४ फ़रवरी २०१२

इटली में एस्बेस्टस का कारोबार करने वाले दो लोगों को 16 साल की सजा मिली है, जो पर्यावरण मामले में अपनी तरह की पहली सजा है. उनके प्लांट में काम करने वाले करीब 2000 लोगों की मौत एस्बेस्टस से जुड़ी बीमारियों से हो गई.

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ऐतिहासिक फैसलातस्वीर: dapd

अदालत ने स्विट्जरलैंड के एक उद्योगपति और बेल्जियम के कार्यकारी को करोड़ों यूरो का मुआवजा देने का भी आदेश दिया है. तूरीन की अदालत में किया गया यह फैसला दुनिया भर के कार्यस्थलों पर सुरक्षा को लेकर उदाहरण बन सकता है. जिस वक्त अदालत में फैसला सुनाया जा रहा था, पीड़ित लोगों के रिश्तेदार अदालत में जमा थे. फैसले के बाद कई लोगों के आंखों से आंसू निकल आए.

स्विस सीमेंट कंपनी के 64 साल के स्विस मालिक स्टीफन श्मिडहाइनी और बेल्जियम के शेयरधारक और पूर्व कार्यकारी 90 साल के यान लुइस मारी गिशलान डी कार्टियर डी मार्कैनी को इटली के एटरनिट एस्बेस्टस प्लांटों में काम करने वालों के लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम नहीं करने का दोषी पाया गया. ये प्लांट 1986 में ही बंद किए जा चुके हैं. दोनों आरोपियों ने कोई गलत काम करने से इनकार किया है. वे अदालत में मौजूद नहीं थे और उनके वकील का कहना है कि अब वे ऊपरी अदालत में अपील करेंगे.

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फैसले की घड़ीतस्वीर: dapd

जज्बाती लम्हा

एस्बेस्टस से जुड़ी बीमारियों की वजह से परिवार के पांच सदस्यों को खो देने वाली रोमाना ब्लासोटी ने कहा, "मैं सोच रही थी कि मैं आज रो पड़ूंगी, लेकिन मैं नहीं रोई. यह काम भी मुश्किल लग रहा है."

कंपनी के पूर्व कर्मचारी सहित चार शहरों के करीब 6000 लोगों ने इस मामले में मुआवजे की मांग की है. औसत तौर पर हर किसी को 30,000 यूरो का मुआवजा देने की घोषणा की गई है. दोषियों पर आरोप है कि उन्होंने सीमेंट फाइबर बनाने वाले अपने प्लांट में कर्मचारियों की सुरक्षा का ख्याल नहीं रखा. सरकारी वकील ने कहा कि इसकी वजह से 2000 लोगों की मौत हो गई. इनमें से ज्यादातर लोग एस्बेस्टस की वजह से कैंसर के शिकार हो गए थे. इसके अलावा पिछले चार दशक में कई लोगों को ट्यूमर सहित दूसरी लंबी बीमारी हुई, जिसकी वजह से उनकी जान चली गई.

बताया जाता है कि प्लांटों के अलावा तूरीन के पास के पर्वतीय शहर कासाले मॉनफेराटो और कावागनोलो शहर तथा रुबियेरा और बागनोली गांव प्रभावित हुए.

सपना सच हुआ

अदालत ने जिस मुआवजे का एलान किया है, उसके तहत कासाले मॉनफेराटो को ढाई करोड़ यूरो, पीडमोंट इलाके को दो करोड़ यूरो और पीड़ित लोगों को 10 करोड़ यूरो देने की बात कही गई है. सरकारी वकील रफाएल गुआरीनिएलो का कहना है, "यह एक सपने के सच होने जैसा है." उन्होंने मांग की थी कि दोनों आरोपियों को 20 साल की सजा मिलनी चाहिए.

उन्होंने कहा, "जहां तक कर्मचारियों की सुरक्षा का सवाल है, यह दुनिया का सबसे बड़ा मुकदमा है." इटली की मीडिया ने कहा है कि अदालत में इतने ज्यादा लोग आ गए कि उन्हें जगह देने के लिए तीन कोर्ट रूमों को खाली कराया गया. यह केस 2009 में शुरू हुआ था. इसका आखिरी फैसला सुनाने के लिए जज को तीन घंटे का समय लेना पड़ा.

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भारत में एस्बेस्टसतस्वीर: Sonumadhavan

खतरनाक है एस्बेस्टस

इटली के स्वास्थ्य मंत्री रेनाटो बालडुजी ने इसे ऐतिहासिक घटना बताते हुए कहा कि एस्बेस्टस का इस्तेमाल सिर्फ स्थानीय या राष्ट्रीय समस्या नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समस्या है.

19वीं सदी के आखिर से एस्बेस्टस का इस्तेमाल बढ़ गया है. आम तौर पर इसका इस्तेमाल छतों की जगह या किसी कमरे को गर्मी या सर्दी से बचाने के लिए किया जाता है. लेकिन बाद में पता चला कि यह बीमारी की जड़ है. पश्चिमी देशों में अब इसे इमारत बनाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. लेकिन भारत जैसे देशों में अभी भी एस्बेस्टस का खूब प्रयोग हो रहा है.

एस्बेस्टस के रेशों यानी फाइबर अगर सांस के जरिए बदन में चला जाए, तो इससे फेफड़ों में जलन और कैंसर तक की बीमारी हो सकती है. एटरनिट ने 1986 में ही इटली में अपना कारोबार बंद कर दिया था. हालांकि इसके छह साल बाद वहां एस्बेस्टस पर पाबंदी लगी.

श्मिडहाइनी कभी स्विट्जरलैंड के सबसे बड़े कारोबारियों में गिने जाते थे. लेकिन अब वह रिटायर्ड जिंदगी बिता रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जरूरतमंदों की मदद करते हैं. उन्होंने इस फैसले को गलत बताया. बेल्जियम के कार्यकारी के प्रवक्ता ने भी इस फैसले पर नाखुशी जताई. उनकी तरफ से 2009 में भी बयान आया था कि जिस वक्त ये मामले हुए, उस वक्त एस्बेस्टस की बुरे प्रभाव के बारे में कोई नहीं जानता था.

रिपोर्टः एएफपी, रॉयटर्स/ए जमाल

संपादनः महेश झा

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