ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को ब्रिटेन में इस्तेमाल की मंजूरी
३० दिसम्बर २०२०ब्रिटेन के स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि उसने मेडीसिंस एंड हेल्थकेयर प्रॉडक्ट्स रेगुलेट्री एजेंसी के उस आग्रह को मान लिया है जिसमें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और दवा बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका के बनाए वैक्सीन को आपातस्थिति में इस्तेमाल की मंजूरी देने को कहा गया था. ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने स्काई न्यूज से कहा, "4 जनवरी से वैक्सीन की डिलीवरी शुरू हो जाएगी और अगले साल के पहले कुछ हफ्तों में यह बहुत तेजी से बढ़ेगी." ब्रिटेन ने इस वैक्सीन की 10 करोड़ डोज खरीदी है.
एस्ट्राजेनेका के मुख्य कार्यकारीअधिकारी पास्कल सोरियट ने बीबीसी रेडियो फोर को बताया "कंपनी पहले डोज की शिपिंग बुधवार या गुरुवार से शुरू कर देगी और और अगले हफ्ते से टीका लगाना शुरू हो जाएगा. हम जल्दी ही 10 लाख की संख्याा पर पुहंचेंगे और उसके आगे भी बहुत तेजी से."
ब्रिटेन में दूसरी वैक्सीन
ब्रिटेन के लाखों लोगों को इससे पहले ही अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर और जर्मन कंपनी बायोन्टेक की बनाई वैक्सीन दी जा चुकी है. सोरियट का कहना है कि यह "ब्रिटेन के लाखों लोगों के लिए एक अहम दिन है जिन्हें नई वैक्सीन मिलेगी. यह देखा जा चुका है कि यह असरदार है, सहनीय है, आसानी से इस पर नजर रखी जा सकती है और एस्ट्राजेनेका की तरफ से इसे बिना मुनाफे के दिया जा रहा है."
कोरोना वायरस की वैक्सीन की दो डोज दी जाती है. पहली खुराक देने के कुछ हफ्तों के बाद एक बूस्टर लगाया जाता है.
ब्रिटिश सरकार का कहना है कि एस्ट्राजेनेका के साथ इसमें थोड़ा बदलाव किया जा रहा है. सरकार के मुताबिक इस वैक्सीन के साथ पहले ज्यादा से ज्यादा लोगों को पहली खुराक देने को प्राथमिकता दी जाएगी. माना जा रहा है कि पहली खुराक ही संक्रमण से बचाव करने में सक्षम है. जो लोग ज्यादा जोखिम के दायरे में हैं उन्हें दूसरी खुराक 12 हफ्ते के भीतर देने में प्राथमिकता मिलेगी.
सरकार की नई रणनीति ब्रिटेन में कोविड 19 के मरीजों की तेजी से बढ़ती संख्या को देख कर तय की गई है. यहां अस्पताल में भर्ती कोविड के मरीजों की संख्या पहले चरण की सर्वोच्च स्थिति को पार कर गई है. अधिकारी इसके लिए कोरोना के नए संस्करण को जिम्मेदार बता रहे है जो ज्यादा तेजी से फैल रहा है.
कितनी कारगर है ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के डॉ एंड्रयू पोलार्ड वैक्सीन विकसित करने वाले टीम के प्रमुख सदस्यों में हैं. उन्होंने उम्मीद जताई है कि नई वैक्सीन कारगर होगी, "इस वक्त ऐसा कोई सबूत नहीं है कि यह वैक्सीन नए संस्करण के खिलाफ काम नहीं करेगा. हालांकि इस पर हमें नजर रखनी होगी. हम इस संस्करण या भविष्य के किसी और संस्करण के प्रति लापरवाही नहीं बरत सकते."
ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में करीब 24,000 लोगों पर किए गए अध्ययन के आंशिक नतीजे बता रहे हैं कि यह वैक्सीन सुरक्षित है और कोरोना वायरस की बीमारी को रोकने में 70 फीसदी कारगर है. दूसरे वैक्सीन की तुलना में यह नतीजे उतने अच्छे नहीं हैं. बुजुर्ग लोगों पर इस वैक्सीन के असर को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. रिसर्च में शामिल केवल 12 फीसदी लोग ही 55 साल के ऊपर के थे और वो लोग भी इसमें बाद में शामिल हुए. ऐसे में यह देखने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला कि जिन लोगों को वैक्सीन नहीं दी गई उनकी तुलना में वैक्सीन लेने वाले लोगों में संक्रमण की दर कम थी या नहीं. हालांकि सोरियट ने हाल ही में संडे टाइम्स अखबार से बातचीत में इस वैक्सीन के अपने प्रतिद्वंद्वियों जितना ही कारगर होने की उम्मीद जताई है.
दुनिया के लिए वैक्सीन
ऑक्सफोर्ड एस्ट्रोजेनेका वैक्सीन की कम कीमत, उपलब्धता और इस्तेमाल में आसानी के कारण कई देशों ने इस पर भरोसा जताया है. इसे दूसरे वैक्सीनों से उलट बेहद ठंडा रखने वाले रेफ्रिजरेटरों की बजाय सामान्य रेफ्रीजरेटरों में भी रखा जा सकता है. कंपनी का कहना है कि वह 2.50 अमेरिकी डॉलर में इसकी एक डोज मुहैया कराएगी और साल 2021 के अंत तक 3 अरब डोज तैयार कर लेगी.
गरीब देशों में इस्तेमाल के लिए तैयार होने वाली ज्यादातर वैक्सीन भारत में सीरम इंस्टीट्यूट बनाएगा. सीरम इंस्टीट्यूट से एस्ट्राजेनेका ने 1 अरब डोज बनाने के लिए संपर्क किया है. जून में एस्ट्राजेनेका ने बताया कि सीरम इंस्टीट्यूट 2020 के आखिर तक 40 करोड़ डोज तैयार कर लेगा लेकिन दिसंबर के शुरुआत तक केवल 5 करोड़ डोज ही तैयार की जा सकीं. इसके बाद प्रोडक्शन को कई बार रोका गया. सीरम इंस्टीट्यूट के अलावा एस्ट्राजेनेका ने ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और चीन के वैक्सीन निर्माताओं के साथ भी करार किया है ताकि ऑक्सफोर्ड के विकसित किए वैक्सीन को विकासशील देशों के लिए तैयार किया जा सके.
एनआर/एके(एपी)
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