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ऑस्ट्रेलिया भारत को यूरेनियम देने के रास्ते पर

९ मार्च २०११

ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच यूरेनियम के लेनदेन की संभावनाएं साफ होती दिख रही हैं. अब तक यूरेनियम न देने पर अड़ा रहा ऑस्ट्रेलिया अब कड़ी शर्तों के साथ यूरेनियम देने की बात कर रहा है.

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भारत के परमाणु बाजार के लिए होड़ मची

ऑस्ट्रेलिया के संसाधन मंत्री मार्टिन फर्ग्युसन ने कहा है कि अगर सत्ताधारी लेबर पार्टी भारत को यूरेनियम न देने का फैसला वापस ले लेती है तो कड़ी शर्तों पर यूरेनियम निर्यात किया जाएगा. फर्ग्युसन भारत को यूरेनियम बेचने के पक्ष में हैं. वह लेबर पार्टी पर अपनी नीति बदलने का दबाव डाल रहे हैं. पार्टी के नियम के मुताबिक फिलहाल उन देशों को यूरेनियम नहीं बेचा जा सकता जिन्होंने परमाणु अप्रसार संधि पर दस्तखत नहीं किए हैं. लेकिन फर्ग्युसन चाहते हैं कि भारत के लिए इस नियम में ढील दी जाए.

भारत के लिए अलग प्रक्रिया

संसाधन मंत्री ने एक इंटरव्यू में कहा, "अगर हम अपनी बात से हटकर भारत को यूरेनियम की बिक्री का फैसला करते हैं तो इसके लिए बातचीत की प्रक्रिया और ज्यादा मुश्किल होगी. हर देश के हिसाब से राजनयिक प्रक्रिया अलग अलग है."

भारत को ऑस्ट्रेलिया की यूरेनियम नीति से काफी शिकायत रही है. उसे अपनी बढ़ती अर्थव्यवस्था की रफ्तार बनाए रखने के लिए बिजली क्षेत्र को मजबूत बनाना है जिसके लिए परमाणु ईंधन की जरूरत है. ऑस्ट्रेलिया के पास दुनियाभर का 40 फीसदी यूरेनियम है. लेकिन फिलहाल दुनिया के बाजार में उसका हिस्सा सिर्फ 19 फीसदी है जिसकी सप्लाई वह मौजूदा तीन खानों से करता है. इनमें दुनिया की सबसे बड़ी यूरेनियम खान ओलंपिक डैम भी शामिल है जो बिलीटन में है. एक खान उत्तरी हिस्से में हैं और एक अन्य खान पर अमेरिकी कंपनी जनरल एटोमिक्स का कब्जा है.

वैसे अब ऑस्ट्रेलिया अपना यूरेनियम निर्यात बढ़ाना चाहता है. एक अनुमान के मुताबिक इसी साल जुलाई तक वह 87,00 टन यूरेनियम पैदा करेगा जो पिछले साल के मुकाबले 21 फीसदी ज्यादा है. 2016 तक कई और खानों में भी उत्पादन शुरू हो जाएगा.

न्यूक डील के बाद

अमेरिका के साथ हुए परमाणु समझौते के बाद दुनियाभर के यूरेनियम उत्पादकों को भारत एक बड़े बाजार के रूप में नजर आ रहा है. फ्रांस और रूस जैसे बड़े देश उसके साथ परमाणु समझौत कर चुके हैं या प्रक्रिया में हैं. लेकिन ऑस्ट्रेलिया अपने कड़ने नियमों की वजह से अब तक पीछे छूट रहा है.

फर्ग्युसन इसके लिए रास्ते तलाश रहे हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिका और भारत के समझौते ने यह साबित कर दिया है कि भारत बदमाश परमाणु शक्ति संपन्न देश नहीं है. इसलिए वह साल के दूसरे हिस्से में होने वाले पार्टी सम्मेलन में नीतियां बदलने के लिए पूरा जोर लगाएंगे.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ए कुमार

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