ओबामा के दौरे से भारत को क्या मिला
१३ नवम्बर २०१०पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत में तीन दिन गुजारे. जब से वह राष्ट्रपति बने हैं किसी देश में तीन दिन नहीं रहे. यूं तो ओबामा भारत से अपने लगाव की सबसे बड़ी वजह महात्मा गांधी को बताते हैं लेकिन इसमें शक नहीं कि भारत वह कारोबार को ध्यान में रखकर ही वहां गए.
सिर्फ अपना जुगाड़
ओबामा के मुंबई पहुंचते ही दोनों देशों के बीच 10 अरब डॉलर का करार हो गया जिससे अमेरिका में हजारों नौकरियां पैदा होंगी. लेकिन भारत की चिंताओं पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. न तो ओबामा ने आउटसोर्सिंग विरोधी अपनी सोच में किसी बदलाव का संकेत दिया और न ही एच1बी वीजा की फीस जैसे अन्य मुद्दों पर कोई राहत दी. खास कर ये दोनों ही मुद्दे बहुत से भारतीयों के लिए शानदार करियर की सीढ़ी होते हैं.
तो फिर भारत और खास कर युवाओं को ओबामा के दौरे से क्या फायदा हुआ, आईटी प्रोफेशनल संदीप खुराना कहते हैं, "ओबामा बैंगलोर नहीं गए जहां से आउटसोर्सिंग का इतना काम होता है और भारत इतना बड़ा आईटी हब है. इसका यही मतलब है कि उनके भारत आने का अकेला मकसद अमेरिकियों की नौकरी था." ओबामा ने अपने तीन मुंबई और दिल्ली में ही गुजारे.
ओबामा का पूरा जोर इसी बात पर रहा कि कैसे भारत के जरिए पटरी से उतरी अमेरिकी अर्थव्यवस्था को दुरुस्त किया जाए. कई लोगों ने ओबामा के दौरे को अमेरिकी राष्ट्रपति का दौरा कहने के बजाय अमेरिकी सेल्समैन का दौरा कह चुटकी भी ली.
लेकिन आईटी और कंपनी मामलों के युवा वकील सौरभ कालरा कहते हैं कि हमें सिर्फ अपने फायदों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. अमेरिका के फायदे अपनी जगह हैं लेकिन सुपर पावर होने के नाते अमेरिका से भारत को भी कुछ फायदे मिले हैं.
भारत एक ग्लोबल पावर
वैसे ओबामा ने इस बात को जाहिर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि भारत एक बड़ी ताकत बन गया है. अपनी चुप्पी तोड़ते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी कह दिया कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट मिले.
जेएनयू में रिसर्च स्कॉलर समिष्ठा साहा कहती हैं कि पहली बार अमेरिका और भारत बराबरी के स्तर पर दिखाई दिए. उनके मुताबिक, "पहली बार ऐसा महसूस हुआ कि अमेरिका हमारे देश के साथ खड़ा है, एक ही मंच पर. यह देख कर अच्छा लगा."
खास कर पहली बार ऐसा हुआ कि अमेरिकी राष्ट्रपति भारत में आकर अमेरिकी लोगों की नौकरियों का जुगाड़ करते दिखे. यह भारत की बढ़ती ताकत का नतीजा है कि अमेरिका भारत को ग्लोबल पावर का रुतबा दे रहा है. बेशक इसकी वजह कारोबार है. लेकिन अगर बराबरी का रिश्ता कायम हो जाए, तो फायदे भी दोनों को होंगे. कम से कम समिष्ठा अभी यह नहीं मानतीं कि ओबामा का दौरा सिर्फ अमेरिकी हितों को साधता है. वह कहती हैं, "अभी हमें कोई नतीजा नहीं निकालना चाहिए. इस दौरे से भारत को कितना फायदा होगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा."
और दुनिया भर के जानकार कहते हैं कि आने वाला वक्त भारत और चीन का है. लेकिन आर्थिक तरक्की की अंधी दौड़ में शामिल इन मुल्कों को अपने उन करोड़ों जरूरतमंद लोगों की भी सुध लेनी होगी, जिनके लिए दो वक्त की रोटी और जीवन की बुनियादी सुविधाएं अब भी किसी ख्वाब से कम नहीं.
रिपोर्टः हलो जिंदगी डेस्क
संपादनः एस गौड़