ओलंपिक खेल कोई 'भूत' नहीं
१६ जुलाई २०१२"ओलंपिक खेल भूत नहीं है, तो ऐसे में डरने वाली कोई बात नहीं. मुझे खुद पर विश्वास है...इसलिए मैं यहां हूं," दीपिका के इस बयान से उनकी तैयारी का अंदाजा लग सकता है. तीरंदाजी में तो वह अपनी कुशलता दिखाती ही हैं, लेकिन दबाव न लेने की उनकी क्षमता की जितनी तारीफ की जाए, उतनी कम है. उनके यह अंदाज उनके राज्य झारखंड के क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी से खूब मेल खाता है. दीपिका कहती हैं, "वह एक बड़ी हस्ती हैं और उन्होंने जो कुछ हासिल किया है, उसी से यह पता चल जाता है. मुझे अच्छा लगता है कि हम एक राज्य के हैं."
हालांकि दीपिका की भी हसरत है कि वह एक न एक दिन ओलंपिक में पदक जीतें. दीपिका ने कहा यह तो किसी भी खिलाड़ी का सपना होता है. कहती हैं कि जिस तरह क्रिकेट में विश्व कप जीतना सबसे बड़ा होता है वैसे ही ओलंपिक में पदक जीतना बाकी खिलाड़ियों के लिए अहम होता है. लेकिन रांची की दीपिका लंदन में मौसम को लेकर थोड़ी चिंतित हैं. दीपिका ने कहा, "हमने सुना है कि लंदन में बहुत हवा चलेगी. यह एक बड़ी चुनौती होगी, जल्दी से मौसम की आदत लगाना."
दीपिका कहती हैं कि पूजा और समय से सोकर वह अपने को ताजा और प्रेरणा से भरी महसूस करती हैं. दीपिका ने बताया, "जब में तीरंदाजी नहीं कर रही होती तो सोती रहती हूं. अगर आप आठ घंटे अभ्यास करते हों तो आपको ज्यादा वक्त नहीं मिलता." दीपिका को पूजा करते वक्त मशहूर भजन "इतनी शक्ति हमें देना दाता" गाना अच्छा लगता है. कहतीं हैं कि उन्हें इससे प्रेरणा मिलती है और मानसिक ताकत भी.
घर से इतनी दूर लंदन जाने पर शायद उन्हें परिवार वालों की कमी खले पर दीपिका ने कहा कि साथी खिलाड़ियों का साथ उन्हें अच्छा लगता है. ओलंपिक खिलाड़ी डोला बनर्जी और अंगा चेक्रोवोलू उनकी अच्छी सहेलियां हैं. कहती हैं, अपने माता पिता का उनके साथ न होना उन्हें तब खलेगा जब वह पदक जीतेंगी.
दीपिका ने अपनी बहन दीप्ति की वजह से तीरंदाज बनने के बारे में सोचा. उन्होंने जमशेदपुर में टाटा आर्चरी अकादमी में दाखिला लिया जिसके बाद वह राज्य स्तर और फिर भारत के लिए खेलने लगीं.
एमजी/एनआर (पीटीआई)