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कानून और न्याय

हिरासत में स्टैन स्वामी की मौत

५ जुलाई २०२१

भीमा-कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किए गए फादर स्टैन स्वामी का हिरासत में निधन हो गया. वो 84 वर्ष के थे. एनआईए पर उन्हें अनुचित रूप से गिरफ्तार करने और जेल प्रशासन पर उनके स्वास्थ्य को नजरअंदाज करने के आरोप लगते आए हैं.

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तस्वीर: Noah Seelam/AFP/Getty Images

अक्टूबर 2020 को कोरोना वायरस महामारी के बीच जब स्वामी को एनआईए ने रांची के नामकुम स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया था, वो उस समय में भी पार्किंसंस और अन्य स्वास्थ संबंधी समस्याओं से पीड़ित थे. इसके बावजूद 83 वर्षीय स्वामी को मुंबई के तलोजा केंद्रीय कारागार में बंद कर दिया गया. जो आठ महीने उन्होंने हिरासत में बिताए, इस दौरान उन्होंने और उनके प्रतिनिधियों ने कई बार उनके साथ अमानवीय किए जाने व्यवहार के आरोप लगाए.

जेल जाने के कुछ ही दिनों बाद स्वामी ने विशेष एनआईए अदालत से गुजारिश की थी कि उन्हें पानी पीने के लिए एक सिप्पर और स्ट्रॉ दिलवा दिया दिया जाए क्योंकि पार्किंसंस बीमारी से पीड़ित होने की वजह से वो पानी का गिलास उठा नहीं पाते हैं. लेकिन उन्हें एक सिप्पर और स्ट्रॉ जैसी छोटी सी मानवीय सहायता भी करीब 50 दिनों बाद दी गई. उन्होंने जमानत के लिए एक नहीं दो बार अदालत में याचिकाएं डालीं, लेकिन वो खारिज कर दी गईं.

जेल में स्वास्थ्य में गिरावट

पहली बार तो विशेष एनआईए अदालत ने उनकी जमानत की याचिका को खारिज करने के लिए भी तीन महीने का समय लिया. उन्होंने नवंबर 2020 में याचिका डाली थी जो मार्च 2021 में खारिज कर दी गई. मई में उन्होंने एक बार फिर जमानत याचिका डाली, और अदालत से कहा कि उनकी हालत बहुत खराब है और अगर उन्हें जेल से जल्द निकाला ना गया तो वो मर भी सकते हैं.

Indien – Dalit Proteste
भीमा-कोरेगांव हिंसा के बाद मुंबई में विरोध प्रदर्शनतस्वीर: Getty Images/Hindustan Times

उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत को बताया कि जब उन्हें पहली बार जेल लाया गया था, तब कम से कम उनका शरीर मूल रूप से काम कर रहा था, लेकिन जेल में रहते रहते उनकी सुनने की शक्ति और कम हो गई और नहाना तो दूर, वो खुद चलने और खाना खाने के भी काबिल नहीं रहे हैं. मई 2021 में जेल में ही वो कोविड-19 से संक्रमित हो गए, जिसके बाद 28 मई को बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने उन्हें जेल से निकाल कर हौली फैमिली अस्पताल में भर्ती कराया.

चार जून को अस्पताल में ही उनकी हालत और खराब हो गई और उन्हें वेंटीलेटर पर डाल दिया गया. उसी दिन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उनकी अवस्था को संज्ञान में लेते हुए महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया और आदेश दिया कि उनके इलाज का हर संभव इंतजाम किया जाए. सात जून को जमानत की उनकी याचिका पर दोबारा सुनवाई होनी थी, लेकिन उनका उसके पहले ही निधन हो गया.

आरोपों पर संदेह

एनआईए का आरोप है कि स्वामी प्रतिबंधित संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के सदस्य थे और 2018 में पुणे के पास भीमा-कोरेगांव में जातिगत हिंसा भड़काने की साजिश में शामिल थे. स्वामी ने इन आरोपों से इंकार किया था और कहा था कि उन्हें आदिवासियों और हाशिए पर सिमटे अन्य समुदायों की मदद करने और उनका नुकसान करने वाली सरकार की नीतियों का विरोध करने के लिए निशाना बनाया जा रहा है.

Indien Verhaftung Varavara Rao
स्टैन स्वामी के अलावा वरवरा राव जैसे लोगों को भी हिरासत में कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पेश आई हैंतस्वीर: IANS

अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार होने से दो दिन पहले ही उन्होंने एक वीडियो संदेश में अपनी गिरफ्तारी की आशंका जाहिर की थी. उन्होंने बताया था की एनआईए कम से कम दो बार कई घंटों तक उनसे पूछताछ कर चुकी है और उनके घर और सामान की तलाशी ले चुकी है. उन्होंने यह भी बताया था कि उनके कंप्यूटर से अभियोगात्मक सामग्री मिलने का उनका दावा झूठा है और यह सामग्री उनके कंप्यूटर से छेड़छाड़ करके उसके अंदर डाली गई है.

स्वामी के अलावा इस मामले में कम से कम 15 और मानवाधिकार कार्यकर्ता हिरासत में हैं. फरवरी 2021 में अमेरिकी डिजिटल फॉरेंसिक कंपनी आर्सेनल कंसल्टिंग ने दावा किया कि इनमें से एक आरोपी रोना विल्सन की गिरफ्तारी के करीब 22 महीनों पहले उनके कंप्यूटर में एक मैलवेयर भेज कर उसे हैक कर लिया गया था और फिर धीरे धीरे उनके कंप्यूटर में कम से कम 10 दस्तावेज "प्लांट" किए गए यानी उनकी जानकारी के बिना उनके कंप्यूटर में छिपा दिए गए.

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