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कच्चे तेल के गिरते दामों का भारत पर क्या असर होगा

११ मार्च २०२०

अंतर्राष्ट्रीय तेल बाजार में कच्चे तेल के दामों में इन दिनों ऐसी गिरावट देखने को मिल रही है जैसी पिछले 30 साल में नहीं देखी गई. दाम 20 प्रतिशत गिर कर 35 डॉलर प्रति बैरल के आस पास आ गए हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/PA Wire/D. Lawson

हुआ ये कि दुनिया में तेल के सबसे बड़े निर्यातक सऊदी अरब ने एक तरह की जंग छेड़ दी. पिछले सप्ताह सऊदी अरब ने तेल की गिरी हुई खपत से हुए नुकसान से उबरने के लिए तेल की आपूर्ति और घटाने का प्रस्ताव दिया, लेकिन तेल का निर्यात करने वाले देशों के संगठन (ओपेक) में इस पर सहमति नहीं हुई. 2016 में जब ओपेक बना था तब से सऊदी अरब और रूस ने मिलकर तेल की आपूर्ति में कटौती को 21 लाख बैरल प्रति दिन के स्तर पर बरकरार रखा था. सऊदी अरब अब चाह रहा है कि इसे 2020 के अंत तक बरकरार रखा जाए और इसके साथ साथ 15 लाख बैरल प्रति दिन की अतिरिक्त कटौती भी की जाए.

लेकिन रूस इस बात पर राजी नहीं हुआ. अमेरिका विश्व का सबसे बड़ा तेल उत्पादक बन चुका है और रूस उसे बाजार पर और पकड़ बनाने से रोकना चाहता है. उसे लगता है कि ओपेक देश अगर आपूर्ति और गिराएंगे तो अमेरिका को बाजार पर अपना कब्जा बढ़ाने का मौका मिलेगा. इसलिए वो सऊदी अरब का प्रस्ताव स्वीकार नहीं कर रहा है. उलटे शुक्रवार छह मार्च को रूस ने घोषणा कर दी कि एक अप्रैल से हर देश को जितना वो चाहे उतना तेल उत्पादन करने की पूरी छूट है. इसके बाद ही सऊदी अरब ने अपने तेल की कीमत गिरा दी.

कोरोना वायरस और तेल में संबंध

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की मांग में गिरावट के पीछे कोरोना वायरस का बहुत बड़ा हाथ है. चीन, जहां से संक्रमण शुरू हुआ, दुनिया का सबसे बड़ा तेल आयातक है. उसकी तेल की खपत लगभग एक करोड़ बैरल प्रति दिन है. लेकिन संक्रमण की वजह से उसकी अर्थव्यवस्था रुक सी गई है, फैक्टरियों पर ताले लगे हुए हैं जिसकी वजह से तेल की खपत में भारी गिरावट आई है. इस का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी हुआ है और पूरी दुनिया में खपत गिर गई है. गिरती हुई खपत के साथ साथ अगर बाजार में दाम को लेकर युद्ध शुरू हो जाए तो ये बाजार की स्थिरता के लिए अच्छी खबर नहीं है, लेकिन भारत के लिए यह स्थिति लाभदायक हो सकती है. 

भारत पर असर

भारत बड़े पैमाने पर तेल का आयात करता है और दाम गिर जाने पर उसका खर्च कम हो जाता है. इससे भारतीय बाजार में पेट्रोल, डीजल इत्यादि के दाम गिरने की संभावना बन जाती है. ईंधनों के दाम गिरने से हर उस वस्तु का दाम गिरता है जिसे उत्पादन और बिक्री के बीच एक लम्बा सफर तय  करना पड़ता है. वरिष्ठ पत्रकार अंशुमान तिवारी का कहना है कि इसमें भारत के लिए अच्छी और बुरी खबर दोनों है. अंशुमान तिवारी के अनुसार अच्छी खबर यह है कि तेल के दाम गिरने से कुछ बचत हो जाएगी, करंट अकाउंट घाटा कम हो जाएगा और अगर सरकार पेट्रोल, डीजल के दाम ज्यादा नहीं गिराती है तो कमाई भी हो सकती है. लेकिन अंशुमान तिवारी का ये भी कहना है कि इसमें बहुत खुश होने जैसा कुछ नहीं है क्योंकि आने वाले दिनों में हर देश की तेल कंपनी पर इसका बुरा असर दिखेगा, उस का असर और वस्तुओं के दामों पर पड़ेगा. तिवारी इसे एक वैश्विक आर्थिक मंदी का संकेत मानते हैं. अब देखना ये है कि सऊदी अरब इस युद्ध को किस स्तर तक ले जाने के लिए तैयार है. 

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